जप, तप व स्वाध्याय का सुमेल है चातुर्मास : अचल मुनि
श्रमण संघीय सलाहकार भीष्म पितामह तपस्वी रत्न गुरुदेव सुमित प्रकाश मुनि म. सा. के सुशिष्य अचल मुनि भरत मुनि के सानिध्य में चातुर्मास सभा प्रारंभ हुई। अचल मुनि महाराज ने कहा कि चातुर्मास जप तप व स्वाध्याय का सुमेल है। इसका संबंध वर्ष ऋतु से है। वर्षा ऋतु भौतिक व कृषि की दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी श्रेष्ठ है।
संस, लुधियाना : श्रमण संघीय सलाहकार भीष्म पितामह, तपस्वी रत्न गुरुदेव सुमित प्रकाश मुनि म. सा. के सुशिष्य अचल मुनि, भरत मुनि के सानिध्य में चातुर्मास सभा प्रारंभ हुई। अचल मुनि महाराज ने कहा कि चातुर्मास जप, तप व स्वाध्याय का सुमेल है। इसका संबंध वर्ष ऋतु से है। वर्षा ऋतु भौतिक व कृषि की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी श्रेष्ठ है। इस ऋतु में शरीर की पाचन क्रिया मंद हो जाती है। पाचन क्रिया का संबंध सूर्य से है। इसलिए जैन श्रावक-श्राविकाएं रात्रि का भोजन न करके उपवास द्वारा आत्मिक विकास से शरीर को स्वस्थ रखते है। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से भीषण गर्मी में तपती धरती का ताप वर्षा से शांत हो जाता है, उसी तरह मनुष्य के जीवन में मैत्री, ज्ञान व स्वाध्याय की वर्षा से अहंकार, लोभ व अज्ञानता दूर हो जाती है।
भरत मुनि ने कहा कि चातुर्मास धर्म का संगम है। यह पर्व तो साधना का स्वर्णिम अवसर है। इसलिए इसमें सब को बढ़चढ कर भाग लेना चाहिए। इस अवसर पर एस एस जैन स्थानक शिवपुरी चेयरमैन साहित्य रत्न डा. मुलख राज जैन, प्रधान संघरत्न विनीत जैन, महामंत्री राजीव जैन, सतीश जैन पब्बी, कुलदीप जैन, महिला मंडल, वर्धमान युवक मंडल के समस्त कार्यकारिणी सदस्य शामिल थे।