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गारमेंट्स पर एमईआइएस वापस, हैंड टूल पर कटौती, निर्यातक खफा

केंद्र सरकार ने मर्चेंटाइजिग एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम-एमईआईएस में मिलने वाले इंसेंटिव में कटौती की है। गारमेंट्स एवं मेडअप्स पर मिल रहा चार फीसद का इंसेंटिव खत्म कर दिया गया है जबिक हैंड टूल्स पर मिल रही पांच फीसदी एमईआईएस में दो फीसदी कम कर दिया गया है। सरकार के इस कदम से निर्यातक खफा हैं उनका तर्क है कि पहले ही पिछले डेढ़ माह के दौरान डालर पाउंड एवं यूरो के मुकाबले रुपये में चार से पांच फीसद तक की मजबूती

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 11:07 PM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2019 06:26 AM (IST)
गारमेंट्स पर एमईआइएस वापस, हैंड टूल पर कटौती, निर्यातक खफा
गारमेंट्स पर एमईआइएस वापस, हैंड टूल पर कटौती, निर्यातक खफा

राजीव शर्मा, लुधियाना

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केंद्र सरकार ने मर्चेटाइजिग एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआइएस) में मिलने वाले इंसेंटिव में कटौती की है। गारमेंट्स एवं मेडअप्स पर मिल रहा चार फीसद का इंसेंटिव खत्म कर दिया गया है, जबकि हैंड टूल्स पर मिल रही पांच फीसद एमईआइएस में दो फीसद कम कर दिया गया है। सरकार के इस कदम से निर्यातक खफा हैं, उनका तर्क है कि पहले ही डेढ़ माह के दौरान डालर, पाउंड एवं यूरो के मुकाबले रुपये में चार से पांच फीसद तक की मजबूती आई है, अब एमईआइएस में की गई कटौती एवं करंसी में मजबूती से उद्यमियों को करीब छह से सात फीसद का नुकसान होगा। हालत यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात काफी कम मार्जन पर काम कर रहे हैं। अब इस गैप को मैनेज करना मुश्किल होगा। उधर, माना जा रहा है कि सरकार इसके एवज में सितंबर-अक्टूबर से नई निर्यात प्रोत्साहन स्कीम ला रही है। निर्यातकों का मत है कि नई स्कीम के आने तक एमईआइएस का लाभ जारी रखा जाए। एमईआइएस का लाभ एडजस्ट होता है कस्टम ड्यूटी में

एमईआइएस में केंद्र सरकार फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) वैल्यू पर केंद्रीय करों का एक तरह से रीइंबर्समेंट करती है। निर्यातक को एमईआइएस का स्क्रिप मिलता है। जब निर्यातक उत्पादों का आयात करता है तो उसे कस्टम ड्यूटी में एमईआइएस का लाभ एडजस्ट हो जाता है। आयात नहीं करने वाले निर्यातक इसे आगे आयातक को बेच सकते हैं।

एमईआइएस पर व‌र्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन ने जताई थी आपत्ति

-इंजीनियरिग एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के डिप्टी डायरेक्टर ओपिदर सिंह ने कहा कि एमईआइएस स्कीम पर व‌र्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) ने आपत्ति जताई थी। ऐसे में सरकार इसे धीरे-धीरे खत्म करने जा रही है। फिलहाल सरकार ने कुछ उत्पादों पर एमईआइएस का लाभ या तो वापस ले लिया है या इसे कम कर दिया गया है। सितंबर में विदेश व्यापार नीति 2015-17 का सालाना सप्लिमेंट आ रहा है। इसमें सरकार नई स्कीम ला सकती है। सरकार ने विभिन्न राज्यों के निर्यातकों से रिबेट ऑन स्टेट लेवीज (आरओएसएल) के तहत लोकल करों के बारे में जानकारी का डाटा मांग लिया है।

डेढ़ माह में पांच फीसद रुपया हुआ मजबूत

-फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन का कहना है कि डेढ़ माह में विदेशी करंसी के मुकाबले रुपया चार से पांच फीसद तक मजबूत हो गया है। डालर के मुकाबले रुपया 71 से मजबूत होकर 68.80 के स्तर पर, यूरो के मुकाबले 79 से मजबूत होकर 76.50 पर और पाउंड 87 से मजबूत होकर करीब 83 पर पहुंच गया है। इसका निर्यातकों को सीधा नुकसान हो रहा है। अब सरकार ने दो फीसद एमईआइएस कम कर दिया है। इससे निर्यातकों को पांच से सात फीसद का कुल नुकसान हो रहा है। जबकि विश्व बाजार में निर्यातकों के पास इतना मार्जेन नहीं है। उन्होंने कहा कि हालत यह है कि आइजीएसटी एवं ड्राबैक भी वक्त पर नहीं मिल रहा है। इससे वर्किग केपिटल भी फंस रहा है। जब तक सरकार नई स्कीम नहीं लाती, इसे जारी रखना चाहिए।

सरकार का निर्यातकों का इंसेंटिव खत्म करना गलत

-निटवियर अपैरल एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन के प्रेसिडेंट हरीश दुआ का मानना है कि सरकार निर्यातकों को मिल रहे इंसेंटिव खत्म कर रही है। गारमेंट्स एवं मेडअप्स पर मिल रहा चार फीसद एमईआइएस वापस लिया गया है। सरकार इसे अप्रैल 2019 से वापस ले रही है। इससे निर्यातकों को भारी नुकसान होगा। चार माह में किए निर्यात पर उद्यमियों को चार फीसद अपनी जेब से देना होगा। इससे निर्यातक बर्बाद हो जाएंगे। निर्यातकों की समस्याओं को उठाने के लिए 27 सांसद पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर राहत की गुहार लगाएंगे। इसके अलावा लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू को भी इस बाबत सवाल बना कर दिया गया है। ताकि वे इस मुद्दे को संसद में उठाएं।

नई स्कीम आने तक निर्यातकों को मिलता रहे लाभ

-फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन के टेक्सटाइल डिवीजन के हैड अजीत लाकड़ा के अनुसार गारमेंट्स एवं मेडअप्स पर एमईआइएस का लाभ मिल रहा था। सरकार ने उसे एक अगस्त से खत्म कर दिया है। इससे निर्यातकों के समीकरण गड़बड़ा गए हैं। लाकड़ा ने मांग की है कि नई स्कीम आने तक निर्यातकों को इस लाभ से वंचित न किया जाए।


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