Union Budget 2021: अधिक इंसेंटिव से ओवरसीज मार्केट में बढ़ सकती है हिस्सेदारी, कच्चे माल के निर्यात पर लगाया जाए अंकुश
Budget 2021 Expectations निर्यातकों का तर्क कच्चे माल की बजाए तैयार माल के निर्यात पर सरकार काे फोकस करना चाहिए। निर्यातकों का तर्क है कि चालू वित्तवर्ष के दौरान निर्यात का आंकड़ा 290 बिलियन डालर पर सिमट सकता है
लुधियाना, [राजीव शर्मा]। Budget 2021 Expectations : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी 2021 को संसद में अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करेंगी। कोरोना महामारी से जूझने के बाद सरकार पहला बजट पेश कर रही है। नतीजतन इससे हर वर्ग को खासी उम्मीदें हैं। उद्यमियों को भी लगता है कि इस बार बजट इंडस्ट्री फ्रेंडली होगा। इसके संकेत वित्त मंत्री भी दे चुकी हैं। निर्यातकों का तर्क है कि चालू वित्तवर्ष के दौरान निर्यात का आंकड़ा 290 बिलियन डालर पर सिमट सकता है, लेकिन यदि सरकार हाथ थामे तो वित्त वर्ष 2021-22 में यह उछल कर 350 बिलियन डालर पर पहुंच सकता है।
ऐसे में निर्यातकों का तर्क है कि सरकार कच्चे माल के निर्यात पर अंकुश लगाकर तैयार माल के निर्यात को प्रोत्साहित करे, इससे जहां औद्योगिक सेक्टर में रौनक लौटेगी, वहीं घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग बेस भी मजबूत होगा। इसके अलावा बजट में यह सुनिश्चित किया जाए कि माल के साथ टैक्स का बोझ भी निर्यात न हो, ऐसा होने से उद्यमी ओवरसीज मार्केट में ढंग से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। साथ ही बजट में निर्यातकों के हजारों करोड़ रुपये के अटके रिफंड जारी करने के लिए फंड का प्रावधान किया जाए।
वैश्विक वाणिज्यक कारोबार में 21 फीसद का इजाफा होने की संभावना
उद्यमियों का अनुमान है कि वर्ष 2020 में वैश्विक वाणिज्यक कारोबार की मात्रा में 13 फीसद की गिरावट हो सकती है, जबकि वर्ष 2021 में 21 फीसद का इजाफा होने की संभावना है। उद्यमी मानते हैं कि यदि सरकार ने पांच लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक तेजी से पहुंचना है तो इसमें निर्यात क्षेत्र में इजाफा करना अहम है। इसके लिए निर्यातकों को अधिक इंसेटिव एवं विश्व बाजार के मुकाबले लेवल प्लेइंग फील्ड मुहैया कराना होगा।
विदेशी बाजार में मार्केटिंग करना निर्यातकों के लिए बड़ी चुनौती
उद्यमियों के अनुसार विदेशी बाजार में मार्केटिंग करना निर्यातकों के लिए बड़ी चुनौती है। इसमें लागत काफी आती है। बजट में इसे कम करने के उपाय करने होंगे। इसेलिए अलग से सब्सिडी का प्रावधान किया जाए। इसेलिए निर्यात प्रोत्साहन फंड बनाया जा सकता है। इसके अलावा निर्यातकों को रिसर्च एंड डेवलपमेंट एवं प्रोडक्ट डेवलपमेंट पर किए खर्च को आयकर में अधिक छूट दी जाए। क्योंकि देश में आरएंडडी पर निवेश एक फीसद से भी कम है, इसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
हजारों करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए जाए
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन का कहना है कि निर्यातकों के हजारों करोड़ रुपये के रिफंड सरकारी विभागों में अटके हुए हैं। इनको तुरंत जारी करने के लिए बजट में अलग से फंड का प्रावधान किया जाए। इसके अलावा निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए अलग से पैकेज दिया जाए। उनके अनुसार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल करना होगा।
छोटे निर्यातकों को भी मिले छूट: हरीश दुआ
निटवियर अपैरल एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन के प्रधान हरीश दुआ का कहना है कि कारपोरेट की तर्ज पर छोटे निर्यातकों को भी आयकर में छूट दी जाए। इससे छोटे निर्यातक भी बेहतर ढंग से बाजार की चुनौतियों का मुकाबला कर सकेंगे। दूसरे कच्चे माल की जगह वैल्यू एडीशन के साथ तैयार माल के निर्यात को प्रोत्साहित किया जाए। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। निर्यातकों को मिल रही ब्याज में सब्सिडी स्कीम को पांच साल के लिए बढ़ाया जाए। इंडस्ट्री के कच्चे माल की कीमतों पर अंकुश के लिए उपाय किए जाएं। काटन के निर्यात पर पाबंदी लगाई जाए। साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग के लिए भी सरकार सब्सिडी मुहैया कराए।