पराली संकट खत्म करने को इस साल शुरू होंगे 42 बायोगैस प्लांट
-पिछले साल पराली न जलाने से 1.50 लाख टन यूरिया व 38 हजार टन डीएपी की खपत घटी -पंजाब में द
-पिछले साल पराली न जलाने से 1.50 लाख टन यूरिया व 38 हजार टन डीएपी की खपत घटी
-पंजाब में दो वर्षो में कुल 400 बायोगैस प्लांट लगाने की योजना, किसानों को करेंगे जागरूक
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जागरण संवाददाता, लुधियाना : प्रदेश में धान की कटाई का सीजन अगले कुछ दिनों में शुरू होने वाला है। पिछले साल किसानों के विरोध को देखते हुए इस बार पंजाब सरकार पराली सीजन से पहले ही तैयारियों में जुट गई। पराली प्रबंधन के लिए सरकार इस सीजन में 42 बायोगैस प्लांट लगाने जा रही है, जबकि आगामी दो वर्षो सूबे में कुल 400 बायोगैस प्लांट लगाए जाने हैं। सरकार किसानों को पराली न जलाने के फायदे भी गिना रही है।
जिला स्तर पर एनजीओ के साथ बैठकें की जा रही हैं। रविवार को मिशन 'तंदुरुस्त पंजाब' के डायरेक्टर काहन सिंह पन्नू ने लुधियाना में एनजीओ, शैक्षणिक संस्थाओं व अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ बैठक कर पराली प्रबंधन की जानकारी दी।
पन्नू ने बताया कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण तो होता ही है, मिट्टी की ताकत भी कम होती है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षो में पराली न जलाने से यूरिया की खपत में 1.50 लाख टन व डीएपी खाद की खपत में 38 हजार टन की कमी आई है। इससे किसानों की लागत कम हो गई, दूसरा मिट्टी की ताकत में भी सुधार हो रहा है। 30 लाख हेक्टेयर में पराली की खेती
पंजाब में 30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर धान की खेती हो रही है। इससे प्रति वर्ष 2.5 करोड़ टन पराली निकलती है। अगर एक टन पराली जलाई जाती है, तो उससे दो क्विंटल राख पैदा होती है। साथ ही खतरनाक गैसें उत्पन्न होती है, जो इंसानों के साथ साथ जानवरों के लिए भी घातक हैं। मोबाइल एप से मिलेगी जानकारी
किसानों को मशीनरी का सही इस्तेमाल करने की जानकारी देने के लिए सरकार एक मोबाइल एप तैयार कर रही है। यह एप किसानों को मशीनरी के इस्तेमाल करने के तरीकों के बारे में जानकारी देगा। इसके अलावा किस मशीन के इस्तेमाल से उन्हें ज्यादा फायदा होगा यह जानकारी भी एप में होगी। दीवाली पर पटाखे न चलाएं
ईको सिख संस्था के साथ अन्य संस्थाओं ने मिलकर बचत भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ नगर निगम, सेहत विभाग समेत कई विभागों के अफसर भी मौजूद रहे। काहन सिंह पन्नू ने कहा कि दीवाली पर पटाखे न चलाए जाएं, क्योंकि पटाखों का दीवाली से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवान राम के अयोध्या लौटने पर घी के दिए जलाए गए थे और खुशियां मनाई गई थीं। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को हिदायतें जारी की हैं कि स्कूलों में बच्चों को इसके लिए प्रेरित करें। लुधियाना में 40 फीसद की कमी
डिप्टी कमिशनर प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले किसानों व लोगों में वातावरण को बचाने के प्रति जागरूकता आ रही है। लुधियाना में साल 2016 के मुकाबले 2017 में पराली 40 फीसद व गेहूं की नाड़ 55 फीसद कम जलाई गई, जबकि जिले के 45 गांवों बिल्कुल भी पराली नहीं जलाई। इस कार्यक्रम के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बलवंत सिंह रामूवालिया ने काहन सिंह पन्नू को सम्मानित भी किया।