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शहर की आबादी कई गुना बढ़ी पर आग बुझाने के लिए साधन नहीं

शहर की आबादी पांच लाख से 25 लाख हो गई पर आग से निपटने के साधन नहीं बढ़ाए गए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 05:00 AM (IST)
शहर की आबादी कई गुना बढ़ी पर आग बुझाने के लिए साधन नहीं

राजेश भट्ट, लुधियाना

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शहर की आबादी पांच लाख से 25 लाख हो गई, पर आग से निपटने के साधन नहीं बढ़ाए गए। महानगर की फायर ब्रिगेड के पास आज जितना साजो सामान और मैनपावर है, उतने में शहर का एक चौथाई हिस्सा भी कवर नहीं हो सकता। फायर ब्रिगेड विभाग के पास जनसंख्या के हिसाब से न तो फायर टेंडर पूरे हैं और न ही आग बुझाने वाले फायर मैन व ड्राइवर। यही नहीं ऊंची इमारतों में लगी आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड के पास हाइड्रोलिक सीढ़ी तक नहीं है। फायर कर्मियों की बहादुरी ही है कि वे 12-12 घंटे की ड्यूटी करके कम साजो सामान के साथ ही आगजनी की घटनाओं से जूझते हैं। साजो सामान न होने की वजह से डेढ़ साल पहले नौ फायर कर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। उसके बाद भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

लुधियाना शहर की फायर ब्रिगेड में अफसरों व कर्मचारियों के कुल 147 पद स्वीकृत हैं। इसमें से 29 पदों पर रेगुलर कर्मचारी और 52 कर्मी आउटसोर्सिग पर काम कर रहे हैं। दोनों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो उसके बाद 66 पद खाली हैं। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइन के हिसाब से देखा जाए तो 25 लाख आबादी वाले शहर की फायर ब्रिगेड में कम से कम 239 फायर कर्मी होने चाहिए। जो कि वर्तमान संख्या के करीब चार गुना है। साजो सामान की बात करें तो लुधियाना शहर में वर्तमान में कुल 17 फायर टेंडर हैं। गाइडलाइन के मुताबिक लुधियाना शहर में कम से कम 28 फायर टेंडर होने चाहिए। यही नहीं शहर में फॉम स्प्रे करने वाले दो फायर टेंडर हैं जबकि शहर में प्लास्टिक व केमिकल इंडस्ट्री की गिनती को देखते हुए इनकी संख्या भी दुगनी होनी चाहिए। 1983 से अब तक नहीं हुई रेगुलर भर्ती

फायर ब्रिगेड को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1983 से अब तक फायर ब्रिगेड में एक भी रेगुलर कर्मचारी या अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई। पूरे प्रदेश में आधे से ज्यादा फायर कर्मी आउटसोर्सिग पर नियुक्त किए गए हैं। 1983 के बाद सिर्फ डेथ केस में ही रेगुलर कर्मियों को नियुक्त किया गया। हालात ये हैं कि जो कर्मचारी या अधिकारी रिटायर हो रहा है, उसकी जगह आउटसोर्सिग के जरिए भर्ती की जा रही है। जिन पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती नहीं हो सकती है, उन पदों पर कर्मचारियों की संख्या धीरे-धीरे सिमटती जा रही है। शहर में हैं 10 से 15 मंजिल की इमारतें

शहर में कॉमर्शियल इमारतें 10 मंजिल तक बनी हैं जबकि नए हाउसिग प्रोजेक्टों को 15 मंजिलों की इजाजत दी जा रही है। कॉमर्शियल इमारतों की ऊंचाई करीब 100 फुट तक है। अगर इन इमारतों में आगजनी की घटना होती है तो फायर ब्रिगेड के पास वहां तक पहुंचने का साधन ही नहीं है। फायर ब्रिगेड के पास सिर्फ 35 फुट की सीढ़ी है जो इतनी ऊंची इमारतों तक नहीं पहुंच सकती है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइन

-50 हजार की आबादी पर एक फायर टेंडर होना चाहिए।

-एक फायर टेंडर के लिए एक लीडिग फायरमैन होना चाहिए।

- प्रति टेंडर चार फायरमैन, एक ड्राइवर, एक सब फायर अफसर हो

शहर में मौजूदा इंतजाम

14 फायर टेंडर : 14

03 छोटे फायर टेंडर: 3

02 मोटर साइकिल : 2

04 फायर सब स्टेशन: सेंट्रल, सुंदर नगर, हैबोवाल, फोकल प्वाइंट गिल रोड

वाटर हाइड्रेंट सिस्टम : शहर के अंदरूनी बाजारों में। --------------

मौजूदा मैनपावर

पद मंजूर पद जरूरत तैनात रेगुलर तैनात कांट्रेक्ट

एडीएफओ 1 1 1 -

स्टेशन फायर अफसर 4 4 1 -

सब फायर अफसर 15 28 4 -

फायरमैन 86 112 21 40

ड्राइवर 19 28 2 12 कोट्स

शहर में हाइड्रोलिक सीढ़ी की जरूरत है, इसके लिए डिमांड भेजी गई है। इसके अलावा जल्दी नए फायर टेंडर भी मिलने की उम्मीद है।

-भूपिदर सिंह संधू, एडीएफओ, लुधियाना

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