लुधियाना से बाबा जसवंत सिंह की अस्थियां कीरतपुर साहिब के लिए रवाना, दर्शनाें के लिए उमड़ी संगत
गुरुद्वारा साहिब में अरदास की रस्म पूरी होने के बाद सतनाम-वाहेगुरु के जाप के बीच बाबा जसवंत सिंह के उत्तराधिकारी डा. अनहद राज सिंह अपने सिर पर बाबा जी की अस्थियां लेकर निकले और फूलों से सजे वाहन में रखा।
लुधियाना, जेएनएन। गुरुद्वारा नानकसर समराला चौक से जुड़ी संगत ने आंसुओं के साथ बाबा जसवंत सिंह की अस्थियों को कीरतपुर साहिब के लिए रवाना किया। फूलों से सजे वाहन में बाबा जसवंत सिंह की रखी अस्थियों के दर्शन के लिए लोग उमड़ पड़े।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को बाबा जसवंत सिंह ने चोला छोड़ दिया था। रविवार को बाबा जसवंत सिंह की ओर से निर्माणाधीन श्री गुरु अमरदास चेरिटेबल अस्पताल परिसर में ही अंतिम संस्कार किया गया था। गुरुद्वारा पातालपुरी साहिब (कीरतपुर) ले जाने के क्रम में रास्ते में आने वाले गुरुद्वारा साहिबों में भी अरदास की जाएगी।
गुरुद्वारा नानकसर साहिब में सुबह से ही संगत अपने संत की अस्थियों की रवानगी के लिए उमड़ पड़ी। गुरुद्वारा साहिब में अरदास की रस्म पूरी होने के बाद सतनाम-वाहेगुरु के जाप के बीच बाबा जसवंत सिंह के उत्तराधिकारी डा. अनहद राज सिंह अपने सिर पर बाबा जी की अस्थियां लेकर निकले और फूलों से सजे वाहन में रखा। वाहन के आगे बाबा जसवंत सिंह की विशाल तस्वीर फूलों से सजा कर लगाई गई थी।
कीरतपुर के लिए काफिला रवाना हुआ और उसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के वाहन शामिल थे। इनमें ज्यादातर लुधियाना के अलावा अन्य राज्यों से विशेष तौर पर पहुंचे श्रद्धालु थे। बताया जाता है कि कुछ श्रद्धालु विदेश से भी आए हैं, लेकिन उन्हें दिल्ली में ही एयरपोर्ट पर क्वारंटाइन किया गया है।
हर साल विदेश से आते हैं सैकड़ों श्रद्धालु
प्रत्येक साल गुरुद्वारा नानकसर साहिब में विशेष समागम का आयोजन होता है, जिसमें अन्य राज्यों के अलावा विदेशों से भी सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेने आते हैं। उनके लिए गुरुद्वारा साहिब में ठहरने और खानपान की विशेष व्यवस्था होती है। इस समागम के दौरान चूंकि बाबा जी संगत से रूबरू होते थे, इसलिए उनके दर्शनों के अभिलाषी विशेष तौर पर पहुंचते रहे।