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नशे के आदी युवक की जेल में मौत, परिवार ने जेल प्रशासन पर लगाए संगीन आरोप Ludhiana news

चार जनवरी को थाना दोराहा पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज करके पांच जनवरी को जेल भेज दिया गया था।

By Vikas KumarEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 03:21 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 05:13 PM (IST)
नशे के आदी युवक की जेल में मौत, परिवार ने जेल प्रशासन पर लगाए संगीन आरोप Ludhiana news
नशे के आदी युवक की जेल में मौत, परिवार ने जेल प्रशासन पर लगाए संगीन आरोप Ludhiana news

लुधियाना, जेएनएन। करीब दस दिन पहले एनडीपीएस एक्ट के मामले में जेल गए युवक की मंगलवार की रात संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस ने इसकी सूचना परिवार को देने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया। मृतक की पहचान गांव साहनेवाल के सुमित सचदेवा उर्फ सोनू (29) के रूप में हुी है। सुमित के भाई सुनील ने बताया कि उसका भाई नशा करने का आदी था, उसकी शादी को करीब सवा साल हुआ है। चार जनवरी को थाना दोराहा पुलिस ने उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और पांच जनवरी को उसे जेल भेज दिया गया। जेल गारद ने मंगलवार की रात परिवार को फोन पर सूचित किया कि सुमित की अचानक तबीयत बिगड़ गई और उसे सिविल अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

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जेल से सुमित ने परिजनों से मांगे थे पैसे 

मृतक सुमित के छोटे भाई सुनील ने आरोप लगाया कि उसका भाई नशा करने का आदी था, न कि नशा बेचता था। उसके खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया, फिर उसे जेल भेज दिया। उसने आरोप लगाया कि रविवार को उसके भाई ने उसे फोन कर बताया कि उसे जेल में नशा छोड़ने वाली दवा नहीं मिल रही है। उसे एक हजार रुपये की जरूरत है, जिससे वह अंदर ही एक कैदी को पैसे देकर दवा खरीद लेगा। सुनील ने बताया कि रविवार को उसके मोबाइल पर एक मैसेज आया, जिसमें एक नंबर आया था। उस नंबर पर 1000 पेटीएम करने थे। उसने अपने भाई की हालत को देखते हुए उस नंबर पर एक हजार रुपये पेटीएम कर दिए। इसके बाद उसके भाई ने इन पैसों से जेल में तीन गोलियां दी गईं।

शुक्रवार को फिर उसके भाई ने फिर कॉल की और दवा लेने के लिए फिर हजार रुपये पेटीएम करने को कहा। उसने फिर दोबारा उसी नंबर पर पेटीएम किए। सुनील ने आरोप लगाया कि जेल प्रबंधन को यह सब मालूम है कि अंदर कैदी ही नशा व नशीली दवा बेच रहे हैं। अगर वह समय पर उसके भाई को किसी अच्छे अस्पताल में दाखिल करवा देते तो शायद उसके भाई की जान बच सकती थी। उन्होंने बताया कि इस मामले को वह हाईकोर्ट तक लेकर जाएंगे।मृतक के परिजनों द्वारा लगाए जा रहे गंभीर आरोपों के बारे में जेल सुपरिंटेंडेंट राजीव अरोड़ा का पक्ष जानने के लिए कई बार फोन किया गया। लेकिन, जेल सुपरिंटेंडेंट से संपर्क नहीं हो सका।

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