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Farmer First Project ने बरनाला के 900 किसानों की जिंदगी बदली, पशुपालन से भी कमा रहे मुनाफा

गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी को दिए गए Farmer First Project ने बरनाला के पांच गांवों चनणवाल कलाला महिला कलां मूम व धनेर के

By Edited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 09:00 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 04:01 PM (IST)
Farmer First Project ने बरनाला के 900 किसानों की जिंदगी बदली, पशुपालन से भी कमा रहे मुनाफा
Farmer First Project ने बरनाला के 900 किसानों की जिंदगी बदली, पशुपालन से भी कमा रहे मुनाफा

जेएनएन, लुधियाना : भारतीय खेती खोज परिषद की ओर से गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी को दिए गए Farmer First Project ने बरनाला के पांच गांवों चनणवाल, कलाला, महिला कलां, मूम व धनेर के 900 परिवारों की जिंदगी बदल दी है। इनमें ज्यादातर किसान थे, जो केवल कृषि से जुड़े हुए थे। लेकिन इस प्रोजेक्ट से जुडऩे के बाद किसान खेती के साथ साथ पशुपालन को बेहतर ढंग से करते मुनाफा कमा रहे हैं।

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बुधवार को प्रोजेक्ट के साथ जुड़े 180 किसानों को गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी का दौरा किया। यहां उन्हें यूनिवर्सिटी के अलग-अलग विभागों में चल रही शोधों की जानकारी दी गई। मौके पर मौजूद बरनाला के ब्लॉक महिला कलां के गांव कलाल के किसान गुरविंदर सिंह ने बताया कि वह डेयरी फार्मर हैं। प्रोजेक्ट से पहले डेयरी फार्मिंग में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। क्योंकि जानकारी कम थी। लेकिन वेटरनरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने फार्मर फस्र्ट प्रोजेक्ट के तहत उन्हें पशु पालन से संबंधित नई जानकारियां दी। उन्हें हरे चारे और पराली से दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आचार बनाना सिखाया। इसके अलावा पशुओं को होने वाली बीमारियों व उससे निपटने के तरीके बताए। छोटे स्तर पर सब्जियों की काश्त की जानकारी दी। वहीं इसी गांव के किसान मनजिंदर सिंह ने कहा कि Farmer First Project से उन्हें बहुत फायदा हुआ है। उन्हें डेयरी पालन व खेतीबाड़ी में इस्तेमाल होने वाली कई तरह के जांच उपकरण, सब्जियों की किट फ्री में उपलब्ध करवाई जा रही है।

जमींदार तलविंदर सिंह ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत उन्हें पशुओं को होने वाली बीमारियों के इलाज के दौरान की दवाइयों का इस्तेमाल करना है। दूध व मीट से अलग-अलग तरह के उत्पादन बनाने और कृषक व पशु पालन से संबंधित साहित्य उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिससे उनकी जानकारी में काफी इजाफा हुआ और जानकारी को अमल में लाने से उन्हें मुनाफा हो रहा है। 

 आय के साधन जुटाने के तरीकों की दी जा रही जानकारी

प्रोजेक्ट के मुख्य निरीक्षक डॉ. एसके बांसल के अनुसार भारतीय खेती खोज परिषद ने पहले दो सालों के लिए यह प्रोजेक्ट दिया था। लेकिन इसकी सफलता को देखते हुए अब इसे दो साल और बढ़ा दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत इन पांच गांवों के किसानों को खेतीबाड़ी के साथ अधिक से अधिक आय के साधन जुटाने के तरीकों के बारे में बताया जा रहा है। इसके लिए फ्री ट्रेनिंग दी जा रही है।

 

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