लुधियाना के इस सरकारी स्कूल ने दिखाई पंजाब के स्कूलों को नई राह, शिक्षा विभाग ने भी अपनाया कांसेप्ट
लुधियाना चंडीगढ़ हाईवे पर स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल जंडयाली को करीब 10 साल पहले टीचर नरिंदर सिंह ने स्मार्ट बनाना शुरू कर दिया था। इससे पहले स्कूल में टूटी-फूटी स्कूल की इमारत और उजाड़ सा कैंपस हुआ करता था।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। 14 साल पहले जिस सरकारी स्कूल में कोई टीचर ज्वाइन नहीं करना चाहता था और आर्थिक तौर पर कमजोर लोग भी अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजना पसंद नहीं करते थे। टूटी-फूटी स्कूल की इमारत और उजाड़ सा कैंपस बस यही विशेषता थी इस स्कूल की। स्कूल लुधियाना चंडीगढ़ हाईवे पर है, तो हर वक्त अफसरों के छापे का डर टीचर्स में बना रहता था। लेकिन स्कूल के एक टीचर ने स्कूल की ऐसी नुहार बदली कि आज यह स्कूल पूरे सूबे के लिए मिसाल बन चुका है। जी हां हम बात कर रहे हैं सरकारी प्राइमरी स्कूल जंडयाली की।
जंडयाली स्कूल के टीचर नरिंदर सिंह ने करीब 10 साल पहले ही स्कूल को स्मार्ट बनाना शुरू कर दिया था। गर्मियों की छुट्टियों में कैंप लगाना, सुबह शाम बच्चों को खेलकूद के फ्री ट्यूशन देने की परंपरा सरकारी स्कूलों में यहीं से शुरू हुई। दानी दाताओं से स्कूल की इमारत के लिए पैसे जुटाने और फिर उस इमारत की हर दीवार को लर्निंग मटीरियल की तरह प्रयोग किए जाने की पहल भी इसी स्कूल से शुरू हुई। 2012 तक नरिंदर सिंह ने इस स्कूल को स्मार्ट स्कूल बना लिया था।
सूबे का यह पहला प्राइमरी स्कूल था जिसमें लाइब्रेरी, मैथ्स पार्क, रेडक्रास, स्काउट, ट्रैफिक पार्क बने हैं। नरिंदर सिंह के इस प्रयास के बाद शिक्षा विभाग ने भी पंजाब में स्मार्ट स्कूल का कांसेप्ट, गर्मी की छुट्टियों समर कैंप, कमजोर बच्चों के लिए फ्री ट्यूशन, स्कूल में अलग अलग तरह के पार्क बनवाने का काम शुरू किया। यही नहीं कारपोरेट घरानों व लोगों की मदद से स्कूल को स्मार्ट बनाने का कांसेप्ट भी इसी स्कूल से शुरू हुआ।
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