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सेल्फ मोटिवेटिड स्मार्ट स्कूल बनाने में जुटे कृष्ण कुमार

शिक्षा विभाग सूबे में 261 स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए फंड जारी कर चुका है और इन स्कूलों में काम युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 10:50 AM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 10:50 AM (IST)
सेल्फ मोटिवेटिड स्मार्ट स्कूल बनाने में जुटे कृष्ण कुमार
सेल्फ मोटिवेटिड स्मार्ट स्कूल बनाने में जुटे कृष्ण कुमार

जागरण संवाददाता, लुधियाना : शिक्षा विभाग सूबे में 261 स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए फंड जारी कर चुका है और इन स्कूलों में काम युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है। अब विभाग बिना फंड दिए सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाने की जुगत में है। शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार प्रिंसिपलों व हेड टीचर्स को मोटिवेट करके उन्हें खुद के स्कूलों को स्मार्ट बनाने में जुट गए। यही नहीं हर जिले में बेहतरीन काम करने वाले प्रिंसिपल और टीचर्स को आसपास के स्कूलों को भी स्मार्ट बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके लिए एजुकेशन सेक्त्रेटरी हर जिले में जा रहे हैं। अब तक वे चार जिलों में प्रिंसिपलों को मोटिवेट कर चुके हैं।

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सेक्त्रेटरी एजुकेशन कृष्ण कुमार अपने विभाग के अफसरों के साथ शनिवार को लुधियाना पहुंचे। उन्होंने टैगोर पब्लिक स्कूल में जिले में अच्छे काम करने वाले प्रिंसिपलों व हेड टीचर्स से उनके अनुभव पूछे। लुधियाना के प्रिंसिपलों को मोटिवेट करने के लिए कृष्ण कुमार फिरोजपुर के एक प्रिंसिपल को अपने साथ लेकर आए थे, जिन्होंने अपने स्कूल को स्मार्ट बनाने की पूरी कहानी रखी। लुधियाना के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के साथ-साथ प्राइमरी स्कूलों के टीचर्स ने भी अपने स्कूलों को बिना सरकारी मदद के बेहतर बनाने की कहानी सेक्त्रेटरी के सामने बया की। इस पर सेक्त्रेटरी ने उनके प्रयासों की सराहना की। इस दौरान प्रिंसिपलों ने बताया कि वे अपने आसपास के किन किन स्कूलों को स्मार्ट बना सकते हैं। रिजल्ट देंगे तो मदद के लिए खुद आएंगे लोग

सेक्रेटरी एजुकेशन ने प्रिंसिपलों से कहा कि अब तक जितनी प्रेजेंटेशन देखी हैं उससे साफ जाहिर होता है कि अगर टीचर्स अच्छे परिणाम देते हैं तो लोग मदद के लिए आगे आते हैं। उन्होंने कहा जो प्रिंसिपल अपने स्टाफ के साथ मिलकर बेहतर परिणाम दे रहे हैं उनको दानी सज्जन भी मदद कर रहे हैं। हमारे बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ें तो लोग होंगे प्रेरित

बैठक के दौरान सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाने पर चर्चा चल रही थी। इसमें यह बात सामने आई कि अगर टीचर बेहतर काम करेंगे तो लोगों का सरकारी स्कूलों में विश्वास पैदा होगा। एक प्रिंसिपल ने कहा कि सरकारी स्कूलों में लोगों का विश्वास पैदा करना है तो पहले हमें अपने बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाने पढ़ेंगे। उस प्रिंसिपल ने सेक्त्रेटरी के सामने बताया कि उन्होंने और उनके साथियों ने सरकारी सीनियर सेकंडरी स्कूल समराला में लेक्चरार रहते हुए अपने बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ाए। अब उनकी बेटिया डॉक्टर बन चुकी हैं। यही नहीं उन पर विश्वास करके समराला में एक पेंटर की बेटी एमबीबीएस करने के बाद अब एमडी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि जब टीचर्स ने अपने बच्चे अपने सरकारी स्कूल में पढ़ाए तो लोगों का उनके स्कूलों पर विश्वास हो गया। सेक्त्रेटरी एजुकेशन ने उक्त प्रिंसिपल की खूब तारीफ की और इसे सरकारी स्कूलों की बेहतरी के लिए अच्छा मॉडल बताया। टीचर्स ने ही दिया है यह आइडिया : कृष्ण कुमार

सेक्रेटरी एजुकेशन कृष्ण कुमार ने कहा कि सूबे में स्मार्ट स्कूल बनाने का आइडिया टीचर्स से ही मिला है। उन्होंने बताया कि सूबे में सरकारी योजना से पहले कई टीचर्स ने अपने स्तर पर स्कूलों को स्मार्ट बना दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार फंड देकर कुछ स्कूलों को स्मार्ट बना रही है। जबकि बाकी स्कूलों को पब्लिक की मदद से स्मार्ट बनाया जा रहा है।


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