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इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने खाली पड़े प्लॉट बेचने के लिए लगाई बोली, जुटाए 15.93 करोड़ रुपये

लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने खाली पड़े प्लाटों को बेचकर पैसे बटोरने शुरू कर दिए हैं। लंबे समय से खाली प्लाटों की बोली न होने की वजह से लोगों को ट्रस्ट की बोली का इंतजार था।

By Edited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 06:30 AM (IST)
इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने खाली पड़े प्लॉट बेचने के लिए लगाई बोली, जुटाए 15.93 करोड़ रुपये
इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने खाली पड़े प्लॉट बेचने के लिए लगाई बोली, जुटाए 15.93 करोड़ रुपये

जेएनएन, लुधियाना। लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने खाली पड़े प्लाटों को बेचकर पैसे बटोरने शुरू कर दिए हैं। लंबे समय से खाली प्लाटों की बोली न होने की वजह से लोगों को ट्रस्ट की बोली का इंतजार था। किचलू नगर, महर्षि वाल्मीकि नगर व राजगुरु नगर में खाली प्लाटों की बोली के लिए ट्रस्ट दफ्तर में बोली करवाई गई तो प्लाट खरीदने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंच गए। इसका ट्रस्ट अफसरों ने जमकर फायदा उठाया। छह प्रॉपर्टीज़ बेचकर ही ट्रस्ट ने 15.93 करोड़ रुपये बटोर लिए। वहीं ट्रस्ट ने राजगुरु नगर में तीन प्लाटों की बोली लगने के बावजूद उन प्लाटों को बेचने से मना कर दिया, जिसके बाद वहां हंगामा हो गया। इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के ईओ हरप्रीत सिंह संधू ने बताया कि किचलू नगर में तीन, राजगुरु नगर में चार, महाराज वाल्मीकि नगर में एक रिहायशी और एक स्कूल के प्लाट की बोली लगाई थी। राजगुरु नगर के तीन प्लाटों की बोली रोक दी गई, जबकि बाकी सभी प्लाटों की बोली कर दी गई।

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बोली के बाद भी नहीं बेचे तीन प्लाट, कोर्ट जाएंगे बोलीदाता

ट्रस्ट ने राजगुरु नगर में चार प्लाटों की बोली रखी। कॉर्नर वाला प्लाट 47000 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से बेचा गया जबकि उसके बाद अगले प्लाट की बोली 43500 रुपये दी गई। बोली देने वाले कालीचरण का कहना है कि उच्च बोली देने के बाद भी ट्रस्ट अधिकारियों ने उन्हें प्लाट नहीं दिया। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट अधिकारियों ने प्लाटों की रिजर्व प्राइस 27 हजार रुपये रखी थी। उन्होंने 43500 रुपये बोली दी। इसके बावजूद ट्रस्ट अधिकारियों ने उन्हें यह कहकर प्लाट नहीं दिया कि इसकी कीमत कम से कम 50 हजार रुपये प्रति वर्ग गज होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वह अब अफसरों के खिलाफ अदालत जाएंगे।

कीमत सही न मिलने के कारण प्लाॅट रोकी बोली

ईओ हरप्रीत सिंह ने कहा कि जिन प्लाटों की बोली रोकी गई है, उनकी कीमत पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रही थी। ट्रस्ट अफसरों के पास यह अधिकार होता है कि वह किसी भी प्लाट की बोली होने के बाद भी उसे होल्ड कर सकते हैं।


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