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बड़ी आंतड़ी के पास धंसा था टूटा कांच का गिलास, गुदा से निकाला

सिविल अस्पताल के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों के सामने एक ऐसा बेहद हैरानीजनक केस आया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 06:00 AM (IST)
बड़ी आंतड़ी के पास धंसा था टूटा कांच का गिलास, गुदा से निकाला
बड़ी आंतड़ी के पास धंसा था टूटा कांच का गिलास, गुदा से निकाला

जासं, लुधियाना : सिविल अस्पताल के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों के सामने एक ऐसा बेहद हैरानीजनक केस आया। बुधवार देर रात्रि करीब दो बजे साहनेवाल से 30 ंवर्षीय गुरभेज ¨सह नाम का मरीज सिविल में पहुंचा। वह लहूलुहान था। वह दर्द से कराह रहा था।

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सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. वरूण सग्गड़ ने जब पीड़ित का एक्सरे और अल्ट्रासाउंड करवाया, तो पता चला कि उसकी बड़ी आंतड़ी के पास जहां मल एकत्र होता है, वहां बड़ा और टूटा हुआ कांच का गिलास फंसा था। उसका साइज करीब पांच बाय दस सेंटीमीटर था। डॉक्टरों ने मरीज से पूछा कि ये गिलास उसके पेट में कैसे पहुंचा तो मरीज ने बताया कि बुधवार रात्रि उसने शराब पी रखी थी। जब वह बाथरूम से बाहर निकला तो वह गिलास पर गिर गया जो उसकी गुदा में धंस गया। हालांकि मरीज की यह कहानी डॉक्टरों के गले से नहीं उतर रही।

एचओडी डॉ. वरुण सग्गड़ ने बताया कि गुरभेज की गुदा में फंसे कांच के गिलास को बाहर निकालने की सर्जरी काफी जटिल थी। एक तो गिलास बड़ी आंतड़ी के पास मल एकत्र होने वाली जगह में धंसा था, दूसरा वह तीखा और टूटा हुआ था। ऐसे केसों में सर्जरी के दौरान ब्ली¨डग व इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। परिवार की सहमति से ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने सहयोगी डॉ. मिलन वर्मा, एनाथिसिया विशेषज्ञ डॉ. नीलम और डॉ जसदीप के साथ मिलकर गुरभेज का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन में गिलास निकालने के लिए पहले पेट खोला गया जिससे अंदर हुई इंजरी का पता लगाया जा सके। गनीमत रही कि अंदर कोई बड़ी इंजरी नहीं थी। इसके बाद करीब दो घंटे तक चले ऑपरेशन में गुदा के रास्ते से ही इस बड़े गिलास को बाहर निकाला गया। पेपसी कैन भी निकाल चुके

डॉ. वरुण ने कहा कि यह पहला ऐसा मामला उनके सामने आया है, जिसमें मरीज की गुदा में इतना बड़ा गिलास फंस गया हो। हालाकि इससे पहले वह गुदा में फंसी पेपसी कैन निकाल चुके हैं। निजी अस्पताल में ऑपरेशन होता तो डेढ़ लाख खर्च आता

डॉ. वरुण ने बताया कि अगर यही ऑपरेशन निजी अस्पताल में होता तो करीब सवा से डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता। पर सिविल अस्प्ताल में मरीज की सर्जरी बिल्कुल निशुल्क हो गई। इसके अलावा दवाएं भी निशुल्क मुहैया करवाई जा रही हैं।


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