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उद्यमी बोले बिना पानी के इंडस्ट्री का चल पाना असंभव

औद्योगिक नगरी लुधियाना के डाइंग टैक्सटाइल एवं इंजीनियरिग इंडस्ट्री की ओर से पंजाब वाटर रेगुलेशन एवं डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन करण अवतार सिंह के संग जूम एप पर बैठक की गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 03:20 AM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 03:20 AM (IST)
उद्यमी बोले बिना पानी के इंडस्ट्री का चल पाना असंभव
उद्यमी बोले बिना पानी के इंडस्ट्री का चल पाना असंभव

जागरण संवाददाता, लुधियाना : औद्योगिक नगरी लुधियाना के डाइंग, टैक्सटाइल एवं इंजीनियरिग इंडस्ट्री की ओर से पंजाब वाटर रेगुलेशन एवं डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन करण अवतार सिंह के संग जूम एप पर बैठक की गई।

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इस दौरान उद्योगपतियों ने कहा कि बिना पानी के इंडस्ट्री के संचालन की कल्पना नहीं की जा सकी। पानी इंडस्ट्री को चलाने के लिए एक मुख्य जरूरत है। लेकिन नई गाइडलाइन के मुताबिक ग्राउंड वाटर के इस्तेमाल के नियमों को कड़ा किया जा रहा है, जबकि नगर निगम की ओर से इंडस्ट्री की जरूरत के मुताबिक पानी मुहैया करवा पाना संभव नहीं है।

सीआइसीयू के प्रधान उपकार सिंह आहुजा ने कहा कि इंडस्ट्री को राहत देने के लिए अहम रूप से काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पानी को रिचार्ज करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिग सबके लिए अनिवार्य होना चाहिए। सरकार को इंडस्ट्री को पानी मुहैया करवाने के लिए खुद सुनिश्चित करना चाहिए। सरकार ने जिन इलाकों को ब्लैक जोन घोषित किया है, उनका दोबारा रि ऑडिट होना चाहिए।

इस दौरान करण अवतार सिंह ने कहा कि सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक नई इंडस्ट्री को ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही अब सिपलीफिकेशन को पंजाब में ऑनलाइन के माध्यम से एनओसी की सुविधा प्रदान की जाएगी।

डाइंग इंडस्ट्री से आइके कपिला ने कहा कि सिचाई के लिए 94 प्रतिशत, डोमेस्टिक के लिए चार से पांच प्रतिशत और इंडस्ट्री के लिए केवल दो प्रतिशत पानी इस्तेमाल होता है।

सिंचाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है इंडस्ट्री का रिट्रीट पानी

गंगा एक्रोवूल के अमित थापर ने कहा कि पीपीसीबी ग्राउंड वाटर रियूज के लिए अहम भूमिका अदा कर सकता है। इंडस्ट्री के पानी को ट्रीट कर दोबारा सिचाई में इस्तेमाल किया जा सकता है। ओपी बस्सी ने पानी की लिकेज से होने वाली बर्बादी के लिए निगम को सक्रिय होने की बात कही।

फास्टनर एसोसिएशन के प्रधान नरिदर भमरा ने कहा कि पानी इस्तेमाल की लिमिट में बढ़ोतरी होनी चाहिए। एससी रलहन ने कहा कि इंडस्ट्री पानी को रिट्रीट कर दोबारा डाइंग इंडस्ट्री को इस्तेमाल को देती है, एमएसएमई को लिमिट से छूट देनी चाहिए। यूसीपीएमए प्रधान डीएस चावला ने कहा कि इंडस्ट्री जेबीआर के माध्यम से पानी ट्रीटमेंट करवाती है, जो दोबारा इस्तेमाल लायक हो जाता है। इसमें बढ़ोतरी कर वाटर सेव किया जा सकता है। विजय मेहतानी ने कहा कि डाइंग इंडस्ट्री लो वाटर यूज कांसेप्ट पर काम कर रही है और पानी की खपत काफी गिरी है। इस दौरान रजच सूद और जेएस भोगल ने भी विचार रखे।


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