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महिला को HIV संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट सख्त, पंजाब सरकार व SSP बठिंडा को नोटिस

थाना कोतवाली थाना प्रभारी को इस मामले में शिकायत मिलने के बावजूद लंबे समय तक मामले को लटकाकर रखने के आरोप लगाए गए है जबकि बठिंडा ब्लड बैंक सिविल अस्पताल बठिंडा के दो पूर्व अधिकारियों ने भी इस मामले में जानबूझकर लापरवाही बरती।

By Vipin KumarEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 04:23 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 04:23 PM (IST)
महिला को HIV संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट सख्त, पंजाब सरकार व SSP बठिंडा को नोटिस
हाई काेर्ट ने बठिंडा के एसएसपी व काेतवाली प्रभारी काे जारी किया नाेटिस। (सांकेतिक तस्वीर)

जासं,बठिंडा। सिविल अस्पताल में दाखिल महिला को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने के बाद पीड़ित हुई महिला ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार, एसएसपी बठिंडा और एसएचओ कोतवाली बठिंडा को नोटिस जारी किया है। याचिका में एसएमओ सिविल अस्पताल बठिंडा और दो पूर्व ब्लड बैंक अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। बेंच ने नोटिस जारी करते हुए संबंधित लोगों को 30 नवंबर 2021 को पेश होने की हिदायत दी है।

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दायर याचिका में एसएमओ डा. मनिंदरपाल सिंह के खिलाफ मामले में लापरवाही बरतने व पुख्ता कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज करने की मांग की गई है। वहीं कोतवाली थाना प्रभारी को इस शिकायत मिलने के बावजूद मामले को लटकाकर रखने के आरोप लगाए गए है, जबकि बठिंडा ब्लड बैंक सिविल अस्पताल बठिंडा के दो पूर्व अधिकारियों ने भी मामले में जानबूझकर लापरवाही बरती। इसके चलते आरोपित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए अदालत में याचिका दायर की गई है।

महिला ने आरोप लगाया कि बीती 6 मई 2020 को एनीमिया के इलाज के लिए सिविल अस्पताल बठिंडा में भर्ती हुई थी। तब सिविल अस्पताल के ब्लड़ बैंक में तैनात लैब टेक्निशियन रिचा गोयल की तरफ से उसे एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाया गया। ब्लड बैंक की प्रभारी डा. कश्मिा गोयल को मई 2020 में ही इस मामले के बारे में पता चला गया था, लेकिन उन्होंने इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी। वहीं 5 अक्टूबर 2020 को डाक्टरों की एक कमेटी ने उपरोक्त आरोपों की पुष्टि करते हुए डा. मनिंदर सिंह एसएमओ को एक जांच रिपोर्ट सौंपी। डा. मनिंदर सिंह ने याचिकाकर्ता का पता लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया और अगस्त 2021 में बहुत देर से संपर्क साधा गया। उन्होंने सिविल अस्पताल बठिंडा का दौरा किया और एचआइवी पाजिटिव के रूप परिवार के दूसरे मैंबरों के रक्त की जांच की, तो उनके पति और 3 साल की बेटी भी संक्रमित मिली।

इन तीनों को 28 अगस्त 2021 को सिविल अस्पताल बठिंडा के एआरटी सेंटर में नियमित इलाज के लिए भर्ती कराया गया। याचिका दायर करने वाली महिला का कहना है कि अगर सिविल अस्पताल प्रबंधन समय पर उनके परिवार की जांच करता, तो शायद वह एचआइवी पाजिटिव होने से बच सकते थे। इस तरह अस्पताल के अधिकारियों की लापरवाही के शिकार हुए तीनों की जान से खिलवाड़ करने के लिए डा. मनिंदर सिंह एसएमओ, पूर्व लैब टेक्नीशियन रीचा गोयल और ब्लड़ बैंक इंचार्ज डा. कश्मिा गोयल जिम्मेवार है। वहीं बठिंडा पुलिस ने 10 अक्टूबर को एफआइआर दर्ज की व इसमें केवल सीनियर लैब टेक्नीशियन बलदेव सिंह रोमाना के खिलाफ केस दर्ज किया, जबकि दो अन्य आरोपितों को पूरे मामले में बचाने की कोशिश की गई।

याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि एसएमओ की ओर से एचआइवी रक्त चढ़ने की जानकारी मिलने के बाद 10 महीने तक उससे संपर्क नहीं किया, जिससे उपचार में देरी हुई और इस समय दौरान उसके पति और बेटी भी संक्रमित हो गई। इस प्रकार भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के तहत उक्त सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएं। इस मामले की पैरवी कर रहे हाई कोर्ट के एडवोकेट एचसी अरोड़ा ने कहा कि मानवीय अधिकारों के हनन के साथ यह घोर मेडिकल लापरवाही का मामला है व इसमें किसी भी आरोपितों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।


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