लुधियाना में छठे पे कमिशन के विरोध में सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों ने की हड़ताल, बिना इलाज लौटे मरीज
लुधियाना सिविल अस्पताल में डाक्टर्स ने पे कमिशन की सिफारिशें रद करने का बैनर ले नारेबाजी की वहीं नर्सिंग स्टाफ ने भी कुछ समय के लिए हड़ताल में अपना समर्थन दिया। इस दिन ओपीडी सेवाएं के साथ-साथ सरबत बीमा योजना आनलाइन कंसल्टेशन यूडीआइडी सेवाएं बंद रखी गई।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (पीसीएएसए) के आह्वान पर सोमवार सरकारी अस्पतालों के डाक्टर्स ने फिर से तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी। छठे पे कमिशन के विरोध में डाक्टर्स ने यह हड़ताल की। हड़ताल के पहले दिन ही मरीजों का दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सिविल अस्पताल में डाक्टर्स ने जहां पे कमिश्न की सिफारिशें रद करने का बैनर ले नारेबाजी की, वहीं नर्सिंग स्टाफ ने भी कुछ समय के लिए हड़ताल में अपना समर्थन दिया। इस दिन ओपीडी सेवाएं के साथ-साथ सरबत बीमा योजना, आनलाइन कंसल्टेशन, यूडीआइडी सेवाएं बंद रखी गई।
सिविल अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद है के पोस्टर भी लगाए गए और बिना इलाज मरीजों को बैरंग लौटना पड़ा। बता दें कि इससे पहले जून माह में भी चार बार हड़ताल की जा चुकी है और अब डाक्टर्स ने चेतावनी दी है कि यदि तीन दिनों की हड़ताल के दौरान भी यदि सरकार ने उनकी मांगों की तरफ ध्यान न दिया तो पंद्रह से फिर से ओपीडी का बायकाट करेंगे और अगर तब भी हल न निकला तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की भी चेतावनी दी है।
परेशान मरीज बोले- हमारा क्या कसूर
डाक्टर्स की हड़ताल के दौरान सिविल अस्पताल ओपीडी में आना वाले परेशान मरीजों का जहां बिना इलाज वापिस लौटना पड़ा, वहीं मरीजों ने कहा कि इसमें हमारा क्या कसूर है जो इलाज नहीं किया जा रहा।
-टिब्बा रोड निवासी शौकीन अपनी मां के साथ सिविल अस्पताल की ओपीडी पहुंचा। लेकिन हड़ताल की वजह से उसे परेशान होना पड़ा। शौकीन के काम में समस्या होने के चलते एक तरफ उसे फैक्ट्री से छुट्टी नहीं मिल रही थी तो बड़ी मुश्किल से सोमवार छुट्टी ले अस्पताल पहुंचा पर बिना इलाज उसे बैरंग ही लौटना पड़ा।
- बस्ती जोधेवाल की साठ वर्षीय आशा अपने बेटे हैरी के साथ सिविल अस्पताल ओपीडी में पहुंची। डिस्क समस्या और कान में परेशानी होने के चलते चलने-फिरने में समस्या होने के कारण वह व्हील चेयर पर अस्पताल आई लेकिन इलाज न मिलने के कारण परेशान हो वापस घर लौटना पड़ा।