क्रोध शांति को करता है नष्ट: आशीष मुनि
मण संघीय मंत्री आशीष मुनि तत्व चितक उत्तम ठाणा-2 जिन शासन ज्योति साध्वी गीता आदि ठाणा-4 व सिविल लाइंस एसएस जैन सभा के तत्वाधान में चातुर्मास सभा का पूरा माहौल धर्ममय बना हुआ है।
संस, लुधियाना : श्रमण संघीय मंत्री आशीष मुनि, तत्व चितक उत्तम ठाणा-2, जिन शासन ज्योति साध्वी गीता आदि ठाणा-4 व सिविल लाइंस एसएस जैन सभा के तत्वावधान में चातुर्मास सभा का पूरा माहौल धर्ममय बना हुआ है। चातुर्मास की सभा में सोमवार को आशीष मुनि ने कहा कि अभिमानी रुपी शत्रु पर विजय पाना जरूरी है, क्योंकि यह आत्मा को नरक तथा पशु योनि में ले जाता है। उनकी आत्मिक क्षति करता है। उन्होंने आगे कहा कि लोक में निदित अहंकारियों की गति निश्चित रूप से नरक होती है। इसलिए समझदार व्यक्ति को अभिमान को सदैव विनाशकारी समझकर उससे बचना चाहिए। अभिमानी गुणी से गुणी व्यक्ति को भी दुर्गुणी बना देता है। इसे दूर नहीं करने पर उसके सारे गुण ढंक जाएंगे या नष्ट हो जाएंगे। बुढ़ापा सुंदरता को, आशा धैर्य को, मृत्यु प्राणों को, ईष्र्या धर्मचर्या को, क्रोध शांति को, काम लज्जा को नष्ट करता है। परंतु अभिमान सभी गुणों को नष्ट कर देता है। अहंकार का आसन मनुष्य के ह्दय में है। विवेक नेत्रों को नष्ट करके मानव को अंधा बना देता है। कुछ लोग अपने लाभ का अहंकार करते है और उन्हें कदम कदम पर लाभ मिलता है। हर व्यक्ति से उन्हें अनायास का लाभ प्राप्त हो जाता है। तत्व चितंक उत्तम मुनि म. ने कहा कि धर्म का अधिकारी कौन धर्म का विस्तार एवं विवेचन करने से पूर्व एक बात और समझ लेनी है और वह यह कि जिस धर्म का हम वर्णन कर रहे है। उस धर्म अधिकारी से हमारा अभिप्राय योग्यता से है। पात्रता से नहीं, किसी भी वस्तु को प्राप्त करने से पूर्व उसके योग्य बना जाता है।