...जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी काे समझ नहीं अाई पंजाबी, पढ़े लुधियाना की अाैर भी राेचक खबरें
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का आजकल पंजाब के प्रति कुछ ज्यादा ही झुकाव है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान वह समय-समय पर यहां आने के इच्छुक होते हैं लेकिन समस्या यह है कि उन्हें पंजाबी समझ नहीं आती।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का आजकल पंजाब के प्रति कुछ ज्यादा ही झुकाव है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान वह समय-समय पर यहां आने के इच्छुक होते हैं, लेकिन समस्या यह है कि उन्हें पंजाबी समझ नहीं आती। अब पंजाब सरकार के स्मार्ट विलेज कैंपेन पार्ट-2 का बीते सप्ताह आनलाइन आगाज हुआ। इसमें राहुल नई दिल्ली से जुड़े तो पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा अलग-अलग जिलों से मंत्री मनप्रीत बादल, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और अन्य नेता जुड़े।
इनके अलावा गुरदासपुर, पटियाला, जालंधर के सरपंचों ने भी आनलाइन अपने विचार रखे। लगभग सभी ने अपनी बात पंजाबी में कही मगर वह राहुल गांधी के सिर के ऊपर से गुजरती रही। खासकर सरपंच तो ठेठ पंजाबी लहजे में बोल रहे थे। इसके बाद मनप्रीत बादल ने पंजाबी में विचार रखते हुए ङ्क्षहदी में शेर बोला तो वो राहुल को समझ आया और उन्होंने सिर हिलाया।
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लाइम लाइट में आने की होड़
पंजाब में भले ही कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को लाइम लाइट में बने रहने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। जब भी कोई मौका मिले तो उसे कांग्रेसी गंवाना नहीं चाहते। खासकर भाजपा के खिलाफ तो वे अब खुलकर सामने आने लगे हैं, ताकि उनके आका खुश हो सकें। पिछले दिनों लुधियाना शहरी युवा कांग्रेस प्रधान ने भाजपा कार्यालय में घुसकर प्रधानमंत्री मोदी का पुतला फूंका और लाइम लाइट में आ गए।
अब लुधियाना ग्रामीण के युवा अध्यक्ष लक्की संधू कैसे पीछे रहते। उन्हेंं जब पता चला कि भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा लुधियाना में समारोह में आ रहे हैं तो वह साथियों के साथ आयोजन स्थल के पास पहुंच गए। मौके पर मौजूद पुलिस ने पहले ही युवा कांग्रेसियों के इरादे भांप लिए और उन्हेंं होटल से दूर ही रोक लिया, लेकिन वे हंगामा मचाकर खुद को लाइम लाइट में लाने में सफल रहे।
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सरकारी टेस्ट पर विश्वास नहीं
सेहत विभाग अब भी लोगों को कोरोना संक्रमण के लक्षण होने पर टेस्ट करवाने की सलाह दे रहा है। राजनीतिक नेता भी लोगों को इसके लिए प्रेरित करते रहे हैं, लेकिन उनको खुद के हुए सरकारी टेस्ट की रिपोर्ट पर विश्वास नहीं। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कोरोना का टेस्ट करवाया तो उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आ गई, मगर नेताजी मानने को तैयार नहीं थे। हालांकि नेताजी में कोरोना के कोई लक्षण भी नहीं थे, लेकिन सरकारी रिपोर्ट में उन्हेंं पाजिटिव बताया गया।
अब नेताजी कहने लगे कि उन्हेंं सरकारी जांच पर विश्वास नहीं है। वह शहर के बड़े निजी अस्पताल में फिर से अपना कोरोना टेस्ट करवाएंगे, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। अगले दिन नेताजी निजी अस्पताल गए या नहीं, लेकिन उन्होंने खुद को अपने घर में क्वारंटाइन जरूर कर लिया। अब वह राजनीतिक कार्यक्रमों को छोड़कर अपने घर में कैद हैं।
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कांग्रेस विधायक की भी नहीं चलती
कांग्रेस पार्टी सत्ता में हो और छह बार के विधायक की नगर निगम में न चले, यह बात समझ से परे है। खास बात यह है कि निगम में भी कांग्रेस की ही सत्ता है। पार्टी के विधायक राकेश पांडे ने अपने विधानसभा क्षेत्र में आने वाले वार्डों में विकास कार्य नहीं होने पर निगम कमिश्नर से भेंट की। उन्हेंं स्पष्ट कहा कि जिस तरह से अन्य कांग्रेसी मंत्री और विधायकों के क्षेत्र में काम हो रहे हैं, उसी तरह उनके इलाके में भी काम करवाए जाएं।
अफसरों ने विधायक की हां में हां भरी, लेकिन एस्टीमेट तक पास नहीं किया। इलाके के कांग्रेस पार्षद फिर विधायक के पास गए तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने कमिश्नर सहित अफसरों की क्लास लगाई। एक कांग्रेस नेता का कहना था कि इनसे अच्छी धमक तो मंत्री की पार्षद पत्नी की है, जो धड़ल्ले से काम करवा लेती हैं।