पेशेवरों की कमी से जूझ रहा लुधियाना का उद्योग जगत
लुधियाना में लालावाद हावी है और पेशेवर रुख की भारी कमी है। यहीं कारण है कि यहां पर हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भारी कमी है।
मोंटे कार्लो फैशन लिमिटेड के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर संदीप जैन का मानना है कि कारोबार में कुशल नेतृत्व, उम्दा टीमवर्क और तेजी से निर्णय लेकर उन पर अमल करने से ही कामयाबी हासिल की जा सकती है। संदीप कहते हैं कि लुधियाना में औद्योगीकरण लोगों ने अपने दम पर किया है। लुधियाना किसी पर निर्भर नहीं रहा है। यहां पर होजरी एवं साइकिल उद्योग के बड़े क्लस्टर हैं और लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है, लेकिन अब लुधियाना आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है। इसे फिर से गति देने के लिए सरकार को हाथ बढ़ाना होगा।
संदीप जैन का जन्म 21 दिसंबर 1971 को पंजाबी परिवार में हुआ। उन्होंने बेंगलूरु विश्वविद्यालय से फार्मेसी में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया वूल टेस्टिंग अथॉरिटी से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट मैनेजमेंट का एडवांस कोर्स और कंप्यूटर एप्लीकेशन एवं वूल पर सर्टिफाइड कोर्स किया।
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वर्ष 1996 में संदीप ने ओसवाल वूलेन मिल्स में वाइस प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी संभाली और अब वे कंपनी में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर का पद संभाल रहे हैं। उनके कुशल नेतृत्व में ओसवाल वूलेन मिल में यार्न की उत्पादन क्षमता 14 हजार स्पिंडल से बढ़ कर 36 हजार स्पिंडल पर पहुंच गई है। साथ ही उन्होंने मोंटे कार्लो ब्रांड को देश ही नहीं विदेश में भी पहुंचाया। उनको टेक्सटाइल उत्पादों के उत्पादन, मार्केटिंग, सोर्सिंग, डिजाइनिंग में महारत हासिल है।
खास कर रिसर्च एंड डेवलपमेंट में उनकी विशेष रूचि है। कारोबारी जिम्मेदारियों के अलावा संदीप जैन कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज की पंजाब स्टेट काउंसिल में चेयरमैन की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा चुके हैं। पंजाब सरकार की पॉलिसी प्लानिंग में उनकी अहम भूमिका रही है। इसके अलावा वे लुधियाना मैनेजमेंट एसोसिएशन के भी सक्रिय सदस्य हैं।
शहर में हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भारी कमी
संदीप का मानना है कि लुधियाना में लालावाद हावी है और पेशेवर रुख की भारी कमी है। यहीं कारण है कि यहां पर हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भारी कमी है। ऐसे प्रोफेशनल्स रोजगार के लिए शहर में आते तो हैं, लेकिन ज्यादा देर तक टिकते नहीं और वापस लौट जाते हैं।
नतीजतन शहर में टेलेंट की कमी देखी जा रही है। ऐसे में औद्योगिक प्रोफेशनलिज्म अपनी जड़े नहीं जमा पाया। इसका खामियाजा उद्योगों को उठाना पड़ रहा है। यहां पर वर्क कल्चर काफी मजबूत है, तभी बाहरी राज्यों से भी लोग यहां आकर रोजगार करते हैं। बावजूद इसके यहां के उद्योगों में लेबर की कमी रहती है।
होजरी से देश-विदेश में बनी पहचान
संदीप जैन का मानना है कि यहां पर होजरी उद्योग काफी पुराना है। वर्ष 1980-1990 के दशक में रूस को हुए बंपर निर्यात के कारण यहां के होजरी उद्योग को बूस्ट मिला। इंडस्ट्री में मॉडर्नाइजेशन हुआ और आधुनिक मशीनें लगीं। साथ ही घरेलू बाजार में भी वूलेन गारमेंट का बूम आया और इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ी।
इसके चलते होजरी के छोटे छोटे यूनिट बड़ी संख्या में लग गए। तब प्रतिस्पर्धा भी कम थी और इंडस्ट्री की देश विदेश में पहचान बनी। संदीप ने कहा कि वूलेन इंडस्ट्री फैशन पर निर्भर है, ऐसे में फैशन पर वर्किंग काफी है।
उद्योग बढ़े, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं
वे कहते हैं कि बदलते परिवेश में लुधियाना औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ रहा है। यहां पर उद्योगों ने ग्रो किया, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर उस अनुसार से नहीं बढ़ पाया। इसका खामियाजा आज के उद्योग उठा रहे हैं। हालत यह है कि यहां पर एयरपोर्ट तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। पंजाब पोर्ट से दूर है और जमीन की भी काफी समस्या है। महंगी जमीन के कारण ही यहां पर नए एवं बड़े उद्योग नहीं आ रहे हैं।
राहत की बात इतनी है कि यहां पर श्रमिकों में यूनियन बाजी नहीं है और माहौल भी शांतिपूर्ण है। नतीजा यह हो रहा है कि बड़ी संख्या में बाहर से भी लोग यहां आकर रोजगार कर रहे हैं। मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को विकसित करना होगा। इससे सड़कों पर वाहनों का बोझ भी कम होगा। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के लिए सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को तवज्जो दे।
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