फसली चक्र से मुक्ति चाहते हैं किसान, बजट में रोडमैप दे सरकार
अब सूबे के किसान फसली चक्कर से मुक्ति चाहते हैं।
जासं, लुधियाना : पंजाब में करीब 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं एवं 30 लाख हेक्टेयर पर धान पैदा किया जा रहा है। धान के चलते सूबे में जमीनी पानी खत्म हो रहा है और यह खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। नतीजतन अब सूबे का किसान भी चितित है और गेहूं धान के फसल चक्र से मुक्ति चाहता है, वह विविधिकरण के लिए तैयार है। किसान का तर्क है कि केंद्र सरकार इसके लिए बजट में रोड मैप दे, ताकि पंजाब के पानी को बचाया जा सके। इसके अलावा मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक किसान की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य में फिलहाल कोई दम नहीं नजर आ रहा है। उनका तर्क है कि इसके लिए अभी तक जमीन भी तैयार नहीं की जा सकी है। साथ ही किसान को उम्मीद है कि बजट में किसान की फसल के उचित मूल्य को तय करने का प्रस्ताव आएगा। दालें और सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए हों उपाय: हरमीत
भारतीय किसान यूनियन कादियां के स्टेट प्रेसिडेंट हरमीत सिंह कादियां का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि सूबे के किसानों को विविधिकरण को अपनाना होगा। पानी के मामले में पंजाब का काफी नुकसान हो चुका है। सरकार को गेहूं धान के अलावा अन्य फसलों को भी प्रोत्साहित करना होगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात होने वाली फसलों, दालों एवं सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार उपाय करे। इससे किसानों की आय बढ़ेगी, साथ ही गेहूं धान फसल चक्र भी टूट सकेगा। बासमती, दालों की खरीद पर एमएसपी तय हो: बूटा सिंह
पंजाब किसान यूनियन के जिला प्रधान बूटा सिंह ने भी सूबे में पानी की स्थिति पर चिता जताई है। उनका तर्क है कि सरकार धान की खरीद करके किसान को इसकी बीजाई के लिए मजबूर कर रही है। धान की बजाए बासमती, दालों इत्यादि की खरीद एमएसपी पर सुनिश्चित की जाए। इससे जहां पंजाब का पानी बचेगा, वहीं किसान आसानी से अन्य फसलों की तरफ बढ़ जाएगा। इसके अलावा डॉ. स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को सरकार लागू करके किसान को फसलों के सही मूल्य दे। सरकार मक्की एवं दालों की खरीद करे: चरणजीत गिल
स्टेट अवार्डी प्रोग्रेसिव किसान चरणजीत सिंह गिल का कहना है कि सरकार मक्की एवं दालों की खरीद करे। साथ ही बासमती को प्रोत्साहित किया जाए। पॉलीहाउस को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी बढ़ाई जाए। इसके अलावा सब्जियों की खरीद को भी सरकार सुनिश्चित करे और इन पर भी किसान को सब्सिडी दी जाए। यूरोप के बाजारों में सब्जियों की काफी मांग है। सरकार इस मार्केट को टैप करने के लिए किसानों को सहयोग करे। कृषि उत्पादों की पैदावार के लिए नीति बने: त्रिलोचन
कीरती किसान यूनियन के जिला प्रधान त्रिलोचन सिंह का तर्क है कि मोदी सरकार ने अगले तीन साल में किसान की आमदनी दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। बजट में इस दिशा में काम करना अनिवार्य है। उनका कहना है कि मूंगी का एमएसपी 5700 रुपये है, लेकिन किसान को यह 3800 से लेकर 4300 रुपये तक बेचनी पड़ी। यहां तक कि बासमती का भाव भी नहीं मिला। ऐसे में सरकार को अब जरूरत के अनुसार कृषि उत्पादों की पैदावार कराने के लिए नीति बनानी होगी। इससे किसान को भी लाभ होगा। किसानों का आर्थिक हालत सुधारने को हो प्रयास: सौदागर सिंह
भारतीय किसान यूनियन एकता के जिला प्रधान सौदागर सिंह घुडाणी का कहना है कि किसान की आर्थिक हालत लगातार खस्ता हो रही है। इस दिशा में सरकार को प्रयास करना होगा। साथ ही गेहूं धान के अलावा अन्य फसलें भी एमएसपी पर बिकें, इसे सुनिश्चित करना होगा। उनका कहना है कि सरकार एमएसपी में लागत के अनुसार इजाफा नहीं कर रही है। धान का एमएसपी 65 पैसे प्रति किलो बढ़ाया गया है। जबकि इससे ज्यादा केवल लेबर खर्च की बढ़ गया है।