Move to Jagran APP

जैन व सिख धर्म की एकता का प्रतीक है माता चक्रेश्वरी तीर्थ

प्रथम तीर्थकर आदिनाथ भगवान की अधिष्ठात्री देवी माता चक्रेश्वरी देवी का प्रसिद्ध मंदिर अत्तेवाली गांव सरहिद फतेहगढ़ साहिब में स्थित है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 05:15 AM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 05:15 AM (IST)
जैन व सिख धर्म की एकता का प्रतीक है माता चक्रेश्वरी तीर्थ

संस, लुधियाना : प्रथम तीर्थकर आदिनाथ भगवान की अधिष्ठात्री देवी माता चक्रेश्वरी देवी का प्रसिद्ध मंदिर अत्तेवाली गांव सरहिद, फतेहगढ़ साहिब में स्थित है। यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में तीन दिन के भव्य उत्सव में न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 1000 वर्ष पूर्व महाराज पृथ्वी राज चौहान के शासनकाल में यात्री संघ बैलगाड़ी में माता चक्रेश्वरी देवी की प्रतिमा लेकर कांगड़ा तीर्थ की यात्रा पर निकला। तीन दिन लगातार कोशिश के बावजूद सरहिद में मंदिर वाले स्थान पर पहुंच कर बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ी। इसके बाद भक्तों द्वारा प्रार्थना करने पर ज्योति पुंज प्रकट हुआ व आकाशवाणी हुई जिसमें माता ने इसी स्थान को निवास बताया। यह नजारा देख श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। रेतीले इलाके व पानी के अभाव की चिता जताने पर माता ने आकाशवाणी में श्रद्धालुओं को उत्तर दिशा की ओर पानी की प्राप्ति के लिए कुछ गज जमीन खोदने के लिए कहा। इस पर जब जमीन खोदी, तो फव्वारा बहने लगा जिसे अमृत कुंड के नाम से जाना जाता है। इसे बाद में कुएं के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इस पवित्र स्थान पर माता की प्रतिमा स्थापित कर भवन का निर्माण किया। इस कार्य में अधिकांश खंडेलवाल जैन थे जो माता को कुल देवी के रूप में पूजते हैं। यहां की ट्रस्ट की लगातार मेहनत व सुविधाओं के चलते यह जगह तीर्थ स्थान में परिवर्तित हो गई।

loksabha election banner

माता के उपासक थे दीवान टोडर मल

तीन सौ साल पहले गुरु गोबिद सिंह के दो पुत्रों को दीवार में चिनवाने के बाद उनके व दादी मां के तीनों पार्थिव शरीरों के अंतिम संस्कार के लिए स्वर्ण मोहरें बिछाकर भूमि प्राप्त करने वाले दीवान टोडर मल जैन का नाम भी सरहिद से जुड़ा हुआ है। माता चक्रेश्वरी देवी के इस उपासक ने नवाब से सोने की मोहरों के बदले में भूमि लेकर तीनों महान विभूतियों का स्वयं अंतिम संस्कार करवाया। इसी स्थान पर गुरुद्वारा ज्योति स्वरूप बना है। इस प्रकार माता चक्रेश्वरी देवी का पवित्र तीर्थ जैन व सिख धर्म की एकता व श्रद्धा का प्रतीक है।

29 व 30 के समारोह में आने के लिए पंजीकरण जरूरी

माता श्री चक्रेश्वरी देवी जैन तीर्थ ट्रस्ट के उप प्रधान पीयूष कांत जैन ने बताया कि कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए वार्षिक उत्सव के दौरान भवन परिसर में 29 व 30 अक्टूबर को भोजन व आवास की व्यवस्था नहीं की जा रही है। दर्शनों के लिए श्रद्धालु तीर्थ स्थल की वेबसाइट द्वड्डह्लड्डष्द्धड्डद्मह्मद्गह्यद्ध2ड्डह्मद्बस्त्रद्ग1द्बद्भड्डद्बठ्ठह्लद्बह्मह्लद्ध.श्रह्मद्द पर पंजीकरण कर सकते हैं। यह सुविधा 20 अक्टूबर से शुरू होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.