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बादल परिवार ने शिअद की कॉन्फ्रेंस से बनाई दूरी, बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी से रंग पड़ा फीका

वर्करों को बांधे रखने के नाम पर पार्टी केवल दो नेताओं पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा और पूर्व मंत्री शरणजीत सिंह ढिल्लों ने ही रैली को संबोधित किया लेकिन बादल परिवार की कमी खली।

By Edited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 08:00 AM (IST)
बादल परिवार ने शिअद की कॉन्फ्रेंस से बनाई दूरी, बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी से रंग पड़ा फीका
बादल परिवार ने शिअद की कॉन्फ्रेंस से बनाई दूरी, बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी से रंग पड़ा फीका

खन्ना, [सचिन आनंद]। गोवा के शहीद करनैल सिंह ईसड़ू की याद में उनके पैतृक गांव में लगने वाले सियासी मेलों के इतिहास में पहली बार बादल परिवार ने शिअद की कॉन्फ्रेंस से दूरी बनाई है। दोनों बादलों और मजीठिया के नहीं पहुंचने से जहां पार्टी में हलका इंचार्ज रणजीत सिंह तलवंडी के कम होते महत्व के संकेत मिले हैं, वहीं बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी ने कॉन्फ्रेंस का रंग फीका कर दिया।

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वर्करों को बांधे रखने के नाम पर पार्टी केवल दो नेताओं पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा और पूर्व मंत्री शरणजीत सिंह ढिल्लों ने ही रैली को संबोधित किया, लेकिन कार्यक्रम में बादल परिवार की कमी जरूर दिखी, जिसकी वजह से रैली में भीड़ जुटाने में भी अकाली नाकाम रहे। बादल परिवार की तलवंडी द्वारा आयोजित इस कॉन्फ्रेंस से दूरी के 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर कई चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

गुटबाजी मिटाने में नाकाम रहे तलवंडी

खन्ना विधानसभा से दो बार चुनाव हार चुके हलका इंचार्ज रणजीत सिंह तलवंडी अकाली दल की अंदरूनी गुटबाजी मिटाने में नाकाम रहे हैं। कॉन्फ्रेंस की तैयारियों को लेकर गुरुद्वारा मंजी साहिब में हुई बैठक में इसका सबसे बड़ा सुबूत मिला, जब तलवंडी और यादविंदर सिंह यादू के गुट आमने-सामने हो गए और शरणजीत सिंह ढिल्लों के दखल के बाद हाथापाई होने से बचाव हो सका। बताते हैं कि इसकी रिपोर्ट हाईकमान के पास पहुंचते ही बादल परिवार ने रैली में नहीं जाने का फैसला किया था।

यादू गुट भी नहीं पहुंचा 

खन्ना अकाली दल के बीच गुटों की आपसी खटास इस मुकाम पर पहुंच चुकी है कि यूथ अकाली दल कोर कमेटी के सदस्य यादविंदर सिंह यादू का गुट भी कॉन्फ्रेंस में नहीं पहुंचा। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि यादू गुट ने यह फैसला हाईकमान के किसी इशारे के बाद ही लिया। इसके चलते अकाली दल की कॉन्फ्रेंस प्रभाव नहीं जमा पाई।


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