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चारित्र से पाप का निग्रह होता है: अनुपम मुनि

तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा. लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा. मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा. विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में सुखसाता विराजमान है। आज की सभा में गुरुदेव अनुपम मुनि महाराज ने कहा कि ज्ञान से भावों को व दर्शन से श्रद्धा को जाना जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 07:45 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 07:45 PM (IST)
चारित्र से पाप का निग्रह होता है: अनुपम मुनि

संस, लुधियाना : तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा., लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा., मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा., विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में सुखसाता विराजमान है। आज की सभा में गुरुदेव अनुपम मुनि महाराज ने कहा कि ज्ञान से भावों को व दर्शन से श्रद्धा को जाना जाता है। चारित्र से पाप का निग्रह होता है और तप से आत्म, भाव म. तथा प्राणों की शुद्धि होती है और अष्ट कर्मों से मुक्त होता है।

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गुरुदेव ने कहा चयरिक्तकरं चारितं होई, अर्थात चारित्र कर्मों की निर्जरा के लिए होती है और चारित्र से आत्मा की शुद्धि होती है। चरित्रहीन का उपदेश हस्यकर होता है और चरित्र संपन्न व्यक्ति का उपदेश मधु, शक्ति यक्ष सम्मान होता है। इसी संदर्भ में गुरुदेव श्री ने कहा जिस प्रकार बछड़ा अपनी माता के स्तनों से दुग्ध पीकर शीघ्र ही बलवान हो जाता है, उस प्रकार पात्रस्थ दुग्ध पीकर नहीं हो सकता। यही बात सुभाषित के विषय में है कि दुश्चरित्री के मुंह से सुने हुए वचन उस पर असर करने वाले नहीं होते है। महामंत्री अशोक जैन ओसवाल ने कहा कि जैन महामृत्युजंय का जाप और भक्तामर की चार महीने तक जैन स्थानक नूरवाला रोड में चलता रहेगा।


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