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इमरान की पार्टी के पूर्व विधायक जान बचाकर पहुंचे भारत, मांगी राजनीतिक शरण

इमरान खान की पार्टी पीटीआइ के पूर्व विधायक बलदेव कुमार को अपने परिवार समेत जान बचाकर भारत आना पड़ा। उन्होंने भारत में राजनीतिक शरण की मांग की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 04:48 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 10:45 AM (IST)
इमरान की पार्टी के पूर्व विधायक जान बचाकर पहुंचे भारत, मांगी राजनीतिक शरण

खन्ना [सचिन आनंद]। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की बदतर हालत का एक और सबूत सामने आया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के पूर्व विधायक बलदेव कुमार को अपने परिवार समेत जान बचाकर भारत में आना पड़ा। उन्होंने भारत में राजनीतिक शरण की मांग की है। बलदेव खैबर पख्तून ख्वा (केपीके) विधानसभा में बारीकोट (आरक्षित) सीट से विधायक रहे हैं।

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बलदेव (43) पिछले महीने खन्ना (लुधियाना) पहुंचे। इसके कुछ महीने पहले उन्होंने अपने परिवार को पहले ही यहां भेज दिया था। बलदेव अब वापस नहीं लौटना चाहते। वह भारत में शरण के लिए जल्द ही आवेदन करेंगे। सहजधारी सिख बलदेव का कहना है कि अल्पसंख्यकोंं पर पाकिस्तान में अत्याचार हो रहे हैं। हिंदू और सिख नेताओं की हत्याएं की जा रही हैं। साल 2016 में उनके विधानसभा क्षेत्र के सिटिंग विधायक की हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के लिए उन पर झूठे आरोप लगाए गए और उन्हें दो साल जेल में रखा गया। वह इस मामले में 2018 में बरी हुए।

इमरान खान के साथ बलदेव कुमार। वह सहजधारी सिख हैं। इस तस्वीर में वह बिना दाढ़ी के दिख रहे हैं।

केवल 36 घंटे रहे विधायक

बलदेव कुमार पर 2016 में अपनी ही पार्टी के विधायक सूरण सिंह की हत्या का आरोप लगा। उन्हें जेल में डाल दिया गया। पाकिस्तान कानून के मुताबिक, अगर विधायक (पाकिस्तान में इन्हें एमपीए कहा जाता है) की मौत हो जाए तो इसी पार्टी के दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार को विधायक बना दिया जाता है। हत्या के बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया और उस कारण उस समय वह एमपीए पद की शपथ भी नहीं ले सके। विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के दो दिन पहले उन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया। वह 2018 में विधानसभा में शपथ लेकर 36 घंटे के लिए विधायक रहे।

विधायक रहने के दौरान विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी बलदेव कुमार का पहचान पत्र।

पाकिस्तान में अलपसंख्यक खतरे में, तीन महीने के वीजा पर आए भारत

बलदेव कुमार तीन महीने के वीजा पर 12 अगस्त को भारत पहुंचे हैं। उन्होंने अटारी बॉर्डर से पैदल भारत में प्रवेश किया। अब वे वापस नहीं लौटना चाहते और भारत में ही राजनीतिक शरण लेकर रहना चाहते हैं। बलदेव का कहना है कि उनके बुजुर्गों ने पाकिस्तान के लिए अनेक कुर्बानियां दीं, लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यक दहशत के माहौल में रहने को मजबूर हैं। वे अपना सब कुछ छोड़कर यहां सिर्फ इसलिए आए हैं, ताकि अपने और अपने परिवार की जान बचा सकें।

बलदेव कुमार का नागरिकता पहचान पत्र।

खन्ना की भावना से 2007 में हुई थी शादी

बलदेव की शादी 2007 में खन्ना की रहने वाली भावना से हुई थी। शादी के समय वह पार्षद थे और बाद में विधायक बने। इन दिनों वह खन्ना के समराला मार्ग पर स्थित मॉडल टाउन में दो कमरों के किराये के मकान में अपने परिवार के साथ दिन गुजार रहे हैं। उनका ससुराल परिवार भी मॉडल टाउन में ही रहता है।

11 साल की बेटी थैलेसीमिया से पीड़ित, पाक में सेहत सेवाएं नाकाफी

बलदेव की पत्नी भावना अभी भी भारतीय नागरिक है। दो बच्चे 11 साल की रिया और 10 साल का सैम पाकिस्तानी नागरिक हैं। बेटी रिया थैलेसीमिया से पीड़ित है और उसका इलाज चल रहा है। बलदेव का कहना है कि पाकिस्तान में सेहत सुविधाएं नहीं के बराबर हैं और अगर हैंं भी तो इलाज बहुत महंगा है। रिया का हर 15 दिन में खून बदला जाता है।

मोदी बब्बर शेर हैं, उनसे उम्मीदें

बलदेव का कहना है कि पाकिस्तान को इमरान खान से बहुत उम्मीदें थीं कि वह एक नया पाकिस्तान बनाएंगे, लेकिन वह अपनी जनता की सुरक्षा करने में नाकाम रहे हैं। सेना और आइएसआइ इमरान पर हावी है। दूसरी तरफ भारत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बब्बर शेर की तरह हैं और उन्हें उम्मीद है कि मोदी उनकी मदद जरूर करेंगे।

पत्नी बोली, महिलाओं की हालत भी बदतर

बलदेव की पत्नी भावना ने कहा कि पाकिस्तान में महिलाओं की हालत बदतर है। वह अपनी मर्जी से घरों से बाहर भी नहीं जा सकती। नौकरी करना तो बहुत दूर की बात है। वहां के हालात देखकर ही शादी के बाद भी उन्होंने भारतीय नागरिकता नहीं छोड़ी।

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