मुनाफे के चक्कर में शहर को अंधेरे में झोंक रही प्राइवेट कंपनी, मेयर ने दी ये चेतावनी Ludhiana News
मेयर ने कंपनी अफसरों को भी कह दिया कि उन्होंने अपनी कारगुजारी में सुधार नहीं किया तो वह उनका कांट्रेक्ट रद करने की सिफारिश करेंगे।
लुधियाना, जेएनएन। स्मार्ट सिटी के तहत शहर की स्ट्रीट लाइट्स को एलईडी में तबदील कर रही कंपनी ने अपने मुनाफे के चक्कर में शहर के कई क्षेत्रों को अंधेरे में डालना शुरू कर दिया है। इससे जहां कई क्षेत्रों के लोग परेशान हुए हैं तो वहीं पार्षद भी खफा हो चुके हैं। मंगलवार को जोन डी में मेयर बलकार सिंह संधू ने स्मार्ट सिटी के सीईओ संयम अग्रवाल व कंपनी के अफसरों की बैठक बुलाई। जिसमें कमिश्नर कंवलप्रीत कौर बराड़ व पार्षद ममता आशु भी शामिल थी। कई दिन तक लाइट्स बंद रहने पर मेयर ने कंपनी अफसरों की जमकर क्लास ली।
मेयर ने सीईओ संयम अग्रवाल को दो टूक कह दिया कि इस प्रोजेक्ट में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर आप हैं ऐसे में इसे सही तरीके से चलवाना आपकी जिम्मेदारी है। इसके अलावा मेयर ने कंपनी अफसरों को भी कह दिया कि उन्होंने अपनी कारगुजारी में सुधार नहीं किया तो वह उनका कांट्रेक्ट रद करने की सिफारिश करेंगे।
बता दें कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत शहर में स्ट्रीट लाइट्स को एलईडी लाइट्स में तबदील किया जा रहा है। एलईडी लाइट्स लगा रही प्राइवेट कंपनी के हाथ में ही इन स्ट्रीट लाइटों का कंट्रोल आ गया है। कुछ क्षेत्रों में एलईडी लाइट्स लग चुकी हैं जबकि कईयों में अभी लगाई जा रहीं हैं। जिन क्षेत्रों में लाइट्स पूरी तरह से लग चुकी हैं, वहां कंपनी के कर्मचारी अपनी मर्जी से लाइट्स ऑन और ऑफ कर रहे हैं। क्योंकि नगर निगम द्वारा कंपनी को पूरा बिजली बिल दिया जाना है। ऐसे में खपत में जितनी कमी आएगी उसका मुनाफा कंपनी को ही होगा। यही कारण है कि मुनाफे के लिए कंपनी अपनी मर्जी से कहीं भी, कभी भी लाइट्स बंद कर रही है।
वार्ड 74 के मामले के बाद से उठ रहे हैं कंपनी पर सवाल
सोमवार को वार्ड 74 में स्ट्रीट लाइट्स बंद होने का मामला कंपनी पर सवाल खड़े करता है। लाइट्स बंद होने पर जब देर रात वार्ड नंबर 74 के पार्षद ने कंपनी के कमांड सेंटर में धरना दिया तो उसी वक्त 50 लाइटें चालू हो गई थीं। इसके बाद से सबको कंपनी की नीयत पर शक होने लगा है। यहां तक कि मंगलवार की मीटिंग में मेयर ने भी कंपनी के अफसरों से यही सवाल किया कि सोमवार देर रात अचानक वार्ड 74 की 50 लाइट्स एक साथ कैसे ठीक हो गई।
2.52 करोड़ रुपये जमा करवाता है नगर निगम
निगम स्ट्रीट लाइट के बिल के तौर पर पावरकॉम को 2.52 करोड़ रुपये जमा करवाता है। जब पूरे शहर में एलईडी लाइट्स लग जाएंगी तो बिल की राशि 85 से 90 लाख रुपये रह जाएगी। वर्तमान बिल की राशि और एलईडी लगने के बाद बिल की राशि का जो अंतर होगा निगम वह राशि कंपनी को देगा। स्मार्ट सिटी के तहत सात साल तक कंपनी ही स्ट्रीट लाइट्स की मेंटेनेंस करेगी।
कंपनी के खिलाफ होनी चाहिए कार्रवाई : ममता आशु
ममता आशु ने भी कंपनी की कारगुजारी पर सवाल खड़े किए और स्मार्ट सिटी के सीईओ को कहा कि कंपनी ने समय पर अपना काम पूरा नहीं किया ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। ममता आशु ने बताया कि इस मामले को वह हाउस की बैठक में भी उठाएंगी और कंपनी को मनमर्जी करने नहीं दी जाएगी।
कल होगी ऑल पार्टी मीटिंग
मेयर बलकार सिंह संधू ने बताया कि इस मामले में वीरवार को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है। जिसके बाद फैसला किया जाएगा कि हाउस को कंपनी के खिलाफ क्या फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत है। इसमें निगम का सीधा कोई हस्तक्षेप नहीं है। इसलिए सीईओ संयम अग्रवाल की जिम्मेदारी फिक्स कर दी है कि वह कंपनी से किसी तरह से काम करवाएं लेकिन लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। मेयर ने बताया कि स्ट्रीट लाइट प्वाइंट बंद करने में कंपनी का वित्तीय फायदा हो सकता है क्योंकि निगम ने उन्हें बिजली का पूरा बिल देना है। वह बिल में जितनी कटौती करेंगे वह कमाई कंपनी की होगी।
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