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आठ वर्षीय बच्ची ने कटने से बचाया पैवेलियन मॉल के सामने लगा 100 साल पुराना वृक्ष

एलआइसी की इमारत बनने के लिए पेड़ काटे जा रहे थे। इसी जगह से सटी एक इमारत में आठ वर्षीय बच्ची पेड़ को कटता देख रोने लगी।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 09:17 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 09:17 AM (IST)
आठ वर्षीय बच्ची ने कटने से बचाया पैवेलियन मॉल के सामने लगा 100 साल पुराना वृक्ष
आठ वर्षीय बच्ची ने कटने से बचाया पैवेलियन मॉल के सामने लगा 100 साल पुराना वृक्ष

लुधियाना, राजेश शर्मा। आठ साल की तनिष्का द्वारा 100 साल पुराना वट वृक्ष बचाने का किस्सा उन सब लोगों के लिए नसीहत है, जो पर्यावरण के प्रति लापरवाह हैं। पिछले दिनों पैवेलियन मॉल के सामने एलआइसी की इमारत बनने जा रही थी। इसके निर्माण के लिए वहां लगे पेड़ काटे जा रहे थे। इसी जगह से सटी एक इमारत में पंजाब यूनिवर्सिटी के लॉ कॉलेज सेंटर में बतौर लेक्चरर तैनात डॉ. शिव डोगरा का घर है।

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उनकी आठ वर्षीय बेटी ने वहां पेड़ कटता देखा तो रोने लगी। इस पर डॉ. डोगरा ने खबरनवीस से संपर्क कर एलआइसी के सीनियर डिवीजनल मैनेजर का नंबर लिया। पहले उनसे संपर्क नहीं हो पाया तो बेटी का रोना जारी रहा। जैसे-तैसे खबरनवीस ने डिवीजनल मैनेजर से संपर्क करवाया और पूरी बात उन्हेंं बताई। इसके बाद उनके निर्देश से पेड़ को नहीं काटा गया। बेटी के रोने से आखिर सौ साल पुराना पेड़ कटने से बच गया।

मांगपत्र देने वाले भी दहशत में
शहर में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। आम लोगों के साथ अब आला अधिकारी भी कोरोना की चपेट में आने लगे हैं। मंगलवार को एडिशनल डिप्टी कमिश्नर जनरल अमरजीत सिंह बैंस की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटव आ गई। रिपोर्ट आते ही डिप्टी कमिश्नर वरिंदर कुमार शर्मा सहित कई अधिकारियों ने खुद को क्वारंटाइन कर लिया।

सुबह जैसे ही इसकी खबर फैली, मिनी सेक्रेटरिएट कांप्लेक्स में खलबली मच गई। डीसी व एडीसी दफ्तर के कर्मचारियों में दहशत का माहौल बन गया। इसके साथ ही एक अन्य वर्ग में भी दहशत फैल गई, जिसका एडीसी दफ्तर से कोई संबंध नहीं था। वह थे विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक व धाॢमक संगठनों के पदाधिकारी। उनकी चिंता यह थी कि बीते सप्ताह वे डीसी को मांगपत्र देने उनके दफ्तर पहुंचे थे। वहां उनकी अनुपस्थिति में उन्होंने मांगपत्र एडीसी जनरल अमरजीत सिंह बैंस को सौंपा था। अब तो उन्हेंं भी कोरोना वायरस का डर सताने लगा है।

आग बुझाने वाली रेत बनी पीकदान
लघु सचिवालय परिसर में आग बुझाने के लिए लगाए गए अग्निशमन यंत्र के साथ रेत से भरी बाल्टियां भी रखी हैं। इसमें रेत भी रखी है, जिसका सालों से उपयोग नहीं हो पाया है। सोमवार को एडीसी जगराओं नीरू कत्याल के दफ्तर के बाहर शार्ट-सर्किट से आग लगी तो उसे बुझाने के लिए कर्मचारियों ने रेत की बाल्टियां उठा लीं, लेकिन रेत आग पर फेंकी ही नहीं जा सकी।

लोगों ने हाथ से भी रेत निकालने का प्रयास किया, पर सब विफल। वजह बड़ी अजीब थी। दरअसल यह बाल्टियां डीसी ऑफिस की आवाजाही वाली बालकनी में टंगी थीं। बहुत से लोग इन में थूकते रहते थे। सालों से किसी ने इसकी सुध नहीं ली और ये रेत जमकर कठोर हो गई। खैर आग तो बुझानी ही थी। इसके लिए सिलेंडर का इस्तेमाल किया गया। इनमें भी तीन सिलेंडर तो चले ही नहीं। चौथे ने काम किया तब आग बुझ पाई।

कोरोना का डर, हटवा दी कुर्सी

चंडीगढ़ रोड, 32 सेक्टर के ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर तैनात एक सिक्योरिटी गार्ड के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद सेंटर पर एक अतिरिक्त गार्ड की ड्यूटी की व्यवस्था की गई। इसके तहत वहां आने वाले हर व्यक्ति का एंट्री से पहले बुखार चेक करना था। वहां तैनात एक अन्य गार्ड मनोयोग से ड्यूटी निभाता रहा। बीते शुक्रवार को उसे भी बुखार हो गया तो उसने छुट्टी कर ली।

सोमवार को भी वह काम पर नहीं पहुंचा तो दफ्तर में किसी ने अफवाह उड़ा दी कि उसको भी कोरोना हो गया है। इससे अन्य कर्मचारी भी दहशत में आ गए। जिस जगह उसकी डयूटी थी, उसे सैनिटाइज किया गया। यहां तक कि जिस कुर्सी पर वह बैठता था, वह कुर्सी भी हटा दी गई। यही नहीं, कोरोना का डर इतना था कि कर्मियों ने तो उस कुर्सी को दफ्तर के पीछे स्थित कमरे के कोने में रखवा दिया।

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