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गच्छाधिपति नित्यानंद सूरि की निश्रा में क्षमापना संक्रान्ति समारोह आयोजित

क्षमा मोक्ष महल का भव्य प्रवेश द्वार है। प्रतिवर्ष पर्यूषण के उपरांत संवत्सरी के दिन आपस में क्षमा का आदान- प्रदान तो होता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 07:11 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 07:11 PM (IST)
गच्छाधिपति नित्यानंद सूरि की निश्रा में क्षमापना संक्रान्ति समारोह आयोजित
गच्छाधिपति नित्यानंद सूरि की निश्रा में क्षमापना संक्रान्ति समारोह आयोजित

संस, लुधियाना : क्षमा मोक्ष महल का भव्य प्रवेश द्वार है। प्रतिवर्ष पर्यूषण के उपरांत संवत्सरी के दिन आपस में क्षमा का आदान- प्रदान तो होता है। परन्तु जिनसे हमारे संबंध बिगड़ गए हैं, बोलचाल, लेनदेन, आना- जाना सब व्यवहार बंद हो गया है, वास्तव में तो उनसे क्षमापना करनी चाहिए। क्षमापना सिर्फ कार्ड से नहीं बल्कि हार्ट से करनी चाहिए। वैर विरोध का विसर्जन हो जाना चाहिए। यह उक्त विचार विजय वल्लभ साधना केंद्र जैतपुरा तीर्थ में क्षमापना संक्रान्ति के दौरान वर्तमान गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर महाराज ने व्यक्त किए। समारोह में देश के विभिन्न प्रान्तों व शहरों से आए हुए जैन संघों और संस्थाओं के पदाधिकारियों ने गुरुदेव से गत वर्ष में हुई ज्ञात- अज्ञात भूलों के लिए क्षमा याचना की। इस दौरान तत्वचितक आचार्य श्री चिदानन्द सूरि ने फरमाया कि किसी के अपराध को क्षमा कर देना अच्छी बात है। परंतु उसके अपराध को सदा के लिए भूल ही जाना यह सबसे उच्च कोटि की क्षमा है ।

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मुनि श्री मोक्षानंद विजय महाराज ने बताया कि नाटकीय रूप से मिच्छामि दुक्कड़म बोलकर क्षमापना करने का कोई लाभ नहीं है। स्वयं को पाप का बोध हो, उसके लिए आत्म ग्लानि का भाव जगे, फिर क्षमाभाव से भरकर गुरु के पास जाकर पाप का प्रायश्चित लेकर शुद्ध होने का जो प्रयास है वही सच्ची क्षमापना है। कार्यक्रम में गोडवाड भूषण आचार्य श्रीमद् विजय जयानंद सूरीश्वर, गणि श्री जयकीर्ति विजय सहित मुनिमंडल तथा साध्वी पूर्णप्रज्ञा श्री म. आदि साध्वीवृन्द उपस्थिति थी।

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मंच पर गुरु वल्लभ की प्रतिमा को स्थापित किया गया

कार्यक्रम के प्रारम्भ में सकल संघ ने गुरुदेवों के समक्ष गुरु वंदन करके मंगलाचरण का श्रवण किया। संक्रान्ति भजन की प्रस्तुति लुधियाना जैन संक्रान्ति मण्डल के संस्थापक प्रवीण जैन, प्रधान भरत मेहता ठाणे ने दी। युवा गायक पिन्टू स्वामी, महेंद्र कोचर के भजनों पर जनसमूह झूमने के लिए विवश हो गया। कवि प्रदीप जैन की कविता ने सभी को क्षमा का पाठ पढ़ाया। मंच संचालन ओम प्रकाश आचार्य फालना वालों ने किया। उज्जैन से अमीषा लोढ़ा ने अपनी कविता द्वारा भाव व्यक्त किए। इस दौरान मंच पर गुरु वल्लभ की प्रतिमा को भी स्थापित किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय श्री आत्म वल्लभ जैन महासंघ के महासचिव अशोक जैन दिल्ली, श्री आत्मानन्द जैन महासभा के महासचिव नवनीत जैन बाबी लुधियाना, श्री आत्मानन्द जैन महासमिति लुधियाना के महामंत्री संजीव जैन टोनी लुधियाना ने सभी से क्षमापना करते हुए संस्थाओं की गतिविधियों से भी परिचित करवाया। समारोह श्री आत्म वल्लभ समुद्र फाउंडेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में सम्पन्न हुआ


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