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भक्ति भगवान को पाने का सबसे सरल मार्ग: मुनि मोक्षानंद

संस, लुधियाना : आत्म वल्लभ समुद्र इंद्र दिन्न सूरीश्वर म. की यशस्वी पाट परंपरा के क्रमिक पट्टधर तथ

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 07:00 AM (IST)
भक्ति भगवान को पाने का सबसे सरल मार्ग: मुनि मोक्षानंद

संस, लुधियाना : आत्म वल्लभ समुद्र इंद्र दिन्न सूरीश्वर म. की यशस्वी पाट परंपरा के क्रमिक पट्टधर तथा जैनाचार्य विजय वल्लभ सूरी समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद विजय नित्यानंद सूरीश्वर म. अपनी मुनि मंडल सहित सूर्या विहार में विराजमान है। शुक्रवार को गच्छाधिपति के सानिध्य में किचलू नगर जितेंद्र जैन रेश्म निटवियर्स निवास पर प्रवचन सभा करवाई गई। सर्वप्रथम आचार्य जयानंद सूरीश्वर म. ने भजनों से आए श्रद्धालुओं को अभिभूत किया। इस अवसर पर जैनाचार्य नित्यानंद ने कहा कि भक्ति भगवान को प्राप्त करने का सबसे सरल मार्ग है। भक्ति मार्ग पर चलने के लिए एकनिष्ठा श्रद्धा और समर्पण चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान युग में व्यक्ति का जीवन धनकेंद्रित हो गया है। जिस परिवार में प्रेम के स्थान पर पैसे की प्रधानता है, वहां महाभारत होने से कोई रोक नहीं सकता। पैसे की लालसा ने इंसान को शैतान बना दिया है, जो व्यक्ति संस्कारों से समृद्ध है, वहीं विश्व का सबसे अमीर आदमी है। ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए हृदय को प्रेम तथा समर्पण से भरना चाहिए।

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देश में शांति की स्थापना के लिए तथा समाज में परस्पर प्रेम युक्त भाईचारे की अभिवृद्धि के लिए मुनि श्री ने युवाओं को आगे आने के लिए आह्मान किया। युवाओं को भारतीय संस्कृति तथा सत्संस्कारों की सुरक्षा के साथ साथ संवर्धन के लिए संकल्प लेकर कार्य प्रारंभ करने हेतु मुनि श्री ने प्रेरित किया। मुनि श्री ने कहा कि महानगर में शीघ्र ही विजय वल्लभ जैन युवक महासंघ उत्तरी भारत की ओर से विशाल युवा महासम्मेलन करवाया जाएगा। इसमें देश समाज और परिवार के प्रति अपने अपने दायित्वों का पालन करने की शिक्षा प्रदान की जाएगी।

धर्म हमेशा जोड़ने का काम करता है : मोक्षानंद

इस अवसर पर मुनि मोक्षानंद ने कहा कि कुछ लोग धर्म और परंपरा के नाम पर देश व समाज को तोड़ने का कार्य करते है। धर्म हमेशा जोड़ने का काम करता है। द्वेष, नफरत अथवा घृणा की निगाह से देखने वाले लोग कभी भी धार्मिक नहीं हो सकते। अधार्मिक व्यक्ति हमेशा भयभीत रहते है। परंपराओं की पवित्रता को प्रदुषित करने वाले लोगों को धर्म स्थानों की सेवा से मुक्त कर देना चाहिए। यदि ऐसे लोगों को सचेत नहीं किया जाएगा तो धर्म स्थानों को बिकते देर नहीं लगेगी।


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