पर्यावरण प्रेमियों ने मत्तेवाड़ा में बैठक कर बनाई संघर्ष की रणनीति, बोले- मत्तेवाड़ा में प्रस्तावित औद्योगिक पार्क को शिफ्ट करे सरकार
मत्तेवाड़ा के जंगल के पास प्रस्तावित मेगा टेक्सटाइल पार्क का विरोध कर रहे सामाजिक संगठनों व पर्यावरण प्रेमियों ने बैठक की। बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि पंजाब में पहले ही केवल तीन प्रतिशत जंगल बचे हैं। पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए जंगलों को बढ़ाना बहुत जरूरी है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। मत्तेवाड़ा के जंगल के पास प्रस्तावित मेगा टेक्सटाइल पार्क का विरोध कर रहे सामाजिक संगठनों व पर्यावरण प्रेमियों ने वीरवार को मत्तेवाड़ा में बैठक की। इसमें पब्लिक एक्शन कमेटी, संयुक्त किसान मोर्चा, ट्रैक्टर टू ट्विटर, मैं पंजाबी आदि संगठनों के 50 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि पंजाब में पहले ही केवल तीन प्रतिशत जंगल बचे हैं। पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए जंगलों को बढ़ाना बहुत जरूरी है।
इसके विपरीत सरकार जंगलों को उजाड़ने का इंतजाम कर रही है। मत्तेवाड़ा के बेहद करीब एक हजार एकड़ में औद्योगिक पार्क बनाने का प्रस्ताव है। बैठक में तय किया गया कि पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में इस मुद्दे को उठाने के लिए विधायकों के साथ संपर्क किया जाएगा। इसके अलावा वहां पर सुख शांति के लिए श्री सुखमणि साहिब के पाठ कराए जाएंगे। गांव सेखेवाल के लोगों ने पर्यावरण प्रेमियों को सूचित किया था कि ग्लाडा के अधिकारी वीरवार को मत्तेवाड़ा पहुंच कर जबरदस्ती जमीन अधिग्रहण कर सकते हैं। इस कारण पर्यावरण प्रेमी व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि वहां पहुंचे थे। शाम तक ग्लाडा के अधिकारी नहीं आए जिसके बाद उन्होंने बैठक कर आगामी रणनीति बनाई। कर्नल सीएम लखनपाल ने कहा कि मत्तेवाड़ा के जंगलों के पास औद्योगिक पार्क बनाने से सतलुज के पानी और पर्यावरण को नुकसान होगा। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।
सत्ता में आते ही पार्क के पक्ष में आ गए आप विधायक
पब्लिक एक्शन कमेटी के प्रवक्ता जसकीरत सिंह ने कहा कि चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के नेता उनके साथ खड़े थे। सत्ता में आते ही अब औद्योगिक पार्क के पक्ष में आ गए हैं। यह लोगों के साथ धोखा है। इससे पर्यावरण प्रेमियों में नाराजगी है। वे लोग औद्योगिक पार्क के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसकी जगह मत्तेवाड़ा के जंगलों से दूर करने की मांग कर रहे हैं। इससे उद्योग भी लग पाएंगे और पर्यावरण का नुकसान भी नहीं होगा। सतलुज का पानी पहले ही दूषित है। बुड्ढा दरिया इसे और गंदा कर रहा है। इस कारण मालवा क्षेत्र में कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। सतलुज का और गंदा नहीं होने दिया जाएगा। इसके खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी जाएगी। पीछे नहीं हटा जाएगा।