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जहां कामना है, वहां लालच व गुस्सा रहेगा : रचित मुनि

एसएस जैन स्थानक जनता नगर में विराजित श्री जितेंद्र मुनि जी के सानिध्य में मधुर वक्ता श्री रचित मुनि ने कहा कि जो लोग ऐसा सोचते हैं कि आंखें बंद करके ध्यान में लीन होना ही समाधि है वे सही नहीं है। समाधि जंगल पहाड़ विरान स्थान या एकांत स्थल पर होती हो। ये भी अधूरा ज्ञान है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 06:51 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 06:51 PM (IST)
जहां कामना है, वहां लालच व गुस्सा रहेगा : रचित मुनि
जहां कामना है, वहां लालच व गुस्सा रहेगा : रचित मुनि

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक जनता नगर में विराजित श्री जितेंद्र मुनि जी के सानिध्य में मधुर वक्ता श्री रचित मुनि ने कहा कि जो लोग ऐसा सोचते हैं कि आंखें बंद करके ध्यान में लीन होना ही समाधि है, वे सही नहीं है। समाधि जंगल, पहाड़, विरान स्थान या एकांत स्थल पर होती हो। ये भी अधूरा ज्ञान है। तो फिर समाधि कैसे और कहां होती है ? गीता मे वासुदेव श्री कृष्ण कहते है कि जिसमें कामना, वासना,और गुस्सा ना होवे वे समाधि अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं । घर में रहते हुए भी व्यक्ति समाधि जैसी साधना करने में सक्षम हैं। शीशे के सामने जब हम खड़े होते हैं। तब हमें अपना उसमें प्रतिबिब दिखाई देता है। जब शीशे के समक्ष से हट जाएंगे तब प्रतिबिब दिखाई नहीं देगा। इसी तरह यदि हम वस्तु या व्यक्ति का बार-बार ध्यान करते रहेंगे। तब वह जल्दी से मन के शीशे से हट नहीं पाता। कामना और वासना की भी यही स्थिति है। हर वक्त हमारी इच्छाएं दौडाती रहती है। विषय वासना की तरफ यदि चित चला गया तो वह विषैला होने लग जाता है। जब किसी कामना की पूर्ति नहीं होती। तो व्यक्ति को गुस्सा आता है। जहां कामना है वहां लालच व गुस्सा साथ ही रहता है। जिदगी में कभी किसी व्यक्ति की इच्छाएं और कामनाएं पूरी नहीं हो पाती। पूरी होती है तो फिर लालच पैदा हो जाता है, और नहीं होती तो गुस्सा बढ़ता है। प्रभु महावीर भी यही कहते कि जब संसार की वस्तुओं व्यक्ति से आशक्ति दूर होगी, तब शांति अनुभव होती है और शांत चित वाला ही समाधि जैसा आनंद हर जगह पा सकता है, जब मन व चित में वस्तु या व्यक्ति से ध्यान हट जाता है, तब ही शांति हो पाती है इस शांति में ही समाधि समाई हुई है। ऐसी समाधि वाला साधक घर में रहते हुए भी योगी व तपस्वी कहलाता है।

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