क्यों दबकर रह गया जांच में सामने आए फ्रॉड का मसला, कार्रवाई के नाम पर सभी मौन
सियासी संरक्षण में हुए विवादित ग्रैंड मैनर होम्स के विवाद में कई परतें खुलने लगी हैैं। एडीसी ने 29 अक्टूबर 2018 को सौंपी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य रखे थे।
लुधियाना [भूपेंदर भाटिया/राजेश भट्ट]। सियासी संरक्षण में हुए विवादित ग्रैंड मैनर होम्स के विवाद में कई परतें खुलने लगी हैैं। मामले में लुधियाना के डीसी ने एडीसी (जनरल) इकबाल सिंह संधू को जांच सौंपी थी। एडीसी ने 29 अक्टूबर 2018 को सौंपी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य रखे। ग्रैंड मैनर होम्स बनाने वाले आरके बिल्डर की सियासी पहुंच इस कदर रही कि जहां भी गड़बड़ी सामने आई, अफसर मिलकर उसे दबाने में जुटे रहे।
निगम की बिल्डिंग ब्रांच के अफसर हों या फिर कमिश्नर, सब किसी न किसी तरीके से बिल्डर की खामियों को छिपाते रहे। वहीं दूसरी तरफ रेवेन्यू रिकार्ड में छेड़छाड़ की बात सामने आने पर भी डिप्टी कमिश्नर प्रदीप अग्रवाल ने भी चुप्पी साधी और कार्रवाई के नाम पर मौन रहे। इसका फायदा बिल्डर उठाते रहे और निर्माण कार्य करवाते रहे।
ग्रैंड मैनर होम्स के निर्माण में जब खामियों की बात सामने आई और इसकी शिकायत हुई तो स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जांच के आदेश दिए। चेंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) के लिए लगाई गई रजिस्ट्री के फर्जी होने का मामला भी तब सामने आया था। इस पर सिद्धू ने डीसी को इस मामले की जांच करने को कहा। डीसी ने मामले की जांच एडीसी जनरल इकबार संधू को सौंपी।
इकबाल संधू ने रजिस्ट्री और रेवेन्यू रिकार्ड की जांच की तो उसमें यह बात सामने आई कि बिल्डर ने सीएलयू के लिए जो रजिस्ट्री लगाई थी उसमें छेड़छाड़ की गई थी। यही नहीं, छेड़छाड़ करके तैयार की गई रजिस्ट्री सही ठहराने के लिए रेवेन्यू रिकार्ड में भी छेड़छाड़ की गई थी। रेवेन्यू रिकार्ड में हुई छेड़छाड़ से साफ है कि इसमें कहीं न कहीं रेवेन्यू डिपार्टमेंट के किसी बड़े अफसर की मिलीभगत जरूर है।
792 गज अतिरिक्त जमीन पर भी कर लिया कब्जा
एडीसी ने रिपोर्ट में कहा कि रजिस्ट्री में दर्ज खसरा नंबर रेवेन्यू रिपोर्ट से मैच नहीं कर रहे थे। इससे स्पष्ट होता है कि धांधली हुई है। भूमि के रिकार्ड में गलियों और सड़कों के लिए छोड़ी 792 गज की अतिरिक्त जमीन की भी रजिस्ट्री मिलीभगत से करवा ली गई।
उन्होंने खुलासा किया कि सरकारी खजाने को चपत लगाने के उद्देश्य से रजिस्ट्री करवाने के समय इसे कृषि भूमि बताया गया। रिकार्ड में गलत जानकारी दी गई कि यह खेती की जमीन है। वास्तव में यह जमीन ईशर नगर मोहल्ले की थी जिसका रजिस्ट्री रेट खेतीबाड़ी जमीन से बहुत ज्यादा होता है, लेकिन राजस्व को चूना लगाने के लिए गलत नीयत के साथ रिकार्ड को छिपाया गया और मिलीभगत से रजिस्ट्री भी हो गई।
एडीसी ने भी कहा, पन्ने बदल किया गोलमाल
बिल्डर ने जिस जमीन पर फ्लैट बनाए हैं उस जमीन का सीएलयू नहीं करवाया था। जब इस मामले की शिकायत होने लगी तो बिल्डर ने उसके साथ की जमीन का खसरा नंबर लेकर सीएलयू करवा दिया। यह बात भी जब पकड़ में आने लगी तो बिल्डर ने रेवेन्यू अफसरों के साथ मिलकर रजिस्ट्री का पहला पेज बदलवा दिया, ताकि उसके सीएलयू को सही ठहराया जा सके।
एडीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रजिस्ट्री होने के बाद उसके पहले पन्ने को बदला गया और उसका रकबा बढ़ा दिया गया, जबकि रजिस्ट्री कम क्षेत्र की हुई थी। नगर निगम को सीएलयू आवेदन में दी गई रजिस्ट्री पर सवाल उठा कि इसके खसरा नंबर मेल नहीं खाते। बाद में रिकार्ड से छेड़छाड़ कर दोबारा आवेदन कर 20 फरवरी 2018 को सीएलयू हासिल कर लिया गया। नगर निगम से सीएलयू संबंधी पड़ताल करने पर जानकारी मिली कि नक्शा नंबर 98-सी के संबंध में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जांच के लिए नगर निगम के डीएसपी को नियुक्त किया है।
एडीसी की जांच से निकले तथ्य
- सब रजिस्ट्रार दफ्तर (सेंट्रल) में 19 जनवरी 2018 को रजिस्ट्री (नंबर 9941) हुई। इसका पहला पेज गायब किया गया। यह बात इससे स्पष्ट होती है कि रजिस्ट्री व रिकार्ड के बाकी पेज एक जैसे थे, सिर्फ पहला पेज ही बदला गया था। इसमें सब रजिस्ट्रार दफ्तर के कर्मचारियों की मिली भगत सामने आ रही है।
- पहला पन्ना आसानी से इसलिए बदला गया क्योंकि रजिस्ट्री की सभी नोङ्क्षटग्स दूसरे पन्ने पर लिखी गई थी। दरअसल नोटिंग दूसरे पन्ने पर ही लिखी जाती हैं क्योंकि प्रिंट निकालते वक्त कई बार पहला पन्ना फंस जाता है। ऐसे में पहले पेज को मिलीभगत से आसानी से बदला जा सकता है।
- इलाका पटवारी ने बिल्डर को सीएलयू हासिल करने के लिए गलत तरीके से फर्द जारी की। पटवारी के पास पूरा रिकार्ड था। ऐसे में अगर दस्तावेजों में गड़बड़ी थी तो पटवारी को उच्च अधिकारियों को बताना चाहिए था।
डीएसपी की रिपोर्ट में सियासी दबाव की बात आ चुकी है सामने
नगर निगम के डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों ने सीएलयू और बिल्डिंग प्लान में की गई धांधलियों की जो रिपोर्ट स्थानीय निकाय मंत्री को सौंपी है उसमें सियासी दखलंदाजी की बात सामने आई है। इससे साफ है कि रेवेन्यू रिकार्ड में गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद भी कार्रवाई न होने के पीछे सियासी दबाव है।
आई थी रजिस्ट्री के पन्ने बदलने की शिकायत
लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि हमारे पास रजिस्ट्री के पन्ने बदलने की शिकायत आई थी। इस मामले की जांच करवाई थी और जांच रिपोर्ट सरकार को भेज दी थी। इसके अलावा जिन अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाई थी, उन्हें शोकॉज नोटिस जारी किया गया है।