ममत्व ही कर्म बंधन का मुख्य कारण : महासाध्वी वीणा
तपचंद्रिका श्रमणी गौरव समता विभूति सरलमना महासाध्वी वीणा महाराज कोकिल कंठी प्रवचन भास्कर साध्वी रत्न संचिता महाराज नवकार साधिका महासाध्वी सुन्नैया महाराज साध्वी अरणवी महाराज साध्वी अर्षीया महाराज ठाणे -6 के सानिध्य में धर्म सभा का आयोजन किया गया।
संस, लुधियाना : तपचंद्रिका श्रमणी गौरव समता विभूति सरलमना महासाध्वी वीणा महाराज, कोकिल कंठी प्रवचन भास्कर साध्वी रत्न संचिता महाराज, नवकार साधिका महासाध्वी सुन्नैया महाराज, साध्वी अरणवी महाराज, साध्वी अर्षीया महाराज ठाणे -6 के सानिध्य में धर्म सभा का आयोजन किया गया। आज मंच पर नवदीक्षित साध्वी आर्यनंदा भी विराजमान हुए।
साध्वी रत्न संचिता महाराज ने शरीर भाव को छोड़कर आत्मभाव में रमण करने का संदेश देते हुए कहा कि हमारा मन जब जब शरीर गत सुविधाओं को प्राप्त करने में उलझा रहता है। तब तब विषय वासना लालसा में मोह माया में आसवत रहता है। परिणाम स्वरुप दुखों को प्राप्त होता है। बाहर की ²ष्टि को त्याग कर जो मानव भीतर आत्म जागरण में रत रहता हो। वह संसार में रहता हुआ सारे कर्तव्यों को निभाकर भी शांत सुखी बन जाता है। जहाज पानी के ऊपर तैरता है।तब तक सुरक्षित है। पर पानी भीतर आने पर जहाज डूब जाता है। अति मोह ममत्व का भाव ही जीवन में तनाव पैदा करता है।
महासाध्वी वीणा महाराज द्वारा शुद्ध सामायिक का महत्व बतलाते हुए कहा गया कि समन्व योग की साधना ही जीवन विकास का मार्ग बतलाती है। मानव मन समता को त्याग कर ममत्व भाव को महत्व देता है। ममत्व ही कर्म बंधन का मुख्य कारण है। हमारी सामायिक साधना सतत गतिशील रहनी चाहिए।
इस अवसर पर एसएस जैन सभाध्यक्ष अरिदमन जैन, चातुर्मास कमेटी चेयरमैन जितेंद्र जैन, सीनियर उपाध्यक्ष सुभाष जैन, महामंत्री प्रमोद जैन, कोषाध्यक्ष रजनीश जैन गोल्ड स्टार, नीलम जैन कंगारु, विनोद जैन गोयम, रविदर जैन भ्राता, विपन जैन, युवक संघ अध्यक्ष संजय जैन व समस्त कार्यकारिणी सदस्यगण, विजय जैन जैन पैकेवल, फूलचंद जैन शाही लिवास, अनिल जैन बावा, गुरु कृपा सेवा सोसायटी अध्यक्ष वैभव जैन व कार्यकारी सदस्यगण आदि शामिल थे।