Move to Jagran APP

औद्योगिक छवि की चमक को बरकरार नहीं रख पा रहा लुधियाना

देश के फूड बाउल के तौर पर प्रख्यात पंजाब ने कृषि में महारत पाने के साथ ही औद्योगिककरण का सपना भी देखा और लुधियाना लघु उद्योगों का गढ़ बन गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 10:55 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 10:55 AM (IST)
औद्योगिक छवि की चमक को बरकरार नहीं रख पा रहा लुधियाना

राजीव शर्मा, लुधियाना : देश के फूड बाउल के तौर पर प्रख्यात पंजाब ने कृषि में महारत पाने के साथ ही औद्योगिककरण का सपना भी देखा और लुधियाना लघु उद्योगों का गढ़ बन गया। इसी के दम पर लुधियाना ने विश्व में अपनी पहचान कायम की। शहर के कारपोरेट घरानों हीरो, एवन, क्रीमिका, वर्धमान, ओसवाल, नाहर, ट्राईडेंट, मालवा, भारती एंटरप्राइजेज इत्यादि का इसमें अहम योगदान है, लेकिन बदलते परिवेश में लुधियाना अपनी औद्योगिक चमक बरकरार नहीं रख पा रहा है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में जारी ईज ऑफ डुइंग बिजनेस की रैंकिंग में पंजाब बीसवें स्थान पर आया है। ग्लोबलाइजेशन के दौर में सुरक्षा चक्र टूट गया

loksabha election banner

1954 में भाखड़ा डैम शुरू हुआ और सस्ती बिजली उद्योगों की 'पावर' बनी, साथ ही शुरुआत में आठ सौ से ज्यादा उत्पादों को लघु उद्योगों के लिए रिजर्व करके इस सेक्टर को एक अभेद सुरक्षा चक्र प्रदान किया, लेकिन ग्लोबलाइजेशन के दौर में यह सुरक्षा चक्र भी टूट गया और छोटे उद्योगों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों से चुनौतिया मिलने लगीं और वे उनका मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। दूसरा यहा पर अब बिजली भी लगातार महंगी हो रही है। हालाकि सरकार पाच रुपये में बिजली देने का दम भर रही है, लेकिन छोटे एवं मध्यम उद्योगों को यह महंगी पड़ रही है। इससे उनकी लागत बढ़ रही है और वे प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रहे हैं। सरकार ने फ्रेट इक्वलाइजेशन स्कीम वापस ले ली

संसाधनों की कमी, कमजोर मार्केटिंग के कारण लघु उद्योग दिक्कत में हैं। दूसरे जम्मू कश्मीर, हिमाचल एवं उत्तराखंड को मिले आर्थिक पैकेज ने भी यहा के उद्योगों के लिए नया चैलेंज पेश किया। पैकेज में मिली सहुलियतों के कारण यहा पर बना माल महंगा साबित होने लगा। इसके अलावा पोर्ट से दूरी का खामियाजा भी लुधियाना को उठाना पड़ रहा है। शुरुआत में सरकार ने फ्रेट इक्वलाइजेशन स्कीम दी, लेकिन वह भी बाद में वापस ले ली गई। सरकार की ओर से लुधियाना के उद्यमियों को कोई सहुलियत नहीं है। हालत यह है कि अब तक एयरपोर्ट की बेहतर सुविधा तक नहीं मिल पाई है। फोकल प्वाइंट खस्ता हाल में हैं।

सरकारी सपोर्ट के अभाव में उद्योगों का हो रहा पलायन

महंगी जमीन, कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर, फ्रेट सब्सिडी न होना इत्यादि उद्योग के विकास में बाधा साबित हो रहे हैं। सरकारी सपोर्ट के अभाव में उद्योगों का यहा से पलायन हो रहा है। इसकी शुरुआत 1983 में हीरो गु्रप से हुई। इसके बाद तमाम बड़े कारपोरेट घरानों ने विस्तार के लिए देश के अन्य राज्यों को चुना और एक अनुमान के अनुसार यहा के उद्यमी अब तक करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश सूबे से बाहर कर चुके हैं। यहा पर सरकार का सिंगल विंडो सिस्टम आज तक भी प्रभावी नहीं हो पाया है। उद्यमियों को नई इकाई लगाने के लिए सरकारी औपचारिकताएं पूरी करने में औसतन छह माह का वक्त लग जाता है। दूसरे बड़े उद्योग न आने के कारण भी यहा का औद्योगिक विकास प्रभावित हुआ। जानकारों की मानें तो लुधियाना की औद्योगिक पहचान को बरकरार रखने के लिए सरकार को नई सहुलियतें देनी होंगी। यहा के औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा और उद्योगों को अन्य राज्यों के मुकाबले लेवल प्लेइंग फील्ड मुहैया कराना होगा। एक नजर लुधियाना के उद्योग पर

-पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना जिले में कुल 59,432 रजिस्टर्ड इकाइया हैं। इनमें 615853 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यहा पर 918,675 लाख रुपये का निवेश हुआ है और इनमें 7008716 लाख रुपये सालाना का उत्पादन हो रहा है।

-मार्च 2017 तक के आकड़ों के अनुसार टेक्सटाइल, डाइंग, प्रोसेसिंग, होजरी, गारमेंट एवं एंब्राइडरी के 13664 यूनिट हैं। इनमें 198407 लोगों को रोजगार मिला हुआ है और 294940 लाख रुपये का निवेश एवं 2173404 लाख रुपये का उत्पादन हो रहा है।

-साइकिल एवं पा‌र्ट्स के 4046 यूनिट हैं। इनमें 78733 लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जबकि 89566 लाख का निवेश और 1847640 लाख रुपये का उत्पादन हो रहा है।

-फूड उत्पाद एवं बेवरेजेज के 1368 यूनिट हैं और इनमें 14654 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इनमें 33802 लाख का निवेश और 153845 लाख का उत्पादन हो रहा है।

-फेब्रिकेटेड मेटल उत्पादों के 4978 यूनिट हैं। इनमें 47460 लोगों को रोजगार मिला है और 80463 लाख का निवेश एवं 242635 लाख का उत्पादन हो रहा है।

-मशीनरी एवं उपकरण बनाने के 4371 यूनिट हैं। इनमें 44532 लोगों को रोजगार मिला है। इनमें 88683 लाख का निवेश और 412717 लाख रुपये का उत्पादन हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.