Move to Jagran APP

स्मार्ट सिटी का सच: विवादों में एलईडी प्रोजेक्ट, अंधेरे में जनता

कंपनी लगातार काम कर रही है। कुछ तकनीकी कारणों से प्रोजेक्ट लेट हो गया था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 05:46 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 06:08 AM (IST)
स्मार्ट सिटी का सच: विवादों में एलईडी प्रोजेक्ट, अंधेरे में जनता
स्मार्ट सिटी का सच: विवादों में एलईडी प्रोजेक्ट, अंधेरे में जनता

राजेश भट्ट, लुधियाना

loksabha election banner

लुधियाना शहर को जब स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया गया तो लुधियाना स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने सबसे पहले शहर को दूधिया रोशनी से जगमगाने वाले एलईडी लाइट्स के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। शहरवासियों को सपने दिखाए गए कि शहर रात को दूधिया रोशनी से जगमगाएगा। शहर की प्रमुख सड़कें हों या फिर गलियां सभी जगह से पीली लाइट वाले लैंप उतार कर उनकी जगह एलईडी बल्ब लगाए जाने थे, लेकिन प्रोजेक्ट पर काम करने की रफ्तार इतनी धीमी है कि डेडलाइन बीत जाने के दस माह बाद भी कई इलाकों में अभी तक पीली लाइट वाले लैंप भी नहीं बदले गए। यही नहीं जिन इलाकों में एलईडी बल्ब लगे भी हैं वह भी ज्यादातर खराब ही रहते हैं, जिस वजह से शहर के कई हिस्से कई दिन अंधेरे में डूबे रहते हैं। कंपनी की कारगुजारी पर सवाल खड़े करते हुए शहर के पार्षद निगम हाउस की बैठक में कंपनी का कांट्रेक्ट रद करने की डिमांड तक कर चुके हैं। स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने कंपनी को 30 अप्रैल 2020 तक प्रोजेक्ट पूरा करने की मोहलत दे दी है।

शहर की मुख्य सड़कों के अलावा गली-मोहल्लों में 1.05 लाख स्ट्रीट लाइट्स हैं। इन स्ट्रीट लाइटों पर पीली लाइट वाले बल्ब लगे थे। एलईडी लाइट्स प्रोजेक्ट के जरिए एलईडी लाइट्स लगाई जानी थी। 8 मई 2019 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना था, लेकिन निगम व टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड के बीच आर्थिक मुद्दों पर हुए विवाद के कारण प्रोजेक्ट की चाल धीमी हो गई। नतीजा यह हुआ कि शहर के कई इलाकों में अभी तक एलईडी लाइट्स ही नहीं लगी। जबकि कई इलाकों में अभी एलईडी लाइट्स लगनी हैं। स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अफसरों की मानें तो अभी तक शहर में 79 फीसद बल्बों को एलईडी से रिप्लेस कर दिया गया है और बाकी बल्बों को 30 अप्रैल तक बदल दिया जाएगा।

मेंटेनेंस में आ रही हैं दिक्कतें

एलईडी लाइट्स की मेंटेनेंस को लेकर पूरे शहर में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नगर निगम हाउस की बैठक में बड़ी संख्या में पार्षद इस समस्या को उठा चुके हैं और निगम कमिश्नर व मेयर से कंपनी का कांट्रेक्टर रद करने की सिफारिश तक कर चुके हैं। यही नहीं इस प्रोजेक्ट को लेकर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ संयम अग्रवाल भी पार्षदों के निशाने पर आ चुके हैं। पार्षदों के मुताबिक एक लाइट खराब होते ही एक साथ 70 के करीब लाइटें खराब हो रही हैं। जब तक कोई शिकायत न करें तब तक कंपनी की तरफ से रिपेयर नहीं किया जा रहा है जबकि कंपनी के पास ऐसा सिस्टम है कि लाइट खराब होते ही उन्हें पता चल जाता है। मेंटेनेंस में पूरा स्टाफ न होने की वजह से एलईडी प्रोजेक्ट लोगों के लिए अभिशाप बन चुका है।

