संसार को जो दोगे, वही कई गुणा लौट कर आएगा: अचल मुनि
एसएस जैन स्थानक शिवपुरी के तत्वाधान में ओजस्वी वक्ता अचल मुनि म. ने कहा कि आज मानव महल में डायनिग रुम बनाएंगे।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक शिवपुरी के तत्वावधान में अचल मुनि म. ने कहा कि आज मानव महल में डायनिग रूम बनाएंगे, क्योंकि वहां खाना परोसा जाता है। अतिथि को खाना खिलाओ और खिलखिलाओ। अतिथि का अर्थ भी तो यही है, जिसकी कोई तिथि न हो। साधु संत को भी अतिथि कहते है, क्योंकि साधु संत की आने की कोई तिथि नहीं होती। जिस घर में कोई मेहमान आता था, वो लोग अपने भाग्य को सराहा करते थे। आने वाला मेहमान पुण्य छोड़ जाता है व पाप लेकर चला जाता है। मानव महल में भी अतिथि की आवभगत के लिए डायनिग रूम बनाइए। अगर आपके दरवाजे पर कोई अतिथि आए तो पलकें बिछाकर उसका स्वागत कीजिए। अतिथि सेवा कभी पैसे के लेन-देन से ही नहीं होती। हमेशा याद रखो जो तुम देते हो वहीं तुम पर लौटकर आता है। और कई गुणा होकर लौटता है। हर किसान यह नियम जानता है, मानता है, और इस पर काम करता है। वह खेत में अच्छे व बेहतरीन बीज बोता और परिणाम देखता है। फल आने का इंतजार करता है। संसार तो एक प्रतिध्वनि मात्र है। जो आज संसार को दोगे, वहीं संसार आपको लौटा देगा। उन्होंने कहा कि हम सब कुदरत के मेहमान हैं। अगर हमें मेहमान की हैसियत से रहना आ गया तो संसार बुरा नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से हम मेहमान की हैसियत, तौर तरीके, भूल गए हैं। हम मेहमान की बजाए खुद को मालिक समझ बैठे हैं। अरे मेहमान को मेहमान की तरह रहना चाहिए। ब्याज खाना पाप की कमाई: शीतल मुनि
सभा में शीतल मुनि ने कहा कि भूख और प्यास रोग है तो अन्न और जल उसका उपचार। भोजन करिए, लेकिन भजन को मत भूलिए। अतिशय मुनि ने कहा कि पसीना बहाना सीखिए। बिना पसीना बहाए तो हासिल होता है। वह पाप की कमाई है। ब्याज मत खाइए। यह पाप की कमाई है, क्योंकि इसमें पसीना नहीं बहाना पड़ता।