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प्रदूषण रोकने की कवायद: अगले साल से चलेंगे जिग जैग तकनीक वाले भट्ठे

-भट्ठों को अपग्रेड करने पर होंगे 25 से 30 लाख खर्च राजेश भट्ट, लुधियाना:प्रदूषण नियंत्रण को लेकर

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 05:50 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 05:50 PM (IST)
प्रदूषण रोकने की कवायद: अगले साल से चलेंगे जिग जैग तकनीक वाले भट्ठे
प्रदूषण रोकने की कवायद: अगले साल से चलेंगे जिग जैग तकनीक वाले भट्ठे

-भट्ठों को अपग्रेड करने पर होंगे 25 से 30 लाख खर्च

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राजेश भट्ट, लुधियाना:प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पंजाब सरकार अब कठोर फैसले लेने से परहेज नहीं करेगी। सूबे में प्रदूषण फैलाने में पुरानी तकनीक से चल रहे ईट-भट्ठों का अहम रोल है। सरकार अब पुराने भट्ठों को अपग्रेड करवाकर प्रदूषण का स्तर कम करने की कवायद में जुट गई है। पंजाब सरकार ने भट्ठा मालिकों को एक साल का वक्त दिया है कि वह अपने भट्ठों को नई जिग जैग तकनीक से अपग्रेड करें ताकि प्रदूषण का स्तर कम हो सके। इसके लिए सरकार की तरफ से भट्ठा मालिकों को नई तकनीक दी जा रही है। हालाकि भट्ठा मालिकों को इसके लिए मोटी राशि इंवेस्ट करनी पड़ रही है। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया कि अगले साल से सूबे में सिर्फ नई तकनीक वाले भट्ठे ही चलेंगे।

राज्य में कुल 3100 ईट-भट्ठे हैं। जो कि पुरानी तकनीक से चल रहे हैं और इसमें कोयले की ज्यादा खपत हो रही है। जिससे प्रदूषण भी ज्यादा फैल रहा है। पंजाब साइंस एंड टेक्नालॉजी डिपार्टमेंट ने ईंट भट्ठों का नया मॉडल तैयार किया है। जिसके हिसाब से भट्ठों से होने वाला प्रदूषण एक तिहाई से भी कम हो जाएगा। भट्ठों को अपग्रेड करने के लिए 25 से 30 लाख रुपये खर्च करने होंगे। नई तकनीक से जहा प्रदूषण का स्तर कम होगा वहीं उनकी लागत भी कम होगी। सरकार का दावा है कि भट्ठों को अपग्रेड करने में जितनी लागत आएगी उसे भट्ठा मालिक डेढ़ साल में कवर कर लेंगे।

पुराने और नई तकनीक के भटठों का अंतर

पुराने भट्ठे से प्रदूषण स्तर 750 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

नई तकनीक से प्रदूषण स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

पुराने भट्ठे से ए ग्रेड ईंट 60 फीसदी निकलती हैं।

नई तकनीक से ए ग्रेड ईंट 80 फीसदी निकलेंगी।

-कायले की खफत आधी रह जाएगी

- प्रोडक्शन कॉस्ट में कमी आ जाएगी।

पराली सीजन में भट्ठे चलाने पर लगेगा प्रतिबंध

सर्दियों का सीजन शुरू होते ही सूबे में 3100 में से 2000 के करीब भट्ठे बंद हो जाते हैं। सिर्फ 1100 के करीब भट्ठे ही अक्तूबर से चलते हैं। पराली सीजन में ज्यादा प्रदूषण न हो इसके लिए सरकार पराली सीजन में भट्ठे बंद करने के आदेश जारी करेगी। इसके लिए सरकार भट्ठा मालिकों के साथ बातचीत कर चुकी है।

भट्ठा मालिकों को किया जाएगा प्रेरित

भट्ठा मालिक 30 लाख रुपये लगाकर अपने भट्ठों को अपग्रेड करने के लिए जल्दी तैयार नहीं होंगे। इसके लिए सरकार उनके साथ बैठक आयोजित करेगी और साथ ही उन्हें इसकी वजह से होने वाले फायदों से रूबरू करवाएगी। इसके लिए सेमिनार व वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा। ईंट भट्ठों को अपग्रेड करने की मुहिम शुरू की जा रही है। इससे प्रदूषण का स्तर एक तिहाई से कम हो जाएगा। हम भट्ठा मालिकों के साथ संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसकी तकनीक भी दे रहे हैं। भट्ठा मालिकों को अगले साल तक इसे अपनाना ही होगा। पराली सीजन में भट्ठों को बंद रखा जाएगा। इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी किए जाएंगे।

काहन सिंह पन्नू, डायरेक्टर मिशन तंदरूस्त पंजाब


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