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अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में खूब जली पराली, दक्षिण-पश्चिम हवाओं ने पंजाब को बनाया गैस चैैंबर

पराली को आग लगाने में तरनतारन जिला सबसे आगे है जबकि पिछले साल संगरूर सबसे आगे था। तरनतारन में अब तक 3186 जगहों पर आग लगाई जा चुकी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 12:35 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 12:35 PM (IST)
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में खूब जली पराली, दक्षिण-पश्चिम हवाओं ने पंजाब को बनाया गैस चैैंबर
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में खूब जली पराली, दक्षिण-पश्चिम हवाओं ने पंजाब को बनाया गैस चैैंबर

लुधियाना [राजेश भट्ट]। जैसे-जैसे दीवाली नजदीक आई ठीक वैसे ही किसानों ने भी पराली को आग लगाना शुरू कर दिया। यह क्रम दीवाली के बाद भी लगातार बना रहा और हालात यह हैैं कि पंजाब गैस चैैंबर में तबदील हो चुका है। दिल्ली एनसीआर की तरह पंजाब भी स्मॉग के आगोश में है। अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में तो किसानों ने पराली को आग लगाए जाने की घटनाओं को बढ़ा दिया। इस सप्ताह आगजनी की घटनाओं के कारण पंजाब में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। अक्टूबर के आखिरी आठ दिनों में पंजाब में कुल 17764 जगहों पर पराली को आग लगाई गई। परिणाम स्वरूप आसमान में धुंए का गुब्बार बना हुआ है।

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उधर, आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल की तुलना में इस बार एक नवंबर तक पराली को आग लगाए जाने के मामले आधे ही रह गए हैैं। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की तुलना में किसानों ने इस बार पराली कम जलाई है। पिछले साल पूरे सीजन में 61497 स्थानों पर पराली को आग लगाई गई थी इस साल एक नवंबर तक 30730 मामले सामने आए हैं।

सूबे में पराली को आग लगाने की घटनाएं 23 सितंबर से होने लगी थी। 23 सितंबर से 23 अक्तूबर तक आग लगाने के मामले लगातार सामने आए परंतु इनकी संख्या कम थी। जिसकी वजह से वातावरण पर कोई ज्यादा असर नहीं दिखा। जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आई और लोगों ने पटाखे जलाने शुरू किए इसका फायदा उठाकर किसानों ने भी पराली को आग के हवाले करना शुरू कर दिया। 24 अक्तूबर को पराली को आग लगाने के 1088 मामले सामने आए। उसके बाद लगातार पराली को आग लगाने के मामले बढ़ते गए।

पराली को आग लगाने के मामले में तरनतारन के किसान सबसे आगे

पराली को आग लगाने में तरनतारन जिला सबसे आगे है जबकि पिछले साल संगरूर सबसे आगे था। तरनतारन में अब तक 3186 जगहों पर आग लगाई जा चुकी है। पिछले साल भी तरनतारन में 3190 जगहों पर पराली को आग लगाई गई थी। इस तरह तरनतारन पिछले साल के आंकड़े के पास पहुंच गया। फिरोजपुर में इस बार 2966 जगहों पर आग लगाई गई जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 5330 था। इसी तरह संगरूर में इस बार 2908 मामले सामने आए हैं और पिछले साल यहां पर 7810 मामले सामने आए थे। संगरूर, फिरोजपुर, फरीदकोट, लुधियाना मानसा, मोगा, मुक्तसर पटियाला में भी पराली को आग लगाने के मामलों में भारी कमी आई है।

एक्यूआई में 112 अंक का सुधार, फिर भी बठिंडा सबसे ज्यादा प्रदूषित

पंजाब के एअर क्वालिटी इंडेक्स में शनिवार को 112 अंक का सुधार हुआ है परंतु इसके बावजूद प्रदेश में अब भी वायु प्रदूषण मानवीय सेहत के लिए सुरक्षित नहीं है। बठिंडा में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है और खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। शनिवार को बठिंडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 294 (पीएम 10) और 318 (पीएम 2.5) दर्ज किया गया जोकि शुक्रवार को 406 (पीएम 10) और 382 (पीएम 2.5) था। 112 अंक की गिरावट के बावजूद यह स्तर मानवीय जीवन के लिए खतरनाक है। पराली जलाने के 1889 मामलों के साथ बठिंडा में पांचवें स्थान पर है। 

दूसरी ओर पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) के सदस्य सचिव करूणेश गर्ग ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम से हवा के प्रवाह के कारण शुक्रवार को पंजाब का एक्यूआई बिगड़ा। शनिवार को हवा के प्रवाह बदलने से एक्यूआई में गिरावट आई। 

पंजाब अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग रहा, केंद्र व दिल्ली भी इसे समझें

दिल्ली में हेल्थ इमरजंसी लगने के दूसरे दिन ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भावनात्मक पत्र लिखा है। दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण पैदा हुई अभूतपूर्व स्थिति पर गहरा दुख और गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने पीएम से राजनीतिक और क्षेत्रीय मतभेदों से ऊपर उठकर इस समस्या पर एक मत बनाने की जरूरत पर जोर दिया है। साथ ही कहा है कि पंजाब अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं रहा है, लेकिन केंद्र और दिल्ली सरकार भी अपनी जिम्मेदारी समझे। 

