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कोविड के फिर पैर पसारने की आशंका से होजरी उद्योग परेशान, रिटेलर भी फूंक-फूंक कर रख रहे कदम

उद्यमियों को डर है कि यदि फिर से कोरोना का प्रकोप बढ़ा तो यह उद्योग जगत के सारे गणित को तहस नहस कर देगा। कोरोना के चलते पहले ही उद्यमियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी है और पिछले साल के मुकाबले चालीस फीसद तक ही उत्पादन किया है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 06:19 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 01:30 PM (IST)
कोविड के फिर पैर पसारने की आशंका से होजरी उद्योग परेशान, रिटेलर भी फूंक-फूंक कर रख रहे कदम
यदि रिटेलर की पांच लाख की मांग है तो वह केवल एक लाख का ही आर्डर कर रहा है।

लुधियाना, राजीव शर्मा। कोविड महामारी के चलते गर्मी का सीजन चौपट होने के बाद अब होजरी उद्योग को सर्दी सीजन से बड़ी उम्मीदे हैं, लेकिन कोरोना के कुछ इलाकों में फिर से पैर पसारने से उद्यमियों की धड़कनें तेज हो रही हैं। उद्यमियों को डर सता रहा है कि यदि कोरोना ने फिर से अपना दायरा बढ़ाया तो यह उद्योग जगत के सारे गणित को तहस नहस कर देगा। कोरोना के चलते पहले ही उद्यमियों ने पिछले साल के मुकाबले चालीस फीसद तक उत्पादन किया है।

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उनका मानना है कि यदि सारा माल बिक जाए और वक्त पर पेमेंट आ जाए तो यह समझेंगे कि गंगा नहा आए। उधर, दूसरी तरफ रिटेलर भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। वह भी माल का स्टॉक करने से बच रहा है, यदि रिटेलर की पांच लाख की मांग है तो वह केवल एक से डेढ़ लाख का ही आर्डर कर रहा है, ऐसे में होजरी उद्योग के सेंटिमेंट बिगड़े हुए हैं।

उद्यमियों का कहना है कि विश्व के कई देशों में कोरोना की दूसरी लहर के चलते लाकडाउन लगाया जा रहा है। इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी समेत कुछ देशों में कोरोना फिर से अपनी पकड़ बना रहा है। दिल्ली में भी कोरोना के केस फिर से बढ़ने शुरू हो गए हैं। इससे चिंता भी बढ़ रही है। लुधियाना में औसतन दस हजार करोड़ की वुलेन गारमेंट की इंडस्ट्री है। उद्यमियों ने इस सीजन में चालीस से पचास फीसद ही उत्पादन किया है।

निटवियर अपैरल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन आफ लुधियाना के प्रेसिडेंट सुदर्शन जैन का तर्क है कि होजरी उद्यमी एक तरह से तलवार की धार पर चल रहे हैं। दिल्ली में कोरोना के केस बढ़ने से वहां के रिटेलरों ने माल के नए आर्डर देने लगभग बंद कर दिए हैं। अभी जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा समेत कुछ ही राज्यों से ही आर्डर आ रहे हैं।

जैन का कहना है कि यदि कोरोना ने रंग दिखाया और पमेंट अटक गई तो इंडस्ट्री खास कर छोटे उद्यमियों के समक्ष बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि उद्योग को लगभग बीस फीसद पेमेंट पिछले साल की नहीं मिली है, जबकि नया माल भी उधार पर जा रहा है। उद्यमी बड़ा रिस्क लेने से बच रहे हैं।

वूल क्लब के चेयरमैन एवं रेज निट प्राइवेट लिमिटेड के एमडी शाम बांसल के अनुसार रिटेलर पिछले साल के मुकाबले काफी कम आर्डर दे रहा है। रिटेलर केवल जरूरत के अनुसार ही आर्डर दे रहा है। इस बार पहले से माल की बुकिंग काफी कम हुई है। पिछले साल की तुलना में केवल तीस से चालीस फीसद ही कारोबार हो रहा है। उन्होंने कहा कि आर्डर आ रहे हैं, लेकिन वे काफी कम हैं। रिटेलर भी अधिक रिस्क नहीं ले रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड का साया खत्म होने के बाद ही उद्योग की गाड़ी रफ्तार पकड़ सकती है।


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