परमार्थ के लिए होता है संतों का जीवन : मोक्षानंद
जैनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति तथा पंजाब सरकार के राजकीय अतिथि, शातिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरि आदि मुनि मंडल गुरुवार को पट्टी पधारे।
संस, लुधियाना
जैनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति तथा पंजाब सरकार के राजकीय अतिथि, शातिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरि आदि मुनि मंडल गुरुवार को पट्टी पहुंचे। वह वहां कुछ दिन रहेंगे। इस मौके श्री आत्मानंद जैन सभा व समस्त जैन समाज ने मिलकर गुरु महाराज का भव्य रूप से नगर प्रवेश करवाया।
इस अवसर पर सभा का आयोजन भी किया गया। इस दौरान मुनि श्री मोक्षानंद विजय ने कहा कि संत रूपी सूर्य अज्ञान के अंधकार का नाश करने के लिए धरती पर विचरण करते हैं। संतों का जीवन परमार्थ के लिए होता है। संतों को धर्म जाति या सम्प्रदाय की संकीर्ण दीवारों में नहीं बाधा जा सकता। सच्चा संत वही होता है जो सबका है और सब जिसके हैं। संत तो सबके होते हैं। किसी एक के नहीं। ज्ञात रहे पट्टी में जैन मंदिर की प्रतिष्ठा भी गुरु आत्माराम जी ने ही करवाई थी।
इससे पहले शोभायात्रा में जैन गुरु आत्माराम महाराज की गुजरांवाला स्थित अंतिम समाधि स्थली के पवित्र राजकलश को फूलों से सजी गाड़ी में रखकर सम्मिलित किया गया। श्रद्धालुओं ने उस पर पुष्प वर्षा कर राजकलश का सम्मान किया। बैंड और ढोल की धुनों पर झूमते नाचते हुए भक्तों ने सन्तों के आगमन पर खुशी प्रगट की । शोभायात्रा रेलवे स्टेशन से प्रारम्भ होकर बड़ी मंडी, बस स्टैंड वाले मुख्य बाजार में से होते हुए जैन मोहल्ले में पहुंची। इस अवसर पर श्री मनमोहन पार्श्वनाथ जैन मंदिर, श्री विमलनाथ जैन मंदिर और गुरु मन्दिर के दर्शन करके जैन उपाश्रय में गुरु महाराज ने सभी को मंगल पाठ सुनाया।