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अकाली-भाजपा सरकार के समय सलेम टाबरी पार्क में लगी थी पूर्व पीएम राजीव गांधी की प्रतिमा

राजीव गांधी की प्रतिमा जब लगाई गई तो उस वक्त राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी और नगर निगम में भी उन्हीं की पार्टी के मेयर थे।

By Sat PaulEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 10:43 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 11:41 AM (IST)
अकाली-भाजपा सरकार के समय सलेम टाबरी पार्क में लगी थी पूर्व पीएम राजीव गांधी की प्रतिमा
अकाली-भाजपा सरकार के समय सलेम टाबरी पार्क में लगी थी पूर्व पीएम राजीव गांधी की प्रतिमा

जासं, लुधियाना: सलेम टाबरी पार्क में लगे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की प्रतिमा को लेकर उठी सियासी जंग रुकने का नाम नहीं ले रही। प्रतिमा पर कालिख पोतने के बाद हिरासत में लिए गए अकाली नेता रिहा हो गए और उन्होंने फिर से प्रतिमा लगाने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए। पूर्व मंत्री व अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया प्रतिमा लगाने के वक्त की राज्य सरकार और तत्कालीन मेयर पर भी सवाल खड़े कर चुके हैं। यह सवाल उठाते वक्त बिक्रम सिंह मजीठिया को यह पता नहीं था कि राजीव गांधी की प्रतिमा जब लगाई गई तो उस वक्त राज्य में उनकी सरकार थी और नगर निगम में भी उन्हीं की पार्टी के मेयर थे। अब कांग्रेसियों का कहना है कि अगर प्रतिमा गलत तरीके से लगाई गई थी तो क्या उस वक्त अकाली दल के मेयर और सरकार सो रही थी? सलेम टाबरी में राजीव गांधी की प्रतिमा जब लगाई गई तो उस वक्त हाकम सिंह ग्यासपुरा मेयर थे और उत्तरी हलके के विधायक भाजपा के हरीश बेदी थे, जबकि राज्य में अकाली भाजपा गठबंधन की सरकार थी।

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अकाली दल के नेता गुरदीप गोशा व मीतपाल दुगरी को जब प्रतिमा पर कालिख पोतने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उसके बाद निगम ने गोशा के भाई की निर्माणाधीन इमारत पर कार्रवाई की तो बिक्रम सिंह मजीठिया खुद लुधियाना आए और उन्होंने नगर निगम से राजीव गांधी की प्रतिमा पर कार्रवाई करने की मांग की। उनकी दलील थी कि यह अवैध तरीके से लगाया गया है। लुधियाना उत्तरी हलके के विधायक राकेश पांडे का कहना है कि अकाली नेता बिना जानकारी के कुछ भी बोल देते हैं। उन्होंने कहा कि मजीठिया ने मांग की थी कि जब यह बुत लगाया गया था उस वक्त के मेयर व अफसरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने अवैध तरीके से प्रतिमा लगने दी। पांडे ने कहा कि उस वक्त इलाके के एमएलए भी अकाली-भाजपा गठबंधन के थे और मेयर भी अकाली दल के थे। राज्य में प्रकाश सिंह बादल की सरकार थी।

प्रतिमा की परमिशन को लेकर निगम मौन

नगर निगम के नियमों के मुताबिक शहर में अगर किसी भी व्यक्ति की प्रतिमा लगानी है तो इसके लिए निगम हाउस प्रस्ताव पास करता है। उसके बाद स्थानीय निकाय विभाग उसकी परमिशन देता है। परमिशन के बाद ही प्रतिमा लगाई जाती है। राजीव गांधी की प्रतिमा लगाने के लिए परमिशन ली गई या नहीं इस पर नगर निगम के मेयर से लेकर अफसर तक सभी चुप्पी साधे हुए हैं।


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