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लंच, डिनर डिप्लोमेसी से उम्मीदवार कर रहे कैंपेनिंग

पंजाब मेडिकल काउंसिल (पीएमसी) की मेंबरशिप को लेकर छह साल बाद होने वाले चुनावों ने डॉक्टरों की नींद हराम कर दी है। जैसे-जैसे मतदाताओं के पास बैलेट पेपर पहुंच रहे हैं, वैसे-वैसे उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार भी रफ्तार पकड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 07:00 AM (IST)
लंच, डिनर डिप्लोमेसी से उम्मीदवार कर रहे कैंपेनिंग
लंच, डिनर डिप्लोमेसी से उम्मीदवार कर रहे कैंपेनिंग

आशा मेहता, लुधियाना

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पंजाब मेडिकल काउंसिल (पीएमसी) की मेंबरशिप को लेकर छह साल बाद होने वाले चुनावों ने डॉक्टरों की नींद हराम कर दी है। जैसे-जैसे मतदाताओं के पास बैलेट पेपर पहुंच रहे हैं, वैसे-वैसे उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार भी रफ्तार पकड़ रहा है। पीएमसी में मेंबर की दस सीटों के लिए पंजाब से 23 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

इनमें शहर के डॉ. कर्मवीर गोयल, डॉ. प्रितपाल सिंह व डॉ. सतीश नौहरिया भी अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। यह तीनों डॉक्टर अपने समर्थकों के संग मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट देने के लिए लंच-डीनर डिप्लोमेसी में जुटे गए हैं। सुबह से लेकर देर रात तक मतदाताओं के साथ ग्रुप मीटिंग चल रही है। कैंपेनिंग के दौरान उम्मीदवार अलग-अलग मुद्दे उठाकर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि वह मेंबर बनने के बाद पंजाब मेडिकल कौंसिल के बैलेट पेपर के जरिए चुनाव करवाने की प्रक्रिया को बदल देगा, तो कोई कह रहा है कि वह डॉक्टरों को आ रही समस्याओं को मेंबर बनने के बाद प्रमुखता से उठाएंगे। कोई उम्मीदवार मेडिकल प्रोफेशन में अपने लंबे अनुभव का वास्ता देकर अपने पक्ष में वोट करने के लिए मतदाताओं से अपील कर रहा है, तो कोई अपनी छवि को भुनाकर मतदाता डॉक्टरों को अपने पक्ष में बैलेट पेपर भरने की अपील कर रहे हैं। चुनाव मैदान में उतरे लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. प्रितपाल सिंह कहते हैं कि उन्हें 22 साल का अनुभव है। कई सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में वह अपनी सेवाएं दे चुके हैं। आईएमए के साथ जुड़कर डॉक्टरों की समस्याओं को उठाते रहे हैं। वहीं दूसरे उम्मीदवार मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. कर्मवीर गोयल भी अपने अनुभव और स्वास्थ्य क्षेत्र में दिए गए बेहतरीन योगदान को साथ लेकर मतदाताओं के बीच जा रहे हैं। डॉ. गोयल भी पीएमसी के वोटिंग सिस्टम को बैलेट पेपर से हटाकर ऑनलाइन करने व अनक्वालीफाई प्रेक्टिशनरों की समस्या के समाधान ढूंढने पर कार्य करने के मुद्दों को उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी झोंकी ताकत

उम्मीदवार जहां डोर टू डोर कैंपेनिंग में जुटे हुए हैं, वहीं सोशल मीडिया के जरिए भी मतदाताओं तक पहुंच बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पहली बार सोशल मीडिया पर भी डॉक्टरों का चुनावी दंगल नजर आ रहा है। उम्मीदवारों ने अपने लिए वोट अपील के पिक्चर मैसेजिस तैयार किए हैं। जिसे खुद व अपने समर्थकों के जरिए मतदाता डॉक्टरों के वाट्सएप पर भेज रहे हैं, वहीं फेसबुक, इंस्ट्रग्राम व ट्विटर पर लगातार पोस्ट डाल रहे हैं।


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