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि चाहे देश के लोगों में कोई भी विश्वास बना हो, लेकिन कोई भी भारतीय ख़ास तौर पर पंजाबी राष्ट्रीय राजधानी में हमारे भाइयों के साथ घट रही त्रासदी से बेखबर नहीं है। मेरे अपने बच्चे, पोते-पोतियां दिल्ली में रहते हैं जो शहर की ज़हरीली हवा के कारण लोगों की दुर्दशा को समझते हैं। उस मुल्क को विकसित कैसे कहा जा सकता है जिसकी राजधानी को गैस चेंबर में तबदील कर दिया गया हो। वह भी तब जब ऐसे हालात कुदरती आपदा के कारण नहीं बल्कि मानवीय गलती से पैदा हुए हों। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस दुखदायक स्थिति में पंजाब का जि़म्मेदारी से पल्ला झाडऩा का कोई इरादा नहीं है। दिल्ली और केंद्र सरकार समेत समूचे मुल्क ने विभिन्न गलतियों से ऐसे भयानक हालात पैदा होने की इजाज़त दे दी है।

उन्होंने माना कि पराली का धुआं गलत दिशा में बहने वाली हवाओं के कारण प्रदूषण का एक कारण बना, जिससे दिल्ली में ऐसी स्थिति पैदा हुई। साथ ही इसे भी नजऱअंदाज नहीं किया जा सकता कि विभिन्न स्वतंत्र एजेंसियों के आंकड़े इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि मौजूदा स्थिति के लिए बड़े स्तर पर औद्योगिक प्रदूषण, ट्रैफिक़ और दिल्ली में तेज़ी से चल रही निर्माण गतिविधियां भी समान रूप से दोषी हैं। सच्चाई यह है कि हम आसानी से इस सबकी जि़म्मेदारी एक-दूसरे के कंधों पर डाल देते हैं। समस्या की जड़ यह है कि हम इसके स्थायी हल के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर चलने से लगातार भाग रहे हैं।

किसानों पर और सख्ती नहीं कर सकते

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब ने पराली जलाने के विरुद्ध कानून को जहां तक संभव हुआ लागू करने की कोशिश की और यहां तक कि किसानों को जुर्माने भी किए। हालांकि किसानों को सजा देना मेरे ज़मीर के विरुद्ध है, लेकिन सख्ती हो रही है। किसानों को धान की पराली जलाने से रोकने के लिए हम उनकी दयनीय हालत को और हाशिये पर नहीं ले जा सकते। पंजाब और हरियाणा अपने स्तर पर जो कुछ कर सकते हैं वह कर रहे हैं, लेकिन इस समूचे मामले में केंद्र सरकार की भूमिका संदिग्ध है।

पीएम ही बताएं, समस्या कैसे हल होगी

मुख्यमंत्री ने याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने अलग-अलग मौकों पर प्रधानमंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का सुझाव भी निजी तौर पर दिया था। जिससे किसानों को पराली के निपटारे के लिए सुविधा मुहैया करवाई जा सके। लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार इसको सही हल नहीं समझती जिस कारण विनती पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। प्रधानमंत्री से साथ ही पूछा है कि आप बताओ वह कौन सा हल है जिससे इस समस्या को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है। प्रधानमंत्री जी, क्या यह आपकी सरकार का काम नहीं कि पंजाब, दिल्ली व हरियाणा समेत सभी साझेदारों के साथ परामर्श करके इसका स्थायी हल ढूंढा जाए।

चेयरमैन पन्नू ने पराली जला रहा किसान पकड़ा, 15 हजार जुर्माना ठोका, एफआइआर भी कराई

पंजाब में पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर अधिकारियों का रवैया सख्त हो गया है। शनिवार को तंदुरुस्त मिशन पंजाब के चेयरमैन केएस पन्नू ने एक किसान को पराली जलाते पकड़ा। उन्होंने किसान को 15 हजार रुपये का जुर्माना ठोका और एफआइआर भी दर्ज कराई। किसान को जमानत पर छोड़ दिया गया है। किसान की पहचान बदीनपुर के रहने वाले अमरनाथ के रूप में हुई।

पन्नू मंडी गोबिंदगढ़ में प्रदूषण पर नकेल कसने संबंधी किए प्रयासों की समीक्षा करने के लिए बचत भवन में बैठक करने आ रहे थे। जब वह मंडी गोबिंदगढ़ के गांव बदीनपुर से निकल रहे थे तो उन्होंने गांव में धुआं ही धुआं देखा। पन्नू ने ड्राइवर को गाड़ी धुएं की दिशा में ले जाने के लिए कहा। वह खेत के पास पहुंचे और लोगों के साथ मिलकर पराली को लगाई गई आग बुझाई। इसके बाद किसान को पकड़ते हुए उसपर जुर्माना ठोका। इसकी सूचना मंडी गोबिंदगढ़ पुलिस को दी गई।

दो अन्य किसानों के खिलाफ मामले दर्ज, एक गिरफ्तार

दूसरी तरफ खेड़ी नौध सिंह की पुलिस ने पराली जलाने के मामले में कालेवाल गांव के किसान अमरजीत सिंहको गिरफ्तार किया। वहीं खमाणों पुलिस ने फरौर गांव में पराली को आग लगाने पर ठीकरीवाल के किसान गुरप्रीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया।

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