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इलाज के बाद एसवीआर टेस्ट नहीं करवा रहे हेपेटाइटिस सी मरीज

पंजाब में पिछले दो सालों से लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर का कारण बनने वाली हेपेटाइटिस सी बीमारी का इलाज मुफ्त हो रहा है। अकेले लुधियाना में ही 3235 मरीज इलाज करवा रहे हैं।

By Edited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 08:30 AM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 10:26 AM (IST)
इलाज के बाद एसवीआर टेस्ट नहीं करवा रहे हेपेटाइटिस सी मरीज
आशा मेहता, लुधियाना पंजाब में पिछले दो सालों से लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर का कारण बनने वाली हेपेटाइटिस सी बीमारी का इलाज मुफ्त हो रहा है। अकेले लुधियाना में ही हेपेटाइटिस सी प्रोग्राम के तहत 3235 मरीज सिविल अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। पर हैरानी की बात यह है कि बहुत से मरीज तीन से छह महीने के इलाज के बाद जरूरी सस्टेनेबल वायरल रिस्पोंस (एसवीआर) टेस्ट नहीं करवा रहे। डिस्ट्रिक एपिडिमोलॉजिस्ट डॉ. दिवजोत सिंह के अनुसार सिविल अस्पताल में हेपेटाइटिस सी का मुफ्त इलाज हो रहा है। इलाज वायरस की जीनोटाइप पर निर्भर करता है। किसी का 3 महीने तो किसी का 6 महीने का इलाज होता है। इलाज के दौरान मरीजों को हर तरह की दवाइया अस्पताल से मुफ्त दी जाती हैं। पचास तरह की जांच भी निशुल्क होती है। इलाज के दौरान किए जाने वाला वायरल लोड टेस्ट भी बेहद कम रेट पर होता है। डॉ. दिवजोत के अनुसार, जब मरीज का इलाज खत्म हो जाता है तो उसके तीन महीने बाद सस्टेनेबल वायरल रिस्पोंस (एसवीआर) टेस्ट करवाना बेहद जरूरी होता है। यह टेस्ट सिविल अस्पताल में मुफ्त होता है। इसके बाद भी बहुत से मरीज यह टेस्ट नहीं करवाते, क्योंकि उन्हें लगता है कि दवाओं से वह पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। हेपेटाइटिस सी से पीड़ित रहे मरीजों की यह सोच उचित नहीं हैं, क्योंकि जब तक एसवीआर टेस्ट नहीं हो जाता, तब तक किसी भी मरीज के हेपेटाइटिस सी की बीमारी से पूरी तरह क्योर होने के बारे में पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता। 500 मरीजों ने नहीं करवाया टेस्ट डिस्ट्रिक एपिडिमोलॉजिस्ट डॉ. दिवजोत सिंह के अनुसार लुधियाना के 300 और आसपास के जिलों से सिविल अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे करीब 190 मरीजों ने यह टेस्ट नहीं करवाया है। कुल 500 मरीजों का एसवीआर टेस्ट पेंडिंग चल रहा है। क्या है एसवीआर टेस्ट और क्यों है जरूरी एसवीआर टेस्ट मरीज में यह देखने के लिए करवाया जाता है कि उसके शरीर में हेपेटाइटिस सी के वायरस खत्म हो गए हैं या नहीं। अगर टेस्ट में वायरस नोट डिटेक्टिेड या जीरो पाया जाता है, तो मरीज को एक सर्टिफिकेट दिया जाता है। यह इस बात का प्रमाण होता है कि मरीज को हेपेटाइटिस सी से निजात मिल गई है और आगे इलाज की जरूरत नहीं। टेस्ट में फेल होने पर भेजा जाता है पीजीआइ अगर एसवीआर टेस्ट मरीज का फेल होता है तो उसे आगे के इलाज के लिए पीजीआइ के हेपेटोलॉजी डिपार्टमेंट में भेजा जाता है। ऐसे में इस जरूरी टेस्ट को न करवाकर मरीज अपनी ही सेहत को नुकसान पहुंचाते हुए खुद के साथ-साथ सेहत विभाग को भी संशय में रख रहे हैं। जब तक यह टेस्ट नहीं होता, तब तक मरीज के हेपेटाइटिस सी से निजात की पुष्टि नहीं की जा सकती। फोन कॉल व डोर टू डोर जाकर मरीजों को टेस्ट के लिए कहा जा रहा डॉ. दिवजोत के अनुसार हेपेटाइटिस सी के मरीज इलाज के बाद एसवीआर टेस्ट करवाएं, इसे लेकर सेहत विभाग कई प्रयास कर रहा है। सबसे पहले तो फोन कॉल के जरिए मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिन मरीजों से फोन पर संपर्क नहीं हो पा रहा है, उन्हें कर्मचारी घर जाकर समझा रहे हैं कि वह यह टेस्ट जरूर करवाएं।

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