चार अस्पतालों ने खून की कमी बताकर डिलीवरी से किया इन्कार
दोराहा आज के समय में करो ना जैसी महामारी से लड़ने के लिए डॉक्टर भगवान का रूप लेकर नजर आ रहे हैं। कुछ सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल में आज भी लोगों की जिदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिसके चलते कई बार किसी की जिदगी भी दांव पर लग जाती है। इसी क्रम में चार अस्पतालों ने एक गर्भवती की डिलीवरी करने से मना कर दिया क्योंकि उसमें खून की कमी थी।
मुदित मोहिद्रा, दोराहा
आज एक ओर डॉक्टर कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इसके विपरीत कुछ सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल जिदगी से कथित तौर पर खिलवाड़ कर रहे हैं। इससे किसी की मरीज की जिदगी दांव पर लग सकती है।
ऐसा ही एक मामला दोराहा में सामने आया है। हौजरी फैक्ट्री में कार्यरत वसीम अहमद की पत्नी साहबेस की डिलीवरी होने वाली थी। जिसके लिए वह शुक्रवार सुबह 5:30 बजे से अपनी पत्नी को साथ लेकर सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में धक्के खाता रहा। इन अस्पतालों ने गर्भवती में खून कम होने की बात बोल कर डिलीवरी से इन्कार कर दिया।
वसीम अहमद ने बताया कि वह दोराहा के जैलदार मोहल्ले में किराये पर रहता है। शुक्रवार सुबह लगभग 5:30 बजे वह अपनी पत्नी को लेकर सिविल अस्पताल पायल गया। वहां पर उन्होंने खून की कमी बताकर उसे पत्नी को सिविल अस्पताल खन्ना ले जाने के लिए कहा। इसके बाद वह पत्नी को लेकर सिविल अस्पताल खन्ना ले गया। आरोप है कि वहां पर भी उसकी पत्नी को कोई दवा या ट्रीटमेंट नहीं दिया। जब उसकी पत्नी को दर्द ज्यादा होने लगी, तो डॉक्टरों ने खून की कमी बताकर उसे पटियाला के लिए रेफर कर दिया।
इस पर उसने दोराहा में अपने पड़ोसियों से बात की, जिन्होंने मदद का आश्वासन दिया और उसे वापस दोराहा लौटने के लिए कहा। इसके बाद वह दोराहा में अपनी पत्नी को निजी अस्पताल और एक चैरिटेबल अस्पताल में ले गया। वहां भी उन्होंने खून की कमी की बात कहकर मरीज का इलाज नहीं किया।
इसके बाद जब यह बात अनमोल क्वात्रा एनजीओ की दोराहा इकाई की टीम को पता चली, तो उन्होंने उसका साथ दिया। उन्होंने उसकी गर्भवती पत्नी को लुधियाना के जोधेवाल बस्ती में स्थित एक नर्सिग होम में दाखिल करवाया। जहां पर उसने शुक्रवार सायं लगभग पांच बजे भर्ती होने के 10 मिनट बाद ही नार्मल डिलीवरी से नवजात को जन्म दिया। अब अब मां व बेटा दोनों ठीक हैं।
---------
ब्लड बैंक ने होने के कारण किया रेफर : एसएमओ
इस बारे में सिविल अस्पताल पायल के एसएमओ डॉ. हरप्रीत सिंह ने कहा कि महिला का यह तीसरा बच्चा था और उसमें खून की कमी थी। डिलीवरी के वक्त खून की कमी के चलते दिक्कत आ सकती थी। इसलिए उसे रेफर किया गया था, क्योंकि पायल में ब्लड बैंक नहीं है।
-----------------
एनजीओ की लोगों ने की तारीफ
दोराहा इकाई की अनमोल क्वात्रा समाजसेवी संस्था की लोगों द्वारा तारीफ की जा रही है। जिन्होंने उक्त गर्भवती महिला और उसके बच्चे की जान बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया। वहीं संस्था के गिन्नी कपूर, साहिल गलहोत्रा व ईस्टप्रीत सिंह ने लोगों को प्रेरित किया कि हर जरूरतमंद के काम आना चाहिए। आपके किए गए प्रयास से किसी की जान बच सकती है।