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उद्योगपतियों को आस, लंबित मांगों को सिरे चढ़ाएंगे 'सरकार'

सत्ता परिवर्तन को लेकर उद्यमियों में काफी उत्साह है। चन्नी सरकार की नई कैबिनेट से उद्योगपतियों को मांगों के पूरा होने की उम्मीद जगी है। पंजाब में उद्योग काफी लंबे समय से सरकार के खिलाफ शिकायतें दर्ज करवा रहे था लेकिन मुख्यमंत्री की व्यस्तता के चलते उनकी शिकायतों पर कभी ध्यान नहीं दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 07:30 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 07:30 AM (IST)
उद्योगपतियों को आस, लंबित मांगों को सिरे चढ़ाएंगे 'सरकार'
उद्योगपतियों को आस, लंबित मांगों को सिरे चढ़ाएंगे 'सरकार'

मुनीश शर्मा, लुधियाना : सत्ता परिवर्तन को लेकर उद्यमियों में काफी उत्साह है। चन्नी सरकार की नई कैबिनेट से उद्योगपतियों को मांगों के पूरा होने की उम्मीद जगी है। पंजाब में उद्योग काफी लंबे समय से सरकार के खिलाफ शिकायतें दर्ज करवा रहे था, लेकिन मुख्यमंत्री की व्यस्तता के चलते उनकी शिकायतों पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। मेनिफेस्टो में उद्योगों के लिए पांच रुपये यूनिट बिजली का वादा करने के बावजूद उद्योगो को आठ से 20 प्रति युनिट तक बिजली के बिल भरने पड़ रहे हैं। जीएसटी और वैट रिफंड के लिए अधिकारियों के पास उद्यमियों को चक्कर काटने पड़ रहे हैं। बातचीत के दौरान उद्यमियों ने ये बातें कहीं।

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फोपसिया अध्यक्ष बदीश जिन्दल ने कहा कि सरकार से अपील करेंगे कि नई कैबिनेट के गठन के बाद उद्योगों के विकास के लिए बैठकें कर समस्याएं सुनी जाएं और मुख्यमंत्री पांच रुपये प्रति युनिट बिजली के वादे को आने वाले चुनावों से पूर्व लागू करें। इसी वादे को लेकर उद्योगों को प्रफुल्लित करने का रोडमैप सरकार ने दिखाया था। सरकार के बदलावों के साथ साथ इंडस्ट्री में सुधार के बदलाव होने की उम्मीद है। चार सालों में पंजाब के उद्योगों के उत्थान के लिए कोई काम नहीं हो पाया। इसमें सबसे बड़े चुनावी वायदे बिजली पांच रुपये को ही नहीं पूरा किया गया। इसके साथ इंडस्ट्रीयल इंफ्रास्ट्रक्चर और सिगल विडो क्लीयरेंस को लेकर अहम रुप से काम करने की जरूरत है। इनवेस्ट पंजाब और सिगल विडो पूरी तरह से फ्लाप : नरिदर भमरा

फास्टनर मैन्यूफैक्चरर एसोसिएशन के प्रधान नरिदर भमरा ने कहा कि कोरोना काल में भी जीएसटी अधिकारियों ने पंजाब में डेढ़ लाख से उपर केस स्क्रूटनी में लगा दिए। सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। सरकार द्वारा बनाए गए इनवेस्ट पंजाब और सिगल विडो पूरी तरह से फ्लाप साबित हुए और पंजाब के उद्योग धीरे धीरे दूसरे राज्यों की ओर पलायन करते रहे। इन संकटों के साथ साथ पंजाब में किसानों आंदोलन के चलते उद्यमियों को भी काफी नुक्सान झेलना पड़ा और हफ्तों तक पंजाब में रेल यातायात पूर्ण रूप से ठप रहा। पंजाब के उद्योग पूर्व मुख्यमंत्री से इसलिए भी नाराज रहे, क्योंकि उन्होंने कोविड के दौरान दो महीने का बिजली का फिक्सड चार्जेज माफ करने का एलान तो किया लेकिन बाद में उद्योगों को भरने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस स्थिति के चलते उद्योग न तो पंजाब में कोई एक्सपेंशन के लिए तैयार थे और न ही नए उद्योग पंजाब में आ रहे थे। अब नई सरकार बनने के बाद उद्योगों को कुछ हद तक भ्रष्टाचार से निजात मिलने की संभावना है। कुछ ही माह बचे, सरकार को वादों पर सोचना चाहिए : दर्शन डावर

निटवियर क्लब के प्रधान दर्शन डावर ने कहा कि सरकार को अब बचे समय में हर सेक्टर के बारे में सोचना चाहिए। इसमें इंडस्ट्री को इग्नोर न किया जाए। यह सेक्टर संपन्न होगा, तो अधिक नौकरियां और पंजाब की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी। भ्रष्टाचार नई सरकार के मुख्य एजेंडे पर है, लेकिन उद्योगों को यह भी चिता सता रही है कि मुफ्त स्कीमों को बढ़ावा देने के चलते कहीं उद्योगों पर बोझ न डाल दिया जाए।


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