पराली को जलाएं नहीं, इंडस्ट्री में ईंधन के लिए करें इस्तेमाल : डा. विज
अगर पंजाब के पर्यावरण को बेहतर करना है तो उसके लिए किसानों को भी पूर्ण योगदान देना होगा।
जागरण संवाददाता, लुधियाना :
अगर पंजाब के पर्यावरण को बेहतर करना है तो उसके लिए किसानों को भी पूर्ण योगदान देना होगा। पराली जलाने से हर साल पंजाब में तेजी से प्रदूषण बढ़ जाता है। इससे अस्थमा सहित कई तरह के मरीजों को भी भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अगर किसान पराली ना जलाएं तो वे इसके जरिए अपनी आमदनी को भी बढ़ा सकते हैं। यह कहना था पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीब) के चेयरमैन डा. आदर्श पाल विज का जोकि विश्व ओजोन दिवस को लेकर पीएयू में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अगर पंजाब की आने वाली पीढि़यों को बचाना है, तो हमें पर्यावरण सुरक्षा को लेकर जागरूक होना पड़ेगा। लगातार मौसम में हो रहे परिवर्तन के लिए कहीं ना कहीं हम खुद ही जिम्मेदार हैं। इसके लिए हम सबको मिलकर नैतिकता से इसके हल के लिए आगे आना होगा। किसानों की ओर से जलाई जाने वाली पराली पंजाब की ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों की आबो हवा को भी खराब कर रही है। पराली को न जला कर इसे इंडस्ट्री में फ्यूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए पंजाब सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है। इसको लेकर पंजाब सरकार की ओर से योजना पर काम लगभग पूर्ण हो चुका है। इस दौरान उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों पर भी विस्तार से चर्चा की। इस दौरान पीपीसीबी के सदस्य करुणेश गर्ग, अवनीत कौर, थापर विश्वविद्यालय के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सुशील मित्तल ने यूवी रेडिएशन के बुरे प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा की। करुणेश गर्ग ने लुधियाना में प्रदूषण रोकथाम को लेकर किए जा रहे प्रयासों और रोडमैप के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान चीफ इंजीनियर गुलशन राय, राजकुमार गोयल और गुरबख्शीश सिंह गिल ने भी विचार व्यक्त किए।