ज्ञानशाला संस्कार निर्माण की प्रयोगशाला है : मुनि भूपेंद्र
बचपन बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसमें जैसे संस्कार आ जाते हैं वह संस्कार जीवन भर के लिए काम करने वाले बन जाते हैं। आचार्य तुलसी का ध्यान बच्चों के ऊपर केंद्रित होता है। उन्होंने अपने मन में चितन किया कि बच्चों को संस्कारवान बनाना प्रारंभ कर दिया जाए तो यह बच्चे आगे जाकर भारतीय संस्कृति को अध्यात्म की संस्कृति को और ज्यादा उज्जवल से उज्जवल तुम बना सकते हैं।
संस, लुधियाना : बचपन बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसमें जैसे संस्कार आ जाते हैं वह संस्कार जीवन भर के लिए काम करने वाले बन जाते हैं। आचार्य तुलसी का ध्यान बच्चों के ऊपर केंद्रित होता है। उन्होंने अपने मन में चितन किया कि बच्चों को संस्कारवान बनाना प्रारंभ कर दिया जाए तो यह बच्चे आगे जाकर भारतीय संस्कृति को अध्यात्म की संस्कृति को और ज्यादा उज्जवल से उज्जवल तुम बना सकते हैं। इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने ज्ञानशाला के परिकल्पना अपने मन में संजोनि प्रारंभ की। जिसका परिणाम है आज पूरे भारतवर्ष और विदेशों में 700 जगह पर ज्ञानशाला का संचालन हो रहा है। ज्ञानशाला संस्कार निर्माण की प्रयोगशाला है। ये बातें आचार्य तुलसी कल्याण केंद्र के प्रांगण में ज्ञानशाला के बालक बालिकाओं को संबोधित करते हुए मुनि भूपेंद्र कुमार जी ने कहीं।
उन्होंने आगे कहा बालक बालिकाएं है। हमारे जीवन की आधारशिला है। तेरी इन बालक बालिकाओं को संस्कारवान बनाने का प्रयास करेंगे, यही बालक बालिकाएं आगे जाकर अंतिम समय के अंदर हमारी सेवा करने के लिए अपने आप को तत्पर बनाएंगे। बच्चों के संस्कार निर्माण की ओर हर माता-पिता को अपना ध्यान है, वह केंद्रित करना प्रारंभ कर देना चाहिए। इसी में माता-पिता की बधाई है वह छुपी हुई है।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमल नवलक्खा, युवक परिषद अध्यक्ष धीरज सेतिया, महिला मंडल की अध्यक्षा इंदू देवी सेठिया, ज्ञानशाला आंचलिक संयोजिका विमला देवी सुराणा आदि अनेकों व्यक्तियों ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। जान शाला के बालक बालिकाओं ने अपनी तरफ से अनेकों प्रकार के नाटक में प्रस्तुत करके अपने जीवन में अवतरित होने वाले संस्कारों से जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया कार्यक्रम का संचालन तरुण सुराणा ने किया।