Sangrur Famous Tourist places: सर्दियाें में जरूर घूमें संगरूर के ये 5 दर्शनीय स्थल, आना-जाना बेहद आसान
Sangrur Famous Tourist places दशहरे पर इस बार संगरूर की जरूर सैर करें। पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से संगरूर की दूरी मात्र 129 किलाेमीटर है। संगरूर में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल मिल जाएंगे। यहां पर्यटन का खजाना है।
आनलाइन डेस्क, लुधियाना। Sangrur Famous Tourist places: पंजाब में सर्दियाें के माैसम में बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 272 किलाेमीटर दूर जिला संगरूर पर्यटन का खजाना है। यहां में कई दर्शनीय स्थलाें की सैर से आपकाे सूकून मिल जाता है। संगरूर में आप ट्रेन और सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। राजधानी चंडीगढ़ से संगरूर की दूरी मात्र 129 किलाेमीटर है। संगरूर में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल मिल जाएंगे। यहां की तराेताजा हवा आपकाे सुकून का अहसास करवाएगी।आइए संगरूर शहर के 5 प्रमुख पर्यटक स्थलाें के बारे में जानते हैं।
गुरुद्वारा पातशाही नवमी
यह गुरुद्वारा शहर से 19 किलाेमीटर की दूरी पर संगरूर-पटियाला रोड पर एक छोटे से कस्बे भवानीगढ़ में स्थित है। यहां हर राेज संगत की कतार लगी रहती है। माना जाता है कि यहां आने वाली संगत की हर अरदास पूरी हाेती है। कहा जाता है कि असम के राजा ने श्री गुरु तेगबहादुर जी को अपने राज्य में आने का निमंत्रण दिया था और अपनी यात्रा खत्म करने के बाद गुरु जी अपने 300 अनुयायियों के साथ यहां रुके थे। गुरुद्वारे का निर्माण भव्य तरीके से किया गया है।
बनासर बाग
शहर का मशहूर बनासर बाग एक तालाब के बीच में स्थित है। यह संगमरमर की एक बारादरी (12 दरवाजों की एक इमारत) है। यहां पर्यटकों को रात में चांद की राेशनी मेें हल्की झिलमिलाहट दिखती है। यह स्थान पहले जींद राज्य के शासकों के द्वारा ग्रीष्मकाल के दौरान उपयोग में लाया जाता था, अब यह पूरे सप्ताह बिना किसी प्रवेश शुल्क के आम लोगों के लिए खुला रहता है। इस बाग में एक महल भी है जो अब संग्रहालय में बदल चुका है। यहां प्राचीन हथियारों और आलेखों को प्रदर्शित किया गया है। पर्यटक यहां सर्दियाें के माैसम में ज्यादा आते हैं।
गुरुद्वारा अकोई साहिब
गुरुद्वारा अकोई साहिब शहर से उत्तर की ओर 5 किमी की दूरी पर मालेरकोटला-संगरूर रोड पर अकोई गांव में स्थित है। विदेशाें से संगत भी यहां आती रहती है। इस जगह का पहला दौरा पहले, छठे और नौवें सिख गुरुओं ने किया था। इस स्थान में श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने अपने घोड़े को करीर के पेड़ से बांधा था जो अब तक यहां मौजूद है। गुरुद्वारे के मध्य में एक बड़ा सा गुंबद है जो चारों तरफ से छोटे-छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है।
गुरुद्वारा नानकियाना साहिब
गुरुद्वारा नानकियाना साहिब कंझला गांव में स्थित है। यहां गुरु नानक देव जी रुके थे और उन्होंने स्थानीय पुजारियों को सही रास्ता दिखाया था। मान्यता है कि उस महिला के द्वारा गुरु तेग बहादुर जी को दूध की पेशकश की गई थी, जिसने इस जगह से कुष्ठ रोग को ख़त्म करने के लिए बाबा जी से विनती की थी। गुरु जी के आशीर्वाद से उस महिला की इच्छा पूरी होने के साथ गांव में कुष्ठ रोग ठीक हो गया। यहां टैक्सी या बस से गुरुद्वारा तक पहुंचने के लिए करीब 25 मिनट लगते हैं।
गुरुद्वारा घल्लूघारा साहिब
यह स्थान उन वीर सैनिकों के सम्मान में बनाया गया था जिन्होंने अफगानिस्तान के अहमद शाह दुर्रानी, सरहिंद के जईन खान और मालेरकोटला के भीखन खान की संयुक्त सेनाओं के खिलाफ युद्ध करने में अपना जीवन समाप्त कर दिया। यह मालेरकोटला–लुधियाना रोड पर, राहिरा रेलवे स्टेशन से आधा किलाेमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक कार और बस में आसानी से पहुंचा जा सकता है।