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रुपये की कमजोरी से निर्यातकों को फायदा कम, नुकसान ज्यादा

डॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही गिरावट से निर्यातकों को फायदा कम और नुकसान अधिक हो रहा है। पंजाब के निर्यातक इससे सबसे अध‍िक प्रभाव‍ित हो रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 01:15 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 09:14 AM (IST)
रुपये की कमजोरी से निर्यातकों को फायदा कम, नुकसान ज्यादा
रुपये की कमजोरी से निर्यातकों को फायदा कम, नुकसान ज्यादा

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। डॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही कमजोरी से पंजाब के निर्यातकों को फायदा कम और नुकसान अधिक हो रहा है। दूसरे डॉलर के मुकाबले चीन भी अपनी करंसी को डी वेल्यू करके बाजार में अपनी पकड़ बनाए हुए है। ऐसे में निर्यातकों ने सरकार से आग्रह किया है कि करंसी की उठापठक रोकने के लिए तुरंत हस्तक्षेप किया जाए और रुपये को डॉलर के मुकाबले स्थिर करने के उपाय किए जाएं। निर्यातक मानते हैं कि करंसी की स्थिरता से ही उद्यमियों का बिजनेस बेहतर ढंग से चलता है।

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चीन भी अपनी करंसी को कर रहा डीवैल्यू, डॉलर की मजबूती का फायदा मांग रहे हैं विदेशी खरीदार

काबिलेजिक्र है कि जनवरी में डॉलर के मुकाबले रुपया 63.46 के स्तर पर था। अब यह गिर कर 73 के आसपास घूम रहा है। करंसी की डी वेल्यूएशन से विेदेशी बाजार में निर्यातकों के लिए संभावनाएं एकदम बढ़ गईं, लेकिन अप्रैल से लेकर अब तक चीन ने भी अपनी करेंसी युआन को करीब नौ फीसद डी वैल्यू कर दिया है। अप्रैल से लेकर अब तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगभग 11 फीसद गिरा है। ऐसे में अमेरिका एवं चीन की ट्रेड वार को छोड़ दिया जाए तो विश्व के अन्य बाजारों में चीन से निर्यात की रफ्तार बरकरार है।

इसका मुकाबला यहां के निर्यातक कर नहीं पा रहे हैं। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल में बाइसाइकिल पैनल के कन्‍वीनर प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि जिन निर्यातकों ने लंबे कांट्रेक्ट किए हैं उनको करंसी की उठापठक का लाभ हो रहा है। ऐसे निर्यातकों की संख्या करीब 15 से 20 फीसद है, जबकि ज्यादातर निर्यातक कांट्रेक्ट टू कांट्रेक्ट रेट सेट करते हैं, उनके लिए मुश्किल है। उनसे विदेशी बायर करंसी का फायदा मांग रहा है। इसके अलावा चीन द्वारा अपनी करंसी डी वैल्यू करने से भारतीय निर्यातकों की ओवरसीज मार्केट में चुनौती कम नहीं हुई है।

गिरावट का फायदा कम नुकसान अधिक हो रहा : एससी रल्हन

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन का कहना है कि निर्यातकों को करंसी में गिरावट का फायदा कम नुकसान अधिक हो रहा है। एक तरफ कच्चे माल के रेट बढ़ रहे हैं। एक साल में स्टील 45 फीसद तक महंगा हो गया है। केमिकल के दाम भी बढ़ते जा रहे हैं। उत्पादों की लागत में इजाफा हो रहा है, दूसरी तरफ विदेशी खरीदार करंसी में कमजोरी का फायदा मांग रहे हैं और उधारी माल पर पेमेंट काट कर दे रहे हैं।

इससे निर्यातक को नुकसान हो रहा है। रल्हन ने सरकार से मांग की है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की उठापठक को तुरंत नियंत्रित किया जाए, तभी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। ईईपीसी के डिप्टी डायरेक्टर ओपिंदर सिंह का कहना है कि अगस्त 2017 में इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात 38201.15 करोड़ रुपये था जोकि अगस्त 2018 में 31.81 फीसद इजाफे के साथ बढ़ कर 50351.33 करोड़ रुपये हो गया।

इसी तरह जनवरी से अगस्त 2017 के मुकाबले चालू साल इसी अवधि में इंजीनियरिंग निर्यात में 21.84 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया है। ओपिंदर ने कहा कि करंसी की डी वेल्यूएशन के कारण वेल्यू में निर्यात अधिक बढ़ा दिखाई दे रहा है, जबकि क्वांटिटी में निर्यात इतना नहीं बढ़ा है।


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