यह रहा निगम व कंपनी के बीच विवाद

पहले यह प्रोजेक्ट टेंडरिग प्रक्रिया में फंसा रहा। 9 अप्रैल 2018 को यह प्रोजेक्ट टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को अलॉट हुआ। कंपनी को यह प्रोजेक्ट 13 माह में पूरा करना था। कंपनी ने जब जोन डी से इस प्रोजेक्ट की शुरआत की तो फंड को लेकर नगर निगम व कंपनी में विवाद पैदा हो गया। टेंडर के मुताबिक नगर निगम ने इंफ्रास्ट्रक्चर बदलने के लिए नगर निगम को 57.78 करोड़ रुपये कंपनी को देने थे, जिसमें स्ट्रक्चर के साथ-साथ तारें अंडरग्राउंड की जानी थी, लेकिन वित्तीय हालत खराब होने का हवाला देकर निगम ने यह राशि देने से इन्कार कर दिया, जिसके बाद यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा। बाद में निगम ने 11 करोड़ रुपये देने की बात कही। इसी वजह से प्रोजेक्ट काफी समय तक लटकता रहा। जब प्रोजेक्ट की डेडलाइन क्रॉस हो गई तो निगम स्मार्ट सिटी के सीईओ को कंपनी पर जुर्माना लगाने को कह दिया। सीईओ ने करीब आठ लाख रुपये के पेनल्टी नोटिस भी कंपनी को भेजे। इसी बीच कंपनी एक्सटेंशन मांगती रही। उधर, पार्षद ममता आशु ने साफ कर दिया था कि बिना पेनल्टी के एक्सटेंशन न दिया जाए। इसी विवाद में यह प्रोजेक्ट लटकता रहा। 57.78 करोड़ रुपये है प्रोजेक्ट की कुल लागत

1.05 लाख है प्रोजेक्ट के तहत लगने वाले एलईडी बल्बों की संख्या

84 हजार अब तक एलईडी बल्ब लग चुके हैं

9 अप्रैल 2018 को स्मार्ट सिटी ने जारी किए वर्क ऑर्डर

30 अप्रैल 2020 है डेडलाइन बाक्स

यह काम होने थे प्रोजेक्ट के तहत

1.05 लाख एलईडी बल्ब लगने हैं

स्ट्रीट लाइट की तारों का जाल खत्म कर सभी तारें अंडरग्राउंड होनी हैं

-स्मार्ट स्विच लगने हैं, ताकि कंट्रोल रूम से ही लाइट्स ऑन- ऑफ हो सकें

-खराब लाइटों को बदलना बाक्स

पब्लिक स्पीक

मैं कई बार शहर के अलग-अलग इलाकों में रात को स्ट्रीट लाइट्स का लाइव टेस्ट कर चुका हूं। इस संबंध में अफसरों को भी अवगत कर चुका हूं। लाइट्स बंद रहने के कारण सड़कों पर अंधेरा पसरा रहता है।

राहुल वर्मा, एनजीओ सदस्य जब शहर में एलईडी लाइट प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो शहरवासी इसके लिए उत्साहित थे, लेकिन प्रोजेक्ट में हो रही देरी ने लोगों के उत्साह को निराशा में बदल दिया। कई जगहों पर लाइट्स नहीं लगी और कई जगहों पर यह बंद रहती हैं।

सुशील कुमार बोहरा, शहरवासी कोट्स

कंपनी लगातार काम कर रही है। कुछ तकनीकी कारणों से प्रोजेक्ट लेट हो गया था। अब निगम के साथ सभी इश्यूज हल हो गए हैं और तेजी से काम हो रहा है। जल्दी ही इसे पूरा कर दिया जाएगा।

नरेश शर्मा, हेड मार्केटिग कम्युनिकेशन, टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.