पीएयू के एक नंबर गेट के समीप बनेगा वोटनिकल गार्डन
पिछले दो दशक से कंकरीट के बढ़ते जाल और विकास की अंधी दौड़ की वजह से पारंपरिक पेड़ पौधों का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है।
आशा मेहता, लुधियाना : पिछले दो दशक से कंकरीट के बढ़ते जाल और विकास की अंधी दौड़ की वजह से पारंपरिक पेड़ पौधों का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए दशकों पुराने दुर्लभ पेड़ पौधों की बलि दे दी। यही वजह है कि मौजूदा समय में पारंपरिक और दुर्लभ पेड़-पौधे अब कम ही दिखाई देते हैं। ऐसे में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) ने दुर्लभ और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके पेड़ पौधों को बचाने और युवा पीढ़ी को इनकी अहमियत समझाने को लेकर बड़ा कदम उठाया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से वोटनिकल गार्डन तैयार किया जा रहा है। यह गार्डन एक एकड़ में होगा। जहां दुर्लभ व खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके ऐसे पौधों को लगाया जाएगा। पीएयू के तीन डिपार्टमेंट कर रहे हैं काम
पीएयू के एस्टेट आफिसर डा. अशोक कुमार ने बताया कि वीसी डा. बलदेव सिंह ढिल्लों की प्रेरणा से यह वोटनिकल गार्डन तैयार करवाया जा रहा है। वीसी चाहते थे कि हम अपनी युवा पीढ़ी और रिसर्च को अपने पुराने पेड़ पौधों के बारे में जानकारी दें, जिसके बारे वे अनजान है। एक तरह से यह लिविंग प्लांट का अजायबघर होगा। पीएयू के तीन विभाग फोरेस्टी, लैंडस्केपिंग और बाटनी डिपार्टमेंट की ओर से मिलकर बोटनिकल गार्डन बनाएंगे। बोटनिकल गार्डन बनाने को लेकर कार्य शुरू कर दिया गया है। उम्मीद है कि जुलाई तक गार्डन बनकर तैयार हो जाएगा। सीता अशोक, रूद्राक्ष, अश्वगंधा व गुड़हल की दुर्लभ प्रजातियों सहित कई पौधे लगेंगे पीएयू के लैंड स्कैप आफिसर डा. आरके दूबे ने बताया कि इस वोटनिकल गार्ड में सीता अशोक, रूद्राक्ष, हरड़, बहेड़ा, रीठा, पीलू, लोहाडू़, गप, किकर, अश्वगंधा, गुड़हल की दुर्लभ प्रजाति, लसूड़ी, अर्जुन, गूलर, चंदन, वट वृक्ष, रोहेड़ा, मीठा इंद्रजौ, जिनको बिलोबा, पीपल की अलग अलग प्रजातियां, बेल, लिविंग फोसिल सहित करीब 20 तरह के दुर्लभ और खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके पौधे लगाएं जाएंगे। यह प्लांट पंजाब में ज्यादा जगह नहीं मिलते हैं। हम पंजाब के साथ लगते राज्यो से इन दुर्लभ पौधों को लेकर आएंगे। प्लांट्स लगाने के बाद उसके नीचे पत्थर पर उसका नाम हिदी, पंजाबी और अंग्रेजी में लिखा जाएगा। हर पेड़ की की अपनी अलग खासियत और अपना अलग उपयोग है। इस बोटनिकल गार्डन को आम लोग भी देखने आ सकेंगे। कैक्टस व सैकुलेट्स गार्डन भी बनेगा डा. आरके दूबे के अनुसार बोटनिकल गार्डन के साथ-साथ हम कैक्टस गार्डन भी बनाने जा रहे हैं। यह पार्किग के पीछे होगा। इस गार्डन में कैक्टस और सेकुलेंट्स की 100 के करीब अलग अलग प्रजातियों को लगाएंगे। यह प्रजातियां भी दुर्लभ ही होंगी, जो आमतौर पर नर्सरी में नहीं मिलती हैं।