Coronavirus Effect: ट्रेनें कम चलने का फायदा उठा रहे बस आपरेटर, यूपी-बिहार जाने वालों काे महंगे दाम पर बेच रहे टिकट
बस आपरेटरों के अलावा बसों को किराये पर लेकर चलाने वाले लोग भी उसमें शामिल हो गए। टूरिस्ट बसों में जाने वाले लोगों से मोटा किराया वसूला जा रहा है। जिससे सरकारी राजस्व को तो चूना लगाया ही जा रहा है।
लुधियाना [राजन कैंथ]। कोविड-19 के दौर में दूसरे प्रदेश के मजदूरों की जरूरत का फायदा उठाते हुए शहर के हर कोने में अवैध बस अड्डे कुकरमुत्तों की तरह निकल आए। कोरोना काल में दूसरे राज्यों से आने व जाने वाले यात्रियों की जरूरत का फायदा उठाते हुए निजी बस आपरेटरों ने शहर के करीब करीब हर इलाके में अपने स्टाल लगा दिए है। हालांकि पहले मुख्य बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन के बाहर टूरिस्ट बसों के अवैध अड्डे बने हुए थे। जहां से सवारियों को भरकर दूसरे राज्यों में भेजा जाता था।
आपरेटरों के अलावा बसों को किराये पर लेकर चलाने वाले लोग भी उसमें शामिल हो गए। टूरिस्ट बसों में जाने वाले लोगों से मोटा किराया वसूला जा रहा है। जिससे सरकारी राजस्व को तो चूना लगाया ही जा रहा है। उन बसों में सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी नहीं है। सब कुछ देखते हुए भी अधिकारियों ने इस और से अपनी आंखें मूंद रखी हैं।
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बिहार जानें के लिए वसूल रहे तीन हजार
रेलवे की आवाजाही रुकने के चलते बस आपरेटरों ने मौके का फायदा उठाया। जिले में मजदूरी के लिए आने वाले यात्रियों को उत्तर प्रदेश के लिए जहां 400-500 रुपये किराया खर्च करना पड़ता था, वहीं निजी आपरेटर उनसे 1800 से दाे हजार रुपये तक वसूल कर रहे हैं। बिहार जाने के लिए रेल में मजदूरों को 700 से 800 रुपये किराया देना पड़ता है। मगर बस में जाने के लिए मजबूरन उन्हें तीन हजार रुपये तक देने पड़ रहे हैं। दैनिक जागरण टीम ने दिन में शहर का जायजा लिया तो कई जगहों पर ऐसी बसें खड़ी नजर आ गईं, जिनमें सफर करने के लिए मजदूर सामान उठाए भटकते हुए मिल गए। सबसे पहले टीम संगीत सिनेमा के पास पहुंची। वहां खड़ी बस की पास ही कुर्सी लगा कर बैठे लोग बुकिंग करते नजर आ गए।
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बिचौलिए भी कूट रहे मुनाफा
प्रताप चौक के पास भी एक वैसी ही बस खड़ी थी। उसमें सफर करने वालों की बुकिंग के लिए भी पास ही टेबल कुर्सी लगा कर बैठे लोग टिकट काट रहे थे। उसके बाद मिलर गंज पहुंचे तो वहां स्लीपर कोच खड़ी थी। बाहर बैठे लोग टिकट काट कर सवारियों को बैठा रहे थे। ढोलेवाल में भी स्लीपर कोच के बाहर बैठे लोग मौके पर टिकट काट कर सवारियों को बैठाते नजर आ गए। अंत में प्रीत पैलेस के पास पहुंचे। वहां भी आपरेटर एक टूरिस्ट बस में मजदूरों को बैठा रहे थे। बिहार के रहने वाले विनोद कुशवाहा, विजय सिंह, धीरज यादव तथा सरवेश्वर पांडेय का कहना है कि उन्हें व उनके रिश्तेदारों को कई गुना किराया भर कर सफर करना पड़ा। बस आपरेटरों तक सवारियों को लाने के लिए उनके अपने लोग ही बिचौलियों का काम करते हैं।
मजबूरी : रोड पर चलने वाली बस पर ही कार्रवाई कर सकते : आरटीए
पिछले एक महीने में हमने सबसे ज्यादा चेकिंग की है। उस दौरान हमने 26 बसों को पकड़ा। हरेक बस को 50 हजार रुपये जुर्माना किया गया। अब इस मुहिम को फिर से शुरू किया जाएगा। आरटीए टीम केवल चलती बस को रोक कर उस पर कार्रवाई कर सकती है। अगर वो कहीं स्टैंड बना कर सवारियां बैठा रहे हैं तो हम उन पर वहां जाकर कार्रवाई नहीं कर सकते।
-संदीप गढ़ा, आरटीए लुधियाना।
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