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इच्छा व आवश्यकता धन के अभाव में पूरी नहीं हो सकती :पीयूष मुनि

संस, लुधियाना : सिविल लाइन स्थित महावीर भवन में चातुर्मास हेतु विराजित उपप्रवर्तक पीयूष मुनि ने प्रवचन

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 06:55 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 06:55 PM (IST)
इच्छा व आवश्यकता धन के अभाव में पूरी नहीं हो सकती :पीयूष मुनि
इच्छा व आवश्यकता धन के अभाव में पूरी नहीं हो सकती :पीयूष मुनि

संस, लुधियाना : सिविल लाइन स्थित महावीर भवन में चातुर्मास हेतु विराजित उपप्रवर्तक पीयूष मुनि ने प्रवचन सभा में कहा कि व्यक्ति की कोई भी इच्छा व आवश्यकता धन के अभाव में पूरी नहीं हो सकती। अर्थ काम का साधन है। व्यक्ति कामनाओं का पुतला है। अगर व्यक्ति अपनी कामनाओं को छोड़ भी देवे तो भी उसे अपनी जरूरतों को तो पूरा ही करना पड़ता है। सामाजिक व पारिवारिक जीवन में अनेक आवश्यकताएं इसके पीछे लगी ही रहती हैं। जैसे विवाह में व्यर्थ के आडंबर व्यक्ति की बढ़ी हुई कामना का ही विराट रूप है। सामाजिक विषमता के वातावरण में न चाहते हुए भी व्यक्ति को सब कुछ मजबूरी वश करना ही पड़ता है। धन की कमी में व्यक्ति न तो अपनी इच्छा पूरी कर सकता है व न ही जरूरतें पूरी कर पाता है।

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यह बात अलग है कि वह अपनी इच्छा अनुसार धन इकट्ठा कर पाता है अथवा नहीं परंतु उसका प्रयत्न इतना तो अवश्य रहता ही है कि वह पर्याप्त धन इकट्ठा कर लेवे जिससे उसे किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े और उसके परिजन किसी की दया के मोहताज न होवें। व्यक्ति को जब धन छोड़ता है तो सारी दुनिया ही उसे छोड़ देती है। जब सौभाग्य के कारण पुन: धन से संपन्न हो जाता है तो सारी दुनिया फिर उसके चरणों में लौटने लगती है। धन बहुत कुछ होने पर भी सबकुछ नहीं है। धन से कलंक का टीका नहीं मिटाया जा सकता, मौत को टाला नहीं जा सकता, कर्म के फल को बदलना संभव नहीं है।